अंग्रेजों के जमाने के आपराधिक कानूनों से मिली आजादी, राष्ट्रपति की लगी मुहर
अंग्रेजों के जमाने के आपराधिक कानूनों से मिली आजादी, तीन संशोधन विधेयकों पर राष्ट्रपति की मुहर
देश में अंग्रेजों के जमाने के आपराधिक कानूनों की जगह लेने वाले तीन संशोधन विधेयकों को सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दे दी।
इन कानूनों की जगह नए कानून के लिए संसद ने पिछले सप्ताह ही तीनों विधेयकों को पारित किया था। तीनों नए कानून अब भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता व भारतीय साक्ष्य अधिनियम कहे जाएंगे, जो क्रमश: भारतीय दंड संहिता (1860), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (1898) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (1872) की जगह लेंगे।
संसद में तीनों विधेयकों पर चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि इनमें सजा देने के बजाय न्याय देने पर फोकस किया गया है।
ये कानून केंद्र की तरफ से आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचित किए जाने की तिथि से लागू हो जाएंगे। इन कानूनों का मकसद अपराधों व उनकी सजाओं को परिभाषित कर आपराधिक न्याय प्रणाली को पूरी तरह से बदलना है।
अब भारत में लागू किसी भी कानून के तहत उत्तरदायी किसी भी व्यक्ति पर भारत से बाहर किए गए किसी भी अपराध के लिए इस कानून के प्रावधानों के तहत मुकदमा चलाया जा सकेगा।
पहली बार कानून में आतंकवाद को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। राजद्रोह को अपराध के रूप में खत्म कर दिया गया है। इसके स्थान पर देश के खिलाफ अपराध नामक एक नया खंड जोड़ा गया है।
न्याय संहिता में महिलाओं और 18 साल से कम उम्र की बच्चियों के खिलाफ दुष्कर्म और अपराधों से निपटने के लिए नया अध्याय जोड़ा गया है। नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म के अपराध पर उम्रकैद या फांसी की सजा का प्रावधान है।
- भारतीय दंड संहिता में 511 धाराएं थीं, लेकिन भारतीय न्याय संहिता में धाराएं 358 रह गई हैं। बीस नए अपराध शामिल किए हैं, 33 अपराधों में सजा अवधि बढ़ाई है। 83 अपराधों में जुर्माने की रकम भी बढ़ाई है। 23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा का प्रावधान है। छह अपराधों में सामुदायिक सेवा की सजा का प्रावधान है।
- दंड प्रक्रिया संहिता की 484 धाराओं के बदले भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं हैं। 177 प्रावधान बदले हैं, नौ नई धाराएं और 39 उपधाराएं जोड़ी हैं। 35 में समय सीमा तय की है।
- नए भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 170 प्रावधान हैं। इससे पहले वाले कानून में 167 प्रावधान थे। नए कानून में 24 प्रावधान बदले हैं।
नए कानूनों के तहत ‘राजद्रोह’ को एक नया शब्द ‘देशद्रोह’ मिला है। इस प्रकार ब्रिटिश काल के शब्द को हटा दिया गया है। साथ ही पहली बार भारतीय न्याय संहिता में आतंकवाद शब्द को परिभाषित किया गया है। यह आईपीसी में नहीं था।
युवाओं को ऑनलाइन मिलेगी केंद्रीय पुस्तकालय में किताबों की जानकारी
जिला के युवा केंद्रीय पुस्तकालय में मौजूद किताबों की जानकारी घर बैठे ही हासिल कर सकेंगे। लाइब्रेरी प्रबंधन की ओर से इसके लिए एक एप तैयार किया जा रहा है। मौजूद लाइब्रेरी की सभी किताबों के नाम ऑनलाइन अपलोड किए जाएंगे।
एप के माध्यम से बच्चे घर बैठकर देख सकेंगे कि जो किताब वह लाइब्रेरी में आकर पढ़ना चाहते हैं। वह इस समय लाइब्रेरी में मौजूद भी है या फिर उसे कोई और पढ़ाई के लिए घर ले गया है। यह फीचर बच्चों के लिए बहुत ही कारगर साबित होने वाला है।
अक्सर युवा जब लाइब्रेरी में आकर किताबों की मांग करते हैं तो पता चलता है कि वह किताब तो कोई और पढ़ने के लिए घर ले गया है, जिससे कई बार बच्चे मायूस होकर वापस लौटते हैं। लेकिन इस एप से उन्हें पहले ही किताब के संबंध में जानकारी मिल जाएगी।
इसके अलावा मोतीलाल नेहरू केंद्रीय राज्य पुस्तकालय नए भवन में हाइटेक कंप्यूटर, हिंदी, अंग्रेजी की भाषा लैब स्थापित होगी।
इसके अलावा 50 से अधिक कंप्यूटर लगाने की भी योजना है।
केंद्रीय राज्य पुस्तकालय प्रमुख पुस्कालय अध्यक्ष एवं डिग्री कॉलेज सोलन की प्राचार्य डॉ. रीटा शर्मा ने बताया कि पुस्तकालय की किताबों को ऑनलाइन एप से जोड़ने का कार्य किया जाएगा।
इसके अलावा लाइब्रेरी में एक हाईटेक कंप्यूटर, भाषा लैब बनाने की भी योजना है। जिसको लेकर कार्य किया जा रहा है।