Nov 22, 2024
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औद्योगिक नीति: हिमाचल सरकार ने निवेश की प्रोत्साहन अवधि 2025 तक बढ़ाई

 

निवेश के लिए नईं शर्तें:

तिलौरधार समेत नए विकास खंड को राज्य की श्रेणी-बी में

न्यूज़ देशआदेश

सार

सरकार ऐसे उद्योगों को ए श्रेणी में रखेगी। इसी तरह बी श्रेणी में 150 करोड़ रुपये के उद्योग लगाने वाले पूंजीपतियों को कम से कम 150 और सी श्रेणी में 100 करोड़ रुपये के निर्धारित पूंजीगत निवेश करने वालों को कम से कम 100 बोनाफाइड हिमाचलियों को रोजगार प्रदान करना होगा। इस शर्त के साथ प्रदेश सरकार ने 2025 तक निवेश नीति की प्रोत्साहन अवधि बढ़ा दी है।

विस्तार

हिमाचल प्रदेश में 200 करोड़ रुपये का निर्धारित पूंजीगत निवेश करने वाले उद्योगपतियों को कम से कम 200 बोनाफाइड हिमाचलियों को रोजगार देना होगा। सरकार ऐसे उद्योगों को ए श्रेणी में रखेगी। इसी तरह बी श्रेणी में 150 करोड़ रुपये के उद्योग लगाने वाले पूंजीपतियों को कम से कम 150 और सी श्रेणी में 100 करोड़ रुपये के निर्धारित पूंजीगत निवेश करने वालों को कम से कम 100 बोनाफाइड हिमाचलियों को रोजगार प्रदान करना होगा। इस शर्त के साथ प्रदेश सरकार ने 2025 तक निवेश नीति की प्रोत्साहन अवधि बढ़ा दी है।

 

इसके तहत उद्योगपतियों को विभिन्न रियायतें जारी रहेंगी। बुधवार को हिमाचल प्रदेश सरकार ने नई प्रदेश औद्योगिक निवेश नीति- 2019 की अधिसूचना लागू कर दी है। औद्योगिक नीति के तहत प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए समाप्त हो रही अवधि को 31 दिसंबर 2022 से 31 दिसंबर 2025 तक बढ़ाया गया है। अधिसूचित औद्योगिक क्षेत्र में अब न्यूनतम पूंजीगत निवेश से स्थापित एंकर उद्योगों को प्रथम औद्योगिक उद्यम, औद्योगिक क्षेत्र के बाहर जिलों में उद्योगों को भी प्रथम औद्योगिक उद्यम माना जाएगा।

नई अधिसूचित औद्योगिक क्षेत्रों में दिव्यांग व्यक्तियों और सामूहिक रूप से उद्यम स्थापित करने के उद्देश्य से भूमि, प्लॉट, शेडों का पांच फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। नए विकास खंड नैना देवी, बाली चौकी, धनोटू, निहरी, चुराग, टुटू, कुपवी, कोटखाई, तिलोरधार को राज्य की श्रेणी-बी में रखा गया है।

 

अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग आरडी धीमान की ओर से यह अधिसूचना जारी की है, जिसे बुधवार से लागू कर दिया गया। उल्लेखनीय है कि निवेश को प्रोत्साहन करने के लिए उद्योगों को रियायतें और सुविधाएं देने के लिए 16 अगस्त, 2019 को हिमाचल प्रदेश औद्योगिक निवेश नीति – 2019 अधिसूचित की थी। इसमें विस्तृत परियोजना रिपोर्ट की लागत पर 50 फीसदी की दर से उपदान, 3 फीसदी ब्याज सबवेंशन, प्लांट और मशीनरी के परिवहन के लिए 50 फीसदी सहायता, 3.5 फीसदी परिवहन उपदान, गुणवत्ता प्रमाणन के लिए 50 फीसदी सहायता, एफल्यूएंट ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने के लिए 25 फीसदी सहायता, एमएसएमई, बड़े और एंकर उद्यमों के लिए कुल राज्य वस्तु और सेवा कर (एसजीएसटी) की प्रतिपूर्ति के लिए 50.90 फीसदी प्रोत्साहन प्रदान किया जा रहा है।