Oct 18, 2024
HIMACHAL

शिक्षा कोई वस्तु नहीं, जिसके लिए विद्यार्थियों को उपभोक्ता माना जाए

उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग: शिक्षा कोई वस्तु नहीं, जिसके लिए विद्यार्थियों को उपभोक्ता माना जाए

न्यूज़ देशआदेश

शैक्षणिक संस्थानों की ओर से शिक्षा प्रदान करने की सेवा से जुड़े मामले में उपभोक्ता आयोग ने अहम निर्णय सुनाया है। जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग शिमला ने कहा कि शिक्षा कोई वस्तु नहीं, जिसके लिए छात्र को उपभोक्ता माना जाए।

आयोग के अध्यक्ष बलदेव सिंह, सदस्य योगिता दत्ता और जगदेव सिंह रैतका ने यह निर्णय सुनाया।

आयोग ने स्पष्ट किया कि शैक्षणिक संस्थानों को सेवा प्रदाता नहीं कहा जा सकता है। आयोग ने अपने निर्णय में कहा कि शिक्षा देने की सेवा कमी से जुड़े मामलों पर आयोग सुनवाई करने का कोई क्षेत्राधिकार नहीं रखता।

शिमला की रोहनी सूद की शिकायत को खारिज करते हुए आयोग ने यह निर्णय सुनाया। रोहनी सूद ने पंजाब तकनीकी शिक्षा विश्वविद्यालय के खिलाफ शिक्षा सुविधा ने देने की शिकायत की थी।

आरोप लगाया गया था कि शिकायतकर्ता ने दूरवर्ती शिक्षा के माध्यम से चिकित्सकीय अनुसंधान में डिप्लोमा के लिए प्रवेश लिया था।

विश्वविद्यालय के दूरवर्ती सेंटर ने शिकायतकर्ता से 70 हजार की फीस वसूली। छह महीने का समय पूरा होने पर शिकायतकर्ता की परीक्षा ली गई। परीक्षा में पास न होने पर शिकायतकर्ता ने दोबारा से परीक्षा दी।

आरोप लगाया गया कि इस परीक्षा का परिणाम विश्वविद्यालय ने एक वर्ष दो महीनों के बाद निकाला।

आरोप लगाया गया था कि विश्वविद्यालय ने फीस लेकर सेवा में कमी की है। मामले का निपटारा करने हुए आयोग ने कहा कि बोर्ड वैधानिक कर्त्तव्य का निर्वहन करते हुए परीक्षाओं का आयोजन करता है।

इसमें परीक्षार्थी अपने ज्ञान का अवलोकन करने के लिए स्वयं भाग लेता है। आयोग ने शिकायत को खारिज करते हुए यह निर्णय सुनाया।