कांग्रेस ने एसबीआई से पूछा- योजना 2017 में शुरू हुई तो आंकड़े 2019 के बाद से क्यों;
कांग्रेस ने एसबीआई से पूछा- योजना 2017 में शुरू हुई तो आंकड़े 2019 के बाद से क्यों; पढ़ें खबर
चुनाव आयोग ने रविवार को चुनावी बॉन्ड जारी किया। इस पर कांग्रेस ने निशाना साधा है।
कांग्रेस ने पूछा कि क्या साझा किया गया डाटा अप्रैल 2019 से क्यों है। जबकि राजनीतिक फंडिंग की योजना 2017 में शुरू हुई थी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अमिताभ दुबे ने एक्स पर एसबीआई को टैग करते हुए कहा कि चुनावी बॉन्ड योजना 2017 में शुरू हुई थी लेकिन आंकड़े 2019 के बाद के दिए गए।
दानदाताओं की फाइल में 18,871 प्रविष्टियां हैं तो वहीं प्राप्तकर्ताओं की फाइल में 20,421। उन्होंने एक्स पर एसबीआई से पूछा कि आंकड़ों में गलतियां क्यों हैं।
दुबे की पोस्ट को टैग करते हुए कांग्रेस सासंद और आंध्र प्रदेश के कांग्रेस प्रभारी मनिकम टैगोर ने कहा कि एसबीआई के पास सच छिपाने में महारत हासिल है।
युवा कांग्रेस प्रमुख श्रीनिवास बीवी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नारे ‘ना खाऊंगा ना खाने दूंगा’ का मतलब है कि मैं कंपनियों को धमकाऊंगा, ईडी के छापे डलवाऊंगा, चंदा इकट्ठा करूंगा और बीजेपी का खजाना भरता रहूंगा।
चुनाव आयोग ने एक दिन पहले जारी किया आंकड़ा
चुनाव आयोग ने रविवार को इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक कर दी है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के हिसाब से भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने 12 मार्च 2024 को चुनाव आयोग (ईसीआई) को चुनावी बांड से संबंधित डेटा मुहैया करा दिया था।
इसके बाद चुनाव आयोग की वेबसाइट पर गुरुवार को डेटा अपलोड कर दिया गया। वेबसाइट पर चुनावी बॉन्ड एसबीआई से प्राप्त डेटा को जस के तस अपलोड कर दिया गया है।
दानदाताओं में यह कपंनियां और हस्तियां शामिल
निर्वाचन आयोग द्वारा जारी आंकड़े के मुताबिक, चुनावी बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक दलों को दान देने वालों में ग्रासिम इंडस्ट्रीज, मेघा इंजीनियरिंग, पीरामल एंटरप्राइजेज शामिल हैं।
इसमें टोरेंट पावर, भारती एयरटेल, डीएलएफ कमर्शियल डेवलपर्स, वेदांता लिमिटेड शामिल हैं।
इसके अलावा सूची में चुनावी बॉन्ड के खरीदारों में अपोलो टायर्स, लक्ष्मी मित्तल, एडलवाइस, पीवीआर, केवेंटर, सुला वाइन, वेलस्पन, सन फार्मा के नाम शामिल हैं।