शमाह में धूमधाम से मनाया गया महासू जागरा
गिरिपार में गूंजा पांजवी जागरा,
शाही स्नान के लिए देव चिह्नों को निकाला बाहर
देशआदेश
आस्था के प्रतीक महासू देवता का है यह कार्यक्रम,लोगों ने भी की देवता की आराधना
शिलाई -समूचे गिरिपार क्षेत्र में आस्था के प्रतीक महासू देवता का पांजवी जागरा का पर्व संपन्न हो गया है।
कार्तिकेय स्वामी के अवतार माने जाने वाले महासू देवता का स्नान गणेश चतुर्थी के दिन अपराहन बाद पूर्ण हुआ। सदियों से चली आ रही यह परंपरा यहां के देव करिंदे व स्थानीय श्रद्धालु हर्षोल्लास से निभाते आ रहे हैं।
शनिवार को देवता पुनः देवालय में चले जाने के बाद सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम के साथ पर्व संपन्न हो गया है।
जिले के गिरिपार क्षेत्र में दो दिन तक जागरा (पांजवी) पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया गया। यहां जागरा पर्व के दौरान महासू देव शाही स्नान के बाद हजारों श्रद्धालुओं ने देवता के दर्शन किए और अपनी-अपनी सुखना-मन्नते पूरी होने पर भेंट भी चढ़ाई।
उससे पहले देवता के रात्रि जागरण और देव स्तुति के साथ महासू बिरसू का खूब गुणगान भी किया गया।
शमाह महासू मंदिर के विनोद नेवाल, मामचंद, राजेन्द्र, माली टीकाराम, कल्याण सिंह, अंकु शमवाल, मायाराम, सुमेर चंद नंबरदार आदि ने बताया कि शुभ मुहूर्त में महासू देवता शाही स्नान के लिए देव चिह्नों को बाहर निकाला। देवता के बाहर आते ही महासू महाराज के जयकारों से पूरा क्षेत्र गूंज उठा।
इस दौरान श्रद्धालुओं ने देव चिह्नों पर पुष्प वर्षा की और पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ विधि विधान से देव चिह्नलों का शाही स्नान करवाया।
इसके पश्चात देव चिह्नों को वापस मंदिर में विराजमान कराया गया। इसके पश्चात भजन कीर्तन आयोजित हुआ, जिसमें श्रद्धालुओं ने खूब नाटी और रासा नृत्य किया।
इस दौरान हजारों श्रद्धालुओं ने महासू देवता के दर्शन कर खुशहाली की कामना की।
महासू देवता के ग्रामवासी श्रद्धालु जाती राम शर्मा, धर्मसिंह शमवाल, सुमेरचंद नंबरदार, प्रदीप सारस्वत, ब्रह्मानंद, नेवाल, गतवाल सहित क्षेत्र के महासू देव करिंदों का कहना है कि जिन गांव में महासू देवता के मंदिर हैं आज के दिन वहां यह पर्व इसी प्रकार तीन दिन विधिवत देवता की पारंपरिक पूजा-अर्चना कर मनाया गया।
इसके अतिरिक्त देव गायन पतरोंग, हुनामाई, नामसांई, मांगदों व बिरसूत देव गायन प्रस्तुत किए गए।
किदवंती के अनुसार कश्मीर के रहने वाले इस देवता को महेंद्रथ गांव का हुणा भाट इन्हें उस समय हनौल लाया जब किरमीरी नामक दानव हनौल में मानस बलि खाता था और पूरे क्षेत्र में उस दानव ने आतंक मचाया था।
द्वापरयुग में भीम द्वारा अपनी पत्नी हिडंबा को निर्मित घर में देवता की स्थापना की गई। 32 कौने वाला विशाल पत्थरों से बना यह भव्य मंदिर हनौल महासू सिद्धपीठ के नाम से प्रसिद्ध है। उसी वक्त से समूचे क्षेत्र में पांजवी जागरा पर्व मनाया जाता है।
वहीं शनिवार को महासू नव युवक मण्डल शमाह एवं ग्रामवासी की ओर से सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसके मुख्यातिथि पतञ्जलि के मैनेजर राणा तथा विशेष अतिथि दिनेश चौहान अधिवक्ता चंडीगढ़ (Pb & HR) ने शिरकत की।
उन्होंने महासू प्रांगण में शीश नवाया तथा अपने-अपने सामर्थ्य के अनुसार शमाह ग्रामीणों की सेवा के लिए हर संभव सहयोग करने का भरोसा दिया।
सांस्कृतिक संध्या के मुख्य कलाकार नाटी किंग सुरेश शर्मा शिमला, जौनसारी कलाकार तथा स्थानीय कलाकार कमलेश और मायाराम रहे।
इसके अलावा यह पर्व क्षेत्र के गांव शिल्ला द्राबिल, कोटि, टटियाना, शमाह, डाबरा, पष्मी नघेता सहित पूरे जौनसार में ऋषि पंचमी (जागरा पर्व) मनाया गया है।