विक्रमादित्य सिंह का आंजभोज दौरा: उम्मीदों, जनसमर्थन और विरासत की कहानी
विक्रमादित्य सिंह का आंजभोज दौरा: उम्मीदों, जनसमर्थन और विरासत की कहानी
देशआदेश हिमाचल
सिरमौर जिला का गिरिपार क्षेत्र एक बार फिर राजनीतिक हलचलों का केंद्र बना, जब युवा और ऊर्जावान मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने क्षेत्र का दौरा किया।

वर्ष 2022 की बात करें तो शिलाई विधानसभा क्षेत्र के कफोटा में उनके आगमन ने कांग्रेस के डगमगाते अभियान में नई ऊर्जा भर दी थी। युवा मतदाताओं में उनके लिए जोश इतना था कि एक पल में भाजपा की मजबूत पकड़ भी चुनौती के घेरे में ला खड़ी की और नतीजा भी सबके सामने रहा।

उनकी बढ़ती लोकप्रियता और जनसंपर्क शैली इस बात की गवाही देते हैं कि विक्रमादित्य केवल कांग्रेस समर्थकों ही नहीं, बल्कि विपक्ष के मतदाताओं और नेताओं पर भी प्रभाव डाल रहे हैं।
इसका बड़ा उदाहरण है भाजपा विधायक सुखराम चौधरी, भाजपा समर्थित जिला परिषद सदस्य अंजना शर्मा, और पूर्व जिला परिषद सदस्य अजय मेहता जैसे जनप्रतिनिधियों का उनके साथ मंच साझा करना।
यह केवल राजनीतिक मेलजोल नहीं, बल्कि आने वाले समय में राजनीतिक समीकरणों में संभावित बदलावों का संकेत भी है।
पूर्व में रहे पांवटा ब्लॉक के कार्यकारी अध्यक्ष और मंत्री के मित्र अवनीत सिंह लांबा की मानें तो जहाँ एक ओर केंद्र में भाजपा सत्तारूढ़ है, और पांवटा साहिब विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक का प्रतिनिधित्व है, वहीं राज्य में कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह की लोगों से सीधा जुड़ाव और सक्रिय उपस्थिति विपक्ष की राजनीति की पारंपरिक सीमाओं को करंट तो दे ही रही है।

उनकी जनसंपर्क शैली उनके पिता, पूर्व मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह की याद दिलाती है—जनता के बीच रहकर उनकी समस्याओं को सुनना, समझना और समाधान देना।
विक्रमादित्य भी उन्हीं पदचिह्नों पर चलते हुए गांव-गांव जाकर जनसंवाद कर रहे हैं।
गिरिपार-आंजभोज क्षेत्र में शुक्रवार को श्री पांवटा साहिब विकास मंच के अध्यक्ष ज्ञान सिंह चौहान और उनके मंच तथा तमाम आंजभोज क्षेत्र की जनता का सफल आयोजन से टोंरु गांव तक जो जनसैलाब सड़कों, चौक-चौराहों पर मंत्री के स्वागत में उमड़ा, वह इस बात का प्रमाण है कि जनता न केवल उनसे जुड़ी है, बल्कि उन्हें एक “विश्वसनीय जननेता” के रूप में स्वीकार भी कर रही है।
विक्रमादित्य सिंह की यह लोकप्रियता केवल पद की नहीं, बल्कि उस विश्वास और संवाद की है जो उन्होंने लोगों से जोड़ा है—“जो कहा, वो किया।”
ऐसे संकेत साफ़ हैं कि गिरिपार पांवटा विस के आंजभोज जैसी दूरस्थ पहाड़ियों में भी एक नई राजनीतिक चेतना आकार ले रही है, जिसकी धुरी पर विक्रमादित्य सिंह जैसे युवा नेता खड़े हैं।
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