Nov 22, 2024
POLITICAL NEWS

‘रिवाज’ की लड़ाई में उलझा हिमाचल का चुनाव! फिलहाल ऐसे बिछी है पहाड़ पर चुनावी चौसर

Himachal Election: ‘रिवाज’ की लड़ाई में उलझा हिमाचल का चुनाव! फिलहाल ऐसे बिछी है पहाड़ पर चुनावी चौसर

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Himachal Election: हिमाचल प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि भाजपा इस बार चुनाव में जहां अपने डबल इंजन सरकार और नरेंद्र मोदी, जयराम ठाकुर के चेहरे के साथ चुनावी मैदान में है। वहीं कांग्रेस उपचुनाव में हुई जीत से लबरेज चुनावी मैदान में ताल ठोक रही है…

हिमाचल प्रदेश में होने वाले विधानसभा के चुनावों की तारीख का एलान कर दिया गया है। और इसी एलान के साथ पहाड़ी राज्य में ‘रिवाज जारी रहेगा’ या ‘रिवाज बदलेगा’ के बीच में चुनावी जंग शुरू हो गई है। भाजपा ने चुनाव की तारीख के बाद हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में एक बड़ी बैठक की, तो कांग्रेस ने भी प्रियंका गांधी की रैली के साथ चुनाव का आगाज कर दिया। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि हिमाचल प्रदेश में लड़ाई कांटे की मानी जा रही है।

रिवाज बदलेगा’ Vs ‘रिवाज जारी रहेगा’

हिमाचल प्रदेश का रिवाज रहा है कि हर पांच साल बाद यहां पर सत्ता बदल जाती है। इसी रिवाज को आगाज मानते हुए भाजपा ने अपने चुनावी स्लोगन ‘रिवाज बदलेगा’ के साथ धुआंधार तरीके से न सिर्फ चुनावी अभियान शुरू किया है, बल्कि हिमाचल प्रदेश में डेवलपमेंट के बड़े-बड़े प्रोजेक्ट के माध्यम से जनता से सीधा संवाद शुरू कर दिया है। प्रदेश के राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कहना फिलहाल अभी मुश्किल है कि चुनाव किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए एकतरफा हो चुका है। हिमाचल प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक अश्वनी कुमार कहते हैं कि भाजपा इस बार चुनाव में जहां अपने डबल इंजन सरकार और नरेंद्र मोदी, जयराम ठाकुर के चेहरे के साथ चुनावी मैदान में है। वहीं कांग्रेस उपचुनाव में हुई जीत से लबरेज चुनावी मैदान में ताल ठोक रही है। अश्वनी कहते हैं कि कांग्रेस ने छोटे-छोटे स्तर पर पार्टी को मजबूत करने के लिए प्रयास किए हैं, जिसके चलते वह हिमाचल प्रदेश में ‘रिवाज जारी रहेगा’ स्लोगन को लेकर चुनावी मैदान में उतर कर प्रचार कर रहे हैं। वहीं भाजपा डबल इंजन की सरकार में किए गए काम के बल पर रिवाज बदलेगा के स्लोगन को लेकर चुनावी चौसर सजा चुकी है।

भाजपा की अंदरूनी राजनीति पड़ेगी भारी

कांग्रेस से जुड़े नेताओं का कहना है कि हिमाचल प्रदेश में हर पांच साल बाद सरकार बदलने का रिवाज है तो यह जारी ही रहेगा। हालांकि सरकार बदलने के रिवाज जारी रहने के पीछे कांग्रेस के अपने कई तर्क भी हैं। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद पीएल पुनिया कहते हैं कि पार्टी ने जिस तरीके से उपचुनाव में हिमाचल प्रदेश में अपनी तैयारियां कीं और हिमाचल प्रदेश में तीन विधानसभा सीटों के साथ-साथ एक लोकसभा सीट भी जीती थी, वह पार्टी के कार्यकर्ताओं की एकजुटता और पार्टी की ताकत को बताती है। उनका कहना है कि भाजपा की अंदरूनी राजनीति ही उन्हें इस बार सत्ता से बाहर कर देगी। कांग्रेस पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि हिमाचल में कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे वीरभद्र सिंह के न रहने के बाद भी जनता उनके नाम से सीधे तौर पर जुड़ रही है। यही वजह है कि आने वाले चुनावों में कांग्रेस पार्टी भाजपा को सत्ता से बेदखल करके एक बार फिर से राज्य में जनता की सरकार के तौर पर उनकी नुमाइंदगी करेगी।

डबल इंजन सरकार पर भरोसा

हिमाचल प्रदेश में भाजपा के प्रदेश प्रभारी अविनाश राय खन्ना कहते हैं कि कांग्रेस के पास न तो राज्य में कोई चेहरा है और न ही उनका कोई विजन है। यही वजह है कि कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता उनकी पार्टी छोड़कर भाजपा के साथ जुट रहे हैं। अविनाश राय खन्ना कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी के कमजोर नेतृत्व का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि उनके दो प्रदेश प्रभारी हर्ष महाजन और पवन काजल पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। वह कहते हैं कि यह पार्टी का कमजोर नेतृत्व नहीं है तो और क्या है। प्रदेश प्रभारी अविनाश राय का कहना है कि उनकी पार्टी का न सिर्फ संगठन मजबूत है, बल्कि डबल इंजन की सरकार के चलते हिमाचल प्रदेश में लगातार काम भी हो रहे हैं। जनता को इस बात का भरोसा है कि जो वादे किए जाते हैं वह अमल में भी आते हैं। उन्होंने कहा कि आईआईटी से लेकर मेडिकल कॉलेज और विद्युत परियोजनाओं के शिलान्यास इस बात की गवाही देते हैं। जनता पार्टी के राज्य प्रभारी खन्ना कहते हैं कि इस बार सरकार भी रिपीट होगी और रिवाज भी बदलेगा।

 

भाजपा और कांग्रेस, दोनों की अपनी खूबियां

हिमाचल प्रदेश के राजनीतिक विश्लेषक ओपी चंदेल कहते हैं कि अभी यह कहना थोड़ा मुश्किल है कि हिमाचल प्रदेश में दोनों पार्टियों के लिए चुनावी रास्ता बहुत आसान है। हालांकि वह कहते हैं कि चुनावी साल में जिस तरीके से प्रदेश में कई परियोजनाओं को जनता के सुपुर्द किया गया है, उससे एक संदेश तो निश्चित तौर पर अच्छा गया है। चंदेल का कहना है कि मेडिकल कॉलेज से लेकर आईआईटी और विद्युत परियोजनाओं से लेकर तमाम अन्य बड़ी परियोजनाओं के उद्घाटन से लेकर शिलान्यास तक की कई योजनाओं को सिरे चढ़ाना किसी भी राज्य के विकास के लिए एक बड़ा महत्वपूर्ण कदम होता है। इस मामले में भाजपा ने निश्चित तौर पर बेहतर काम किया है। वह कहते हैं कि सड़कों के नेटवर्क में भी गांव की कनेक्टिविटी बेहतर हुई है। चंदेल का कहना है कि भाजपा के पास जहां अपनी डबल इंजन और नरेंद्र मोदी और जयराम ठाकुर की सरकार के किए गए काम का रिपोर्ट कार्ड है। वहीं कांग्रेस के पास वीरभद्र सिंह के न रहने के बाद भी उनका चेहरा हिमाचल प्रदेश में बहुत कारगर है। यही वजह रही कि उपचुनावों में वीरभद्र सिंह की इमोशनल लहर चलते जीत हासिल की। वह कहते हैं कि पूरे हिमाचल में कांग्रेस के पास कार्यकर्ताओं का अपना एक मजबूत नेटवर्क भी है। जिसे चुनाव से पहले पार्टी ने आगे बढ़ाते हुए काम भी किया है और उपचुनाव भी जीते हैं। भाजपा और कांग्रेस इन्हीं दावों के साथ “रिवाज जारी रहेगा” और “रिवाज बदलेगा” जैसे चुनावी स्लोगन के साथ मैदान में चुनावी चौसर बिछा दी है।