Nov 24, 2024
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सुहागिनों को आज शाम इतने बजे दिखेगा चांद

Karva Chauth 2024 : सुहागिनों को शिमला में आज शाम इतने बजे दिखेगा चांद

On Karva Chauth fast, married women will be able to see the moon at this time in the evening in Shimla

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर 20 अक्तूबर रविवार को करवाचौथ का व्रत रखा जाएगा। पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए सुहागिनें करवाचौथ व्रत रखेंगी। दिनभर निर्जला व्रत रखकर रात को चंद्रमा पूजन के बाद ही व्रत खोला जाएगा। 7:48 शिमला में करवाचौथ पर शाम 7:47 बजे चांद का दीदार होगा।

 

 

 

शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर करवाचौथ पर हर वर्ष की तरह हजारों महिलाएं चांद का दीदार कर व्रत खोलेंगी। इसके लिए सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद रखने के लिए पुलिस जवानों की तैनाती रहेगी। शनिवार को शहर के बाजारों में राैनक रही और मेहंदी लगवाने के लिए महिलाओं की भीड़ नजर आई।

 ढिंगू माता मंदिर के पुजारी पंडित आशीष शर्मा ने बताया कि करवाचौथ पर रविवार सुबह 6:46 बजे चतुर्थी तिथि लगेगी जो अगले दिन सुबह तक रहेगी। उन्होंने बताया कि सूर्योदय के बाद चतुर्थी तिथि लगने से क्षय मानी जाती है। हालांकि इसका व्रत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
उन्होंने बताया कि चतुर्थी तिथि में व्रत का उद्यापन किया जा सकता है। इस दिन भगवान गणेश, शिव-पार्वती और चंद्रदेव की पूजा करें। चंद्रमा को अर्ध्य देने के बाद ही व्रत खोला जाएगा। शिमला में चंद्रोदय शाम 7:47 से 7:48 बजे के बीच होगा।
राम मंदिर के पुजारी पंडित रमेश शर्मा ने बताया कि करवाचौथ के दिन सूर्योदय से पहले तारों की छांव में सुहागिनों को सरगी खानी चाहिए। इसमें ड्राई फ्रूट्स, नारियल, फैनियां, दूध व फलाहार करना चाहिए। सायंकाल में करवा पूजन और नवविवाहिता अपनी सास को वस्त्र व सुहागी दें। शाम को 07:47 बजे चंद्रोदय पर ही व्रत को खोलें।
करवा चौथ की कथा
राधा-कृष्ण मंदिर के पुजारी पंडित उमेश नौटियाल ने बताया कि करवाचौथ पर ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4: 44 बजे से सुबह 5:35 बजे तक रहेगा। इस दौरान सुहागिनें सरगी ले सकती हैं। सायंकाल में पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05:46 से शाम 7:02 बजे तक रहेगा। इसमें माता करवा की कथा पढ़ने से व्रत का फल प्राप्त होता है।
करवाचौथ का व्रत रखने वाली सुहागिनों को सायंकाल में व्रत की कथा पढ़नी चाहिए। कथा करवा नामक एक पतिव्रता महिला को समर्पित है। अपने पति की जान बचाने के लिए करवा ने चंद्रदेव को प्रसन्न किया था। इस कथा को सुनने से व्रत का फल मिलता है।

करवाचौथ व्रत का महत्व
करवाचौथ व्रत में सुहागिनें निर्जल रहकर अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं। धार्मिक मान्यता है कि जब देवताओं और राक्षसों में युद्ध चल रहा था, तब राक्षस देवताओं पर भारी पड़ रहे थे। ऐसे में देवताओं की पत्नियां अपने सुहाग की रक्षा के लिए ब्रह्मा जी के पास गईं। तब ब्रह्मा ने उन्हें निर्जल करवाचौथ का व्रत रखने का सुझाव दिया। बताए अनुसार देवियों ने निर्जल व्रत रखा। इससे देवताओं की रक्षा हुई।
इसके बाद करवाचौथ व्रत रखने की परंपरा चली। मान्यता है कि करवाचौथ के दिन चंद्रमा से अमृतवर्षा होती है। इसलिए सुहागिनें निर्जल व्रत रखती है और चंद्रमा का पूजन करती हैं। माता पार्वती ने भी भगवान शिव के लिए यह व्रत रखा था।