राजपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बगैर स्टाफ चरमराईं सेवाएं
रेफर अस्पताल बनकर रह गया है राजपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र
देश आदेश पांवटा साहिब
गिरिपार इलाके का आंजभोज कस्बे का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र राजपुर रेफरल अस्पताल बनकर रह गया है। राजपुर स्वास्थ्य खंड होने के बावजूद भी यहां चिकित्सकों समेत दूसरे स्टाफ की भारी कमी चल रही है।
क्षेत्र की तकरीबन 11 पंचायतों के केंद्र बिंदू राजपुर सीएचसी में रोजाना दर्जनों मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं, लेकिन सुविधाओं के अभाव में मरीजों को सिविल अस्पताल पांवटा की ओर रुख करना पड़ रहा है। लंबे समय से स्टाफ की कमी के चलते यहां स्वास्थ्य सेवाएं रामभरोसे हैं। जब इसे पीएचसी से सीएचसी का दर्जा दिया गया था। दर्जा बढ़ा तो लोगों की उम्मीदें भी बढ़ीं लेकिन विभाग व सरकार की लचर कार्यप्रणाली के चलते उम्मीदें परवान नहीं चढ़ पाईं। यहां स्टाफ की कमी के चलते ओपीडी रूम से लेकर अस्पताल के बिस्तर खाली पड़े हैं।
बीएमओ राजपुर डॉ. अजय देओल ने कहा कि चिकित्सक, टेक्नीशियन, मुख्य फार्मासिस्ट समेत स्टाफ के कुछ पद रिक्त चल रहे हैं, जिसके बारे में उच्च स्वास्थ्य विभाग को समय-समय पर रिपोर्ट भेजी जाती रही है।
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सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र राजपुर
पद स्वीकृत वर्तमान रिक्त
मेडिकल अफसर 2 2 0
एमओ डेंटल 1 0 1
रेडियोलॉजिस्ट 1 0 1
चीफ फार्मासिस्ट 1 0 1
फार्मासिस्ट 1 1 0
स्टाफ नर्स 2 0 2
मिड वाइफ 2 1 1
हेल्थ एजुकेटर 1 0 1
मेल हेल्थ सुपरवाइजर 1 1 0
फीमेल हेल्थ सुपरवाइजर 1 1 0
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क्या कह रहे लोग
कुंदन सिंह चौहान ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की तरफ से मरीजों की सुविधा के लिए एक्सरे मशीन लगाई थी। रेडियोलॉजिस्ट न होने सेे यह बंद पड़ी है।
कलाथा बड़ाना पंचायत के प्रधान देवराज नेगी ने बताया कि अस्पतालों की दशा सुधारने के लिए सरकार भले ही दावे कर रही हो लेकिन स्थिति उससे एकदम उलट है। दवाइयां, बिस्तर, हीटर, पंखे, एंबुलेंस जैसी मूल सुविधाओं की कमी की मार से मरीज दर-दर भटक रहे हैं।
प्रीति चौहान ने बताया कि काफी समय से अस्पताल सुविधाओं की कमी के साथ साथ स्टाफ की भारी कमी से जूझ रहा है।
राजपुर पंचायत के प्रधान अश्विनी सिंगला ने बताया कि स्वास्थ्य केंद्र में इस वक्त दो डॉक्टर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। जबकि यहां हर समय कम से कम तीन से चार चिकित्सकों की जरूरत है।
Originally posted 2022-01-17 23:58:06.