Nov 21, 2024
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शिवभक्त कांवड़िए ड्रोन के साये में पार करेंगे बार्डर

 

हरिद्वार क्षेत्र से बॉर्डर तक ड्रोन कैमरों से की जाएगी निगरानी

कई जगह बनेंगे कंट्रोल प्वाइंट, विवाद की स्थिति में तत्काल होगी कार्रवाई

देशआदेश देहरादून

सार
डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि प्रशिक्षित ड्रोन पायलटों की चारधाम यात्रा में भी मदद ली जा रही है। इसका कई जगह पर सकारात्मक असर देखने को मिला है। इसी तरह इसे कांवड़ यात्रा की भी पूरी निगरानी आसमान से इन ड्रोन कैमरों से की जाएगी।

विस्तार
कांवड़ यात्रा की निगरानी के लिए ड्रोन तैनात किए जाएंगे। मेला क्षेत्र से लेकर उत्तराखंड के बॉर्डर तक ड्रोन को उड़ाया जाएगा। इसके लिए 50 से ज्यादा ड्रोन की तैनाती की जाएगी। कई जगहों पर कंट्रोल प्वाइंट भी बनाए जाएंगे, ताकि किसी भी स्थिति को समय से भांप लिया जाए।

ड्रोन कैमरों की निगरानी का असर चारधाम यात्रा में भी सकारात्मक रहा है। कांवड़ मेला क्षेत्र में हजारों सीसीटीवी कैमरों लगे हुए हैं। इन्हें हरिद्वार कंट्रोल रूम से संचालित किया जाएगा। इसके अलावा मार्ग पर जगह-जगह ड्रोन कैमरे भी उड़ाए जाएंगे। ड्रोन कैमरे से हर स्थिति पर नजर रखी जाएगी।

हरिद्वार के शहरों और कस्बों में इन्हें खासतौर पर तैनात किया जाएगा। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, शहरों और कस्बों में अक्सर विवाद की स्थिति पैदा होती है। ऐसे में यदि ऊपर से नजर रखी जाएगी तो स्थिति को ज्यादा बेहतर तरीके से समझा जा सकेगा।

डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि प्रशिक्षित ड्रोन पायलटों की चारधाम यात्रा में भी मदद ली जा रही है। इसका कई जगह पर सकारात्मक असर देखने को मिला है। इसी तरह इसे कांवड़ यात्रा की भी पूरी निगरानी आसमान से इन ड्रोन कैमरों से की जाएगी। इसके लिए अलग-अलग जगहों पर कंट्रोल प्वाइंट बनाए जाएंगे। कांवड़ मेला क्षेत्र के हर जोन में इस तरह की व्यवस्था की जाएगी। हरिद्वार क्षेत्र से बॉर्डर तक ड्रोन कैमरों से निगरानी की जाएगी।

पहले हो चुका है बवाल

बीते सालों में कांवड़ यात्रा व अन्य यात्राओं के दौरान कई बार स्थिति बिगड़ी थी। बीते दिनों धार्मिक यात्रा के दौरान कुछ लोगों ने पथराव भी किए थे। ऐसी किसी भी गतिविधि पर नजर रखने के लिए ड्रोन हथियार साबित होते हैं। ज्यादातर घनी आबादी के बीच से गुजरने वाले मार्गों पर ड्रोन कैमरों की खासी नजर रहेगी।

यातायात प्रबंधन में मिलती बड़ी मदद
ड्रोन कैमरों से यातायात प्रबंधन में बड़ी मदद मिलती है। किसी रूट पर यदि यातायात का दबाव हो तो कंट्रोल रूम से नजर रखी जाती है। इसके बाद संबंधित क्षेत्राधिकारी और ट्रैफिक कर्मियों को निर्देशित किया जा सकता है।