सराज और शिलाई में बूढ़ी दिवाली पर्व शुरू
सराज और शिलाई में बूढ़ी दिवाली पर्व शुरू
लोगों ने मशाले जलाई व ढोल-नगाड़ों की थाप पर किया नृत्य
न्यूज देश आदेश
हिमाचल प्रदेश के गिरिपार शिलाई और सराज विधानसभा क्षेत्र के डाहर गांव में आराध्य देव शैटीनाग को समर्पित बूढ़ी दिवाली बुधवार रात को धूमधाम के साथ मनाई गई। देव परंपरा व पौराणिक मान्यता के अनुसार मशालें व अश्लील जुमलों से भूत-पिशाच भगाए गए। यहां बूढ़ी दीवाली हर साल मनाई जाती है। एक वर्ष दिवाली चेत गांव और एक वर्ष डाहर में मनाई जाती है। इस वर्ष सराज के डाहर में यह धूमधाम के साथ मनाई गई।
इसमें अश्लील जुमले कसते हुए ढोल-नगाड़ों की थाप पर हारियानों ने नृत्य किया और पुरानी परंपरा का निर्वहन किया। बूढ़ी दीवाली में गांवों के लोगों के बीच लड़ाई भी होती है। गांवों के लोग मशालों से एक-दूसरे पर वार करते हैं। इस दौरान नियम का पालन करना जरूरी होता है। अन्यथा व्यक्ति को दंडित किया जाता है। ऐसा दावा है कि इस लड़ाई में किसी भी व्यक्ति को चोट नहीं आती है और न ही किसी व्यक्ति के कपड़े जलते हैं। इस दौरान देवता की शक्तियां साथ होती हैं।
वहीं, गिरिपार क्षेत्र की ऐतिहासिक एंव पारंपरिक बूढ़ी दिवाली बुधवार से शुभारम्भ हो गया है। क्षेत्र की अधिकतर पंचायतों में आज शाम से मशाल यात्रा से बूढ़ी दिवाली पर्व शुरू हो जाएगा।
यह पर्व एक सप्ताह तक चलेगा। प्रतिवर्ष दिवाली से एक माह बाद पूरे गिरिपार क्षेत्र में मनाए जाने वाले इस अहम पर्व की तैयारियां क्षेत्र के लोगों ने पूरी कर ली हैं। गृहणियों ने इस पर्व पर परोसे जाने वाले मुख्य व्यंजन मुड़ा व शाकुली बनाने का कार्य पूरा कर लिया है।
बूढ़ी दीवाली का यह त्यौहार सिरमौर जिले के नोहराधार क्षेत्र के भराड़ी, चौकर, चाडऩा,शिलाई, रोनहाट, शमाह, आंजभोज के क्लाथा-बढ़ाना, जेलभोज, मस्तभोज व संगड़ाह क्षेत्र के अलावा उतराखंड के जौनसार बाबर में भी मनाया जाता है।