Sep 16, 2024
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एसएमसी अध्यापकों के मर्म को समझे सरकार और बनाए स्थाई नीति

एसएमसी अध्यापकों के मर्म को समझे सरकार और बनाए स्थाई नीति

उम्मीद फाउंडेशन के उपाध्यक्ष पंकज तन्हा ने मुख्यमंत्री से उठाई मांग

बोले, दुर्गम क्षेत्रों में शिक्षा की जोत जलाए हुए हैं एसएमसी अध्यापक

 

देशआदेश मीडिया

नाहन। उम्मीद फाउंडेशन ने प्रदेश के दुगर्म स्थानों में कार्यरत एसएमसी अध्यापकों के लिए स्थाई नीति बनाने की मांग की है।

संगठन के पदाधिकारियों का कहना है कि एसएमसी अध्यापक लंबे अर्से से प्रदेश के दुर्गम स्थानों पर शिक्षा की अलख जलाए हुए हैं। लेकिन उनका खुद का भविष्य अधर में लटका हुआ है, जो इन अध्यापकों के साथ अन्याय से कम नहीं।

उम्मीद फाउंडेशन के उपाध्यक्ष पंकज तन्हा ने प्रेस को जारी बयान में कहा कि जिला के वह दुर्गम स्थान जहां जाने से नियमित शिक्षक कतराते हैं, उन दुर्गम जगहों पर खुले स्कूलों में एसएमसी शिक्षक सालों से शिक्षा की जोत जलाए हुए हैं। उनका खुद का भविष्य अंधकार में जाता दिख रहा है, इसके बाद भी वह बच्चों का भविष्य संवारने का प्रयास कर रहे हैं।

पंकज तन्हा ने कहा कि प्रदेश में बनने वाली दोनों ही सरकारों ने इन शिक्षकों के लिए स्थाई नीति बनाने के आश्वासन तो खूब दिये लेकिन इन आश्वासनों को मूर्त रूप देने में किसी ने कुछ नहीं किया। जबकि आलम यह है कि जिला सिरमौर के कई स्कूल तो इन एसएमसी शिक्षकों के ही भरोसे चल रहे हैं।

उन स्कूलों में कार्यरत नियमित अध्यापक अपने तबादले सड़क किनारे बने स्कूलों में करवा चुके हैं।

स्कूलों में कार्यरत एसएमसी शिक्षक ही बच्चों को भविष्य संवारने का प्रयास कर रहे हैं। यह शिक्षक अपने घर-परिवार से दूर उन दुर्गम स्थानों में खुले स्कूलों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, जहां नियमित शिक्षक जाने से कतराते हैं।

इन शिक्षकों की डयूटी पीरियड आधार पर सेवाएं देने की हैं, बाजवूद इसके यह पूरा महीना ईमानदारी से न केवल पढ़ा रहे हैं, बल्कि नियमित शिक्षक की भांति हर शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक कार्य भी कर रहे हैं।

कई तरह के चार्ज भी इनको दिए गए हैं।बावजूद इसके दशक भर बाद भी सरकारें इनके लिए स्थाई नीति नहीं बना पाई है। यह मामूली वेतन में अपने घर-परिवार से दूर दुर्गम स्थानों में शिक्षा की जोत जलाए हुए हैं।

उन्होंने मुख्यमंत्री सुखविंद्र सुक्खू से मांग की कि जिस तरह पैट, पीटीए, ईपीएस, उर्दू व पंजाबी शिक्षकों के लिए स्थाई नीति बनाई और उनको नियमित भी कर दिया।

उसी प्रकार पूरी योग्यता और सभी प्रकार के मापदंड पूरे करने के बाद लगे एसएमसी शिक्षकों के लिए भी स्थाई नीति बनाई जाए।