2027 तक आत्मनिर्भर व 2032 तक देश का सबसे अमीर राज्य बनकर उभरेगा।
हिमाचल प्रदेश 2027 तक आत्मनिर्भर व 2032 तक देश का सबसे अमीर राज्य बनकर उभरेगा।
देशआदेश मीडिया
हिमाचल प्रदेश 2027 तक आत्मनिर्भर व 2032 तक देश का सबसे अमीर राज्य बनकर उभरेगा। इसके लिए व्यवस्था परिवर्तन के तहत अनेक कार्य किए जा रहे हैं। यह उद्गार मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने नाहन के ऐतिहासिक चौगान मैदान में जनसभा को संबोधित करते हुए कहे।
सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हम कामों को लटकाना नहीं चाहते, हम जनता के लिए कामों को करना चाहते हैं। इसी के तहत प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने 1 साल में 20 हजार रोजगार प्रदान किए हैं।
आज सभी भ्रष्टाचारियों सलाखों के पीछे हैं
इन सभी स्वीकृत पदों को 31 मार्च से पहले भर लिया जाएगा। भारतीय जनता पार्टी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि भाजपा के शासन में हमीरपुर सर्विस इलेक्शन बोर्ड भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया था।
भाजपा के नेताओं ने अपने रिश्तेदारों को रोजगार देने के लिए पेपर लीक करवा तथा जिस कारण गरीबों के बच्चें परीक्षा से बाहर हो गए। जब हमारी सरकार आई, तो हमने भ्रष्टाचार करने वाले कर्मचारियों को पकड़ा तथा आज सभी भ्रष्टाचारियों सलाखों के पीछे हैं। सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि अब नया चयन आयोग बन गया है।
अंतिम 6 माह में खोले गए शिक्षण संस्थान हमने बंद किए- CM सुक्खू
विभागों में विभिन्न पदों की नियुक्तियों के लिए प्रक्रिया चल रही हैं। प्रदेश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने पर भी हम अपने युवाओं को रोजगार दे रहे हैं। राजीव गांधी स्टार्टअप योजना के तहत 1000 युवाओं को इलेक्ट्रिक वाहनों पर छूट देकर उन्हें रोजगार के साधन उपलब्ध करवा रहे हैं।
भाजपा के शासनकाल में अंतिम छ माह खोले गए शिक्षण संस्थानों में शिक्षक नहीं थे, जिसके चलते पांचवी कक्षा का छात्र दूसरी कक्षा की किताब भी नहीं पढ़ रहा था। इसलिए भाजपा द्वारा अंतिम 6 माह में खोले गए शिक्षण संस्थान हमने बंद किए, नहीं तो शिक्षा का इससे भी बुरा हाल हो जाता।
रात को जाग कर आपदा से निपटने की तैयारियां की
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने घोषणा की कि वर्ष 2025 से पहले प्रदेश के सभी स्कूलों में शिक्षक तैनात होंगे। कोई भी स्कूल डेपुटेशन के सहारे नहीं चलेगा। सुखविंदर सिंह ने कहा कि वह राजनीति करने नहीं, व्यवस्था परिवर्तन करने आए हैं। सीएम ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि अनाथ बच्चों के लिए हिंदुस्तान में पहला कानून बनाया। जिसके तहत अनाथ बच्चों के सारे खर्चों को प्रदेश सरकार उठा रही है।
वहीं आपदा में प्रदेश में सैकड़ो लोगों ने जीवन खो दिया। इसके बचाब और राहत कार्यों के लिए कांग्रेस सरकार ने रात को दो-दो बजे तक आपदा से निपटने के लिए तैयारियां की। प्रदेश के लोगों को बिना केंद्र की सहायता से 4300 करोड़ की रुपए की सहायता प्रदान की।
आपदा में भाजपा के नेता विधानसभा क्षेत्र की मांग करते रहे
आपदा में भाजपा के विधायक विधानसभा क्षेत्र की मांग करते रहे। मगर जब विधानसभा सत्र बुलाया, तो भाजपा के विधायको ने आपदा प्रस्ताव पर अपनी सहमति नहीं दी। भाजपा के विधायक आखिर किसके कहने पर चुपचाप विधानसभा में बैठे रहे। सुखविंदर सिंह सुक्खू ने नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वह बताएं कि भाजपा का कोई भी नेता प्रदेश को आपदा राहत राशि दिलाने के लिए आज तक क्यों केंद्रीय मंत्रियों से नहीं मिला।
गृह मंत्री ने राहत राशि देने का दिया था आश्वासन
सुक्खू ने कहा कि वह पिछले दो दिनों में दिल्ली में कई केंद्रीय मंत्रियों से मिले तथा उन्होंने प्रदेश की हितों की मांग की, उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को 9907 करोड़ रुपए का आपदा क्लेम भेजा था, जिसमें से पहली किस्त के रूप में 5000 करोड़ की मांग की गई है। जिस पर केंद्रीय गृह मंत्री ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही प्रदेश को आपदा राहत की पहली किस्त जारी की जाएगी।
केंद्र सरकार से NPA के 9000 करोड़ की मांग की
पहली कैबिनेट बैठक में अधिकारियों ने बताया प्रदेश की आर्थिक स्थिति खराब मुख्यमंत्री की शपथ लेकर जब पहली बार कैबिनेट मीटिंग में पहुंचा। तो अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है।
प्रदेश की पूर्व सरकार ने करोड़ों रुपए का ऋण लें रखा है। जिसके चलते प्रदेश की आर्थिक स्थिति को ठीक करने के लिए पहले बजट में अपनी दिशा तय की। कांग्रेस पार्टी की गारंटी को पूरा करने के लिए पहली कैबिनेट में ओपीएस की बहाली की। साथ ही केंद्र सरकार के पास एनपीए के रूप में कर्मचारियों के जो 9000 करोड़ रुपए पड़े हैं, उसकी मांग भी की है।
हिमाचल को पांव पर खड़ा करने के लिए किया जा रहा प्रयास
पहली कैबिनेट में अधिकारियों ने उन्हें बताया कि प्रदेश की आय 100 रूपए है, जबकि खर्चा 170 रुपए है। इस स्थिति से निपटने के लिए कई योजनाओं पर कार्य चल रहे हैं। गरीब आदमी को आपदा में राशि मिले, इसलिए आपदा के कानून में बदलाव किया गया। हिमाचल को अपने पांव पर खड़ा करना है, इसके लिए लगातार प्रयास किया जा रहे हैं।