Dec 27, 2024
HIMACHAL

गाय का अब 1498 रुपये में होगा बीमा

 गाय का अब 1498 रुपये में होगा बीमा, मौत पर मिलेंगे 35 हजार रुपये; यहां से लें पूरी जानकारी

हिमाचल प्रदेश में लोग गाय, भेड़, बकरियों, भैंस, घोड़े, गधे और याक का बीमा करवा सकते हैं। गाय की बात करें तो आपदा बीमारी या दूसरी किसी वजह से गाय की मौत होती है तो राहत राशि के तौर पर पशुपालक को 35 हजार रुपये मिलेंगे।

Himachal News Cow will now be insured for Rs 1498 Rs 35000 will be given on death

 देशआदेश मीडिया

हिमाचल प्रदेश में पशुपालक अब एक गाय का बीमा महज 1498 रुपये में तीन साल के लिए करवा सकते हैं। ऐसे में आपदा बीमारी या दूसरी किसी वजह से गाय की मौत होती है तो राहत राशि के तौर पर पशुपालक को 35 हजार रुपये मिलेंगे।

 

बीपीएल , एससी और ओबीसी वर्ग के पशु पालकों की गाय का बीमा 749 में होगा। जिले में गाय की संख्या करीब डेढ़ लाख है लेकिन जागरूकता की कमी की वजह से अब तक केवल 918 गाय का बीमा ही हो पाया है।

 

 

यह योजना केवल गाय, भेड़, बकरियों, भैंस, घोड़े, गधे और याक के लिए हैं। इसमें एक भेड़ पालक अधिकतम 50 भेड़ों का बीमा करवा सकते हैं।

बीपीएल परिवार को 80 फीसदी तक का अनुदान
राष्ट्रीय पशुधन बीमा योजना के तहत इस वर्ष 918 गायों का बीमा करवाया है। इसमें यदि पशुपालक सामान्य वर्ग से संबंध रखता है तो उसे प्रीमियम की राशि के साथ 60 फीसदी का अनुदान मिलेगा। यदि वह बीपीएल परिवार से संबंध रखता है तो उसे 80 फीसदी तक का अनुदान मिलेगा।
योजना के तहत यदि किसी कारणवश बीमित पशुओं की मृत्यु हो जाती है तो बीमा कंपनी बीमित राशि की रकम पशुपालक मालिक को दी जाएगी। इसका मूल्य पशु पालक और पशु चिकित्सक मिलकर तय करेंगे।
पशु का तीन साल का बीमा होगा
पशु के पोस्टमार्टम होने के बाद ही डॉक्टर की रिपोर्ट के आधार पर ही बीमा राशि जारी की जाएगी। बिना पोस्टमार्टम के यह राशि पशु पालकों को नहीं मिलेगी। इसमें पशु का तीन साल का बीमा होगा।
आपदा के दौरान जिला के कई पशुपालकों को पशुओं के मरने से नुकसान उठाना पड़ता है।
बीते वर्ष भी भारी बरसात के दौरान कई पशुओं की गोशाला ढहने से मृत्यु हो गई थी। सरकार ने आपदा के दौरान हुए पशुपालकों को नुकसान को देखते हुए राहत दिलाने के लिए यह योजना शुरू की है।

इसके बारे में पशुपालक अधिक जानकारी नजदीकी पशु चिकित्सालय से प्राप्त कर सकते हैं।

जिले के सभी सात सब डिवीजनों के पशुपालक इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। इसमें पशुओं का तीन साल का बीमा किया जाएगा। बीमित राशि पशुपालकों को दी।

जाएगी- नीरज मोहन, उप निदेशक, पशुपालन विभाग शिमला

 

हिमाचल में मंत्रिमंडल में फेरबदल की तैयारी, दो मंत्री हो सकते हैं ड्रॉप; नए चेहरों पर दांव!

Himachal Govt Preparations for cabinet reshuffle in Himachal two ministers may be dropped

हिमाचल प्रदेश में दो मंत्री ड्रॉप हो सकते हैं। यह झटका शिमला संसदीय क्षेत्र को दिया जा सकता है। इससे राज्य मंत्रिमंडल में फेरबदल करने की तैयारी है।

 

 

जहां दो नए चेहरे कैबिनेट के अंदर लाए जा सकते हैं तो मंत्री के रिक्त चल रहे एक पद को भी भरा जा सकता है। एक मंत्री फिर से शिमला संसदीय क्षेत्र को ही नए चेहरे के रूप में दिया जा सकता है।

 

 

मंडी और कांगड़ा संसदीय क्षेत्रों को एक-एक मंत्री के तोहफे दिए जा सकते हैं। कांग्रेस हाईकमान से इसके संकेत मिलने के बाद मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू नई दिल्ली रवाना हो रहे हैं। उनकी इस संबंध में कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के साथ चर्चा होने जा रही है।

राज्य मंत्रिमंडल में एक पद रिक्त चल रहा है। वर्तमान में मुख्यमंत्री के अलावा कैबिनेट में 10 सदस्य हैं। इनमें से एक उप मुख्यमंत्री और नौ कैबिनेट मंत्री हैं। अब कैबिनेट में सीएम समेत 12 सदस्य हो जाएंगे।
नए चेहरों को कैबिनेट में लाने की तैयारी है। ड्रॉप किए जा रहे दो मंत्रियों के लिए जातीय, क्षेत्रीय, पारिवारिक पृष्ठभूमि समेत तमाम फैक्टर देखे जा रहे हैं।

सूत्रों की मानें तो इस संबंध में हाईकमान ने मुख्यमंत्री सुक्खू से दिल्ली पहुंचकर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। वह व्यक्तिगत रूप से केंद्रीय नेताओं से मिलने के लिए दिल्ली जा रहे हैं।

एक परिवार एक पद की बात रख रहे मंत्री पद के कुछ तलबगार
मंत्री पद के कुछ तलबगार मुख्यमंत्री सुक्खू और हाईकमान के सामने एक परिवार एक पद की बात भी रख रहे हैं।
वे कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह और विक्रमादित्य सिंह को भी निशाने पर लिए हैं, मगर ड्रॉप किए जा रहे मंत्रियों में हॉलीलॉज का नाम है या नहीं, इस पर स्थिति स्पष्ट नहीं हो रही है।
शिमला संसदीय क्षेत्र के बस दो मंत्रियों को ड्रॉप करने की ही बात की जा रही है। ये अन्य मंत्री भी हो सकते हैं। ऐसे तलबगार हिमाचल में पार्टी और सरकार और कार्यकर्ताओं के बीच संतुलन बनाने के लिए राजपूत मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष होने का तर्क दे रहे हैं।
वे ब्राह्मण और अनुसूचित जाति वर्ग की अनदेखी करने का मामला भी उठा रहे हैं।