Apr 13, 2025
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शहरों में बिना अनुमति विज्ञापन लगाने पर जुर्माने के साथ जेल भी

शहरों में बिना अनुमति विज्ञापन लगाने पर जुर्माने के साथ जेल भी, प्रिव

Himachal: शहरों में बिना अनुमति विज्ञापन लगाने पर जुर्माने के साथ जेल भी, प्रिवेंशन ऑफ डिसफिगरमेंट एक्ट लागू

हिमाचल प्रदेश सरकार ने नवगठित शहरी स्थानीय निकायों में हिमाचल प्रदेश सार्वजनिक क्षेत्र (प्रिवेंशन ऑफ डिस्फिगरमेंट) एक्ट, 1985 के प्रावधानों को सख्ती से लागू करने का फैसला लिया है। पढ़ें पूरी खबर…

शहरी क्षेत्रों के सार्वजनिक स्थानों पर सरकारी संपत्ति को खराब करने पर भारी भरकम जुर्माना लगेगा। हिमाचल की प्राकृतिक सुंदरता को बनाए रखने के लिए प्रदेश सरकार ने नवगठित शहरी स्थानीय निकायों में हिमाचल प्रदेश सार्वजनिक क्षेत्र (प्रिवेंशन ऑफ डिसफिगरमेंट) एक्ट, 1985 के प्रावधानों को सख्ती से लागू करने का फैसला लिया है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

एक्ट में सजा का भी प्रावधान किया है। यह अधिनियम मूल रूप से सार्वजनिक स्थानों पर विज्ञापनों के अनाधिकृत प्रदर्शन को रोकने के लिए है। इसका उद्देश्य इमारतों, दीवारों, पेड़ों और अन्य सार्वजनिक संपत्तियों पर पोस्टर, नोटिस, चित्र सहित विभिन्न प्रसारण संकेत लगाने को नियंत्रित करना है।

राज्य सरकार ने गत दिनों अतिरिक्त शहरी स्थानीय निकायों में अधिनियम के प्रवर्तन को मंजूरी दी है। इनमें नगर निगम धर्मशाला, पालमपुर, मंडी, सोलन, बद्दी, हमीरपुर और ऊना शामिल हैं। इसके अलावा नगर परिषद बिलासपुर, घुमारवीं, सुजानपुर टीहरा, देहरा, ज्वालामुखी, नगरोटा बगवां, मनाली, जोगिंद्रनगर, नेरचौक, सरकाघाट, रोहड़ू, परवाणू, मेहतपुर, संतोषगढ़, सुन्नी, नादौन और बैजनाथए पपरोला सहित नगर पंचायत ज्वाली, शाहपुर, निरमंड, करसोग, चिड़गांव, नेरवा, कंडाघाट, अंब, टाहलीवाल, बड़सर, संधोल, धर्मपुर, बलद्वाड़ा, भोरंज, खुंडियां, नगरोटा सूरियां, कोटला, झंडूता, स्वारघाट, बनीखेत, कुनिहार, बंगाणा और शिलाई को भी शामिल किया गया है।

इस अधिनियम के सख्ती से लागू होने से सार्वजनिक संपत्तियों पर न केवल अनाधिकृत विज्ञापन को रोकने बल्कि इन क्षेत्रों की प्राकृतिक सुंदरता को बनाए रखने में भी मदद मिलेगी। 

अधिनियम के प्रावधानों के तहत संबंधित स्थानीय प्राधिकरण से पूर्व लिखित अनुमति के बिना ऐसा कोई भी विज्ञापन प्रदर्शित नहीं किया जा सकता है। इस अधिनियम को वर्ष 1985 में शिमला नगर निगम क्षेत्र में लागू किया गया था। इसके बाद 9 मई, 1991 को जारी अधिसूचना के माध्यम से इसका दायरा राज्य भर में विभिन्न नगर पालिका अधिसूचित क्षेत्र समितियों और राज्य में अन्य नगर निगमों तक बढ़ा दिया गया। हालांकि, प्रशासनिक उन्नयन और विस्तार के कारण 1991 के बाद अस्तित्व में आए नवगठित शहरी स्थानीय निकायों को अधिसूचना के दायरे में शामिल नहीं किया गया।

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