May 10, 2025
HIMACHAL

विधायकों की सहमति के बिना नहीं होंगे तबादले

हिमाचल प्रदेश में विधायकों की सहमति के बिना नहीं होंगे तबादले, आदेश जारी; जानें विस्तार से

 

 

 

हिमाचल प्रदेश में अब अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादले विधायकों की सहमति के बिना नहीं होंगे। संबंधित विधानसभा क्षेत्र के विधायकों की सहमति और विभागों के मंत्री के नोट पर ही तबादले हो सकेंगे। तर्क दिया जा रहा है कि विधायकों को अपने क्षेत्र की जानकारी रहती है, ऐसे में इनकी सहमति जरूरी है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

शिक्षा, लोक निर्माण विभाग, जल शक्ति विभाग, बिजली बोर्ड व अन्य ऐसे महकमे हैं, जिनमें कई मंत्रियों के नोट पर विधायकों को विश्वास में नहीं लिया गया है। ऐसे में कई जगह अधिकारी व कर्मचारी ज्यादा हो गए हैं तो कहीं स्टाफ की कमी हो गई है। ऐसे में तबादलों के लिए विधायकों की सहमति को अनिवार्य किया गया है।

उल्लेखनीय है कि जब भी मुख्यमंत्री और मंत्री क्षेत्रों के दौरे पर जाते हैं तो वहां कर्मचारी व अधिकारी तबादलों को लेकर पत्र दे देते हैं। इसके बाद मुख्यमंत्री और मंत्रियों के कार्यालय से तबादलों के नोट जारी हो जाते हैं। इसके बाद यह नोट विभागों को जाते हैं। तबादला आदेश जारी होने पर पता चलता है कि जहां से कर्मचारियों व अधिकारियों का तबादला हुआ है, उस सीट पर अब दूसरे अधिकारी, कर्मचारी या शिक्षक हैं ही नहीं। इन सबको देखते हुए यह फैसला लिया गया है।

संबंधित विधानसभा क्षेत्र के विधायक को पूरी जानकारी होती है कि उनके विधानसभा क्षेत्र में किस स्कूल में कितने अध्यापक हैं, लोक निर्माण विभाग में कितने कर्मचारियों की कमी है, कहां सरप्लस हैं। ऐसे में विधायक जनता की सुविधा को देखते हुए अपना नोट जारी करते हैं। लेकिन विधायकों को भी विभागों की स्थिति को देखते हुए नोट जारी करना होगा। 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

15 अप्रैल के बाद नोट नहीं हो रहे कंसीडर
प्रदेश सरकार ने शिक्षा विभाग में तबादलों से प्रतिबंध हटा दिया था। 15 अप्रैल तक डीओ नोट को कंसीडर किया जा रहा था। इसके बाद आए नोट को विभाग ने कंसीडर करना बंद कर दिया है। हिमाचल में ऐसे कई स्कूल है, जहां अध्यापक नहीं हैं। जबकि कई स्कूलों में सरप्लस स्टाफ है।

 

 

 

 

 

 

 

प्रदर्शन में शामिल प्राथमिक शिक्षकों पर बड़ी कार्रवाई की तैयारी, हाजिरी रिकॉर्ड तलब; जानें

 

 

 

 

 

 

राजधानी शिमला में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल प्राथमिक शिक्षकों पर बड़ी कार्रवाई की तैयारी है। स्कूल शिक्षा निदेशालय ने सभी जिलों से प्राथमिक शिक्षकों की 26 अप्रैल की हाजिरी का रिकॉर्ड तलब किया है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

26 अप्रैल को शिमला के चौड़ा मैदान में मनाही के बावजूद प्रदर्शन करने वाले शिक्षकों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। इनका एक दिन का वेतन भी कटेगा। गैर शिक्षण कार्यों को मना करने वाले शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाएगी।

स्कूल शिक्षा निदेशालय ने सोमवार को सभी जिला उपनिदेशकों को पत्र जारी कर दो दिन के भीतर ऐसे प्राथमिक शिक्षकों के नामों की सूची देने को कहा है, जो 26 अप्रैल को अवकाश लिए बिना स्कूलों से गैरहाजिर रहे। ऐसे शिक्षकों का रिकॉर्ड एकत्र होने के बाद इन्हें पहले कारण बताओ नोटिस दिए जाएंगे। जवाब संतोषजनक नहीं मिलने पर इन शिक्षकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। इनका एक दिन का वेतन भी काटा जाएगा।

निदेशालय के अधिकारियों ने बताया कि सरकार इस मामले को लेकर गंभीर है। सरकार के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां करने वाले शिक्षकों की पहचान के लिए सोशल मीडिया के वीडियो खंगाले जा रहे हैं। इस आरोप में चार शिक्षकों को निलंबित कर दिया गया है। अन्य की पहचान की जा रही है। 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

मंत्री बोले, वापस नहीं होगी निदेशालय पुनर्गठन का फैसला
शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि शिक्षा निदेशालय के पुनर्गठन का फैसला वापस नहीं लिया जाएगा। देश के अधिकांश राज्यों में शिक्षा निदेशालयों का ढांचा जिस प्रकार का है, वैसा ही स्वरूप हिमाचल में भी तैयार किया गया है।
वर्ष 1984 से पहले शिक्षा निदेशालय इस प्रकार से ही कार्य करते थे। प्राथमिक शिक्षक संघ को सरकार के किसी फैसले से आपत्ति है तो उसे वार्ता के माध्यम से सुलझाया जाना चाहिए था। सार्वजनिक तौर पर सरकार की नीतियों पर अपमानजनक टिप्पणियां करना शोभा नहीं देता। प्राथमिक शिक्षकों के मुद्दे को सुलझाने के लिए सरकार के दरवाजे हमेशा खुले हैं।

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