Jul 1, 2025
HIMACHAL

वसीयत और बच्चा गोद लेने पर पंजीकरण शुल्क कराना महंगा

वसीयत और बच्चा गोद लेने पर पंजीकरण शुल्क कराना महंगा

 

 

प्रदेश सरकार ने वसीयत करवाने और बच्चा गोद लेने पर पंजीकरण शुल्क महंगा कर दिया है। बैंक या किसी अन्य के पास जमीन गिरवी रखने के पंजीकरण शुल्क में भी तीन गुना बढ़ोतरी हुई है। सर्विस चार्जिज रजिस्ट्रेशन डॉक्यूमेंट (बुक तीन और बुक चार) में यह बढ़ोतरी हुई है। पहले वसीयत करने का पंजीकरण शुल्क 100 रुपये के करीब था, अब 54 रुपये जीएसटी के साथ इसे बढ़ाकर 354 रुपये किया गया है।

बच्चा गोद लेने पर भी 354 रुपये में पंजीकरण होगा। इसी तरह जमीन गिरवी रखने पर भी लोगों को इतनी ही राशि जमा करानी होगी। प्रदेश सरकार की ओर से जिला उपायुक्त कार्यालय, पटवारी कानूनगो को इन आदेशों को लागू करने को कहा है। बुक -1 में जमीन खरीदना, बेचना और स्थानांतरण करना भी महंगा किया गया है। 350 रुपये के बजाय अब इसके 590 रुपये लगेंगे।

उल्लेखनीय है कि हर जिला उपायुक्त कार्यालय में हर महीने वसीयत, जमीन की खरीद और बेचने, स्थानांतरण के 15 से 20 मामले आते हैं। जबकि बोनाफाइड और अन्य प्रमाणपत्र के हजारों मामले आते हैं। पटवारी से वेरिफिकेशन के बाद तहसील और उपतहसील में तहसीलदार की ओर से यह जारी किए जाते हैं। नकल जमाबंदी, ततीमा लोगों को पटवारी और कानूनगो स्तर पर उपलब्ध कराए जाते हैं।

अतिक्रमण पर हाईकोर्ट सख्त, कब्जाधारकों को बेदखल करने के आदेश

 

 

 

himachal High court strict on encroachment, orders to evict the occupants

हिमाचल हाईकोर्ट ने सरकारी भूमि पर किए गए अतिक्रमण पर सख्त रुख अपनाते हुए पांच बीघा या इससे अधिक जमीन कब्जा जमाए लोगों को बेदखल करने के आदेश दिए हैं। खंडपीठ ने स्पष्ट किया है कि सरकारी भूमि पर 5 या 10 बीघा तक के अतिक्रमण को नियमित करने या उसे बरकरार रखने को न तो कोई नीति मौजूद है और न ही भविष्य में ऐसी कोई नीति बनाने का प्रस्ताव है। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश बिपिन चंद्र नेगी की विशेष खंडपीठ ने जगजीवन राम सहित सभी अतिक्रमणकारियों को 15 जुलाई तक बेदखल करने के आदेश दिए हैं।

खंडपीठ ने मुख्य सचिव को आवश्यक निर्देश जारी करने करते हुए कहा कि जगजीवन राम जैसे अन्य अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ बेदखली की कार्यवाही शुरू करें। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया गया है कि राज्य को ऐसे सभी व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए उच्च न्यायालय से नए बेदखली आदेश या अंतरिम सुरक्षा को रद्द करने के लिए संपर्क करने की आवश्यकता नहीं है। सरकार कोर्ट के आदेशों की अनुपालना रिपोर्ट 21 जुलाई को पेश करेंगे।

सरकारी भूमि पर अतिक्रमण को नियमित करने की नहीं कोई नीति
हाईकोर्ट में सरकार की ओर से बताया गया कि सरकारी भूमि पर अतिक्रमण को नियमित करने की कोई नीति नहीं है और न ही ऐसी कोई योजना नहीं है। न्यायालय में बताया गया कि 2017 में अधिसूचित मसौदा योजना के आधार पर भी कोई नियमितीकरण नीति बनाने का इरादा नहीं है। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं का 5 बीघा अतिक्रमित भूमि को अपने पास रखने का दावा निराधार है, क्योंकि यह एक गैर-मौजूदा योजना पर आधारित है और कानूनी रूप से अस्थिर है। न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि जगजीवन राम को दी गई अनुमति को किसी भी तरह से राज्य सरकार की ओर से प्रस्तावित नीति की वैधता को बरकरार रखने के रूप में नहीं माना जा सकता।

सरकारी चारागाह भूमि से अतिक्रमण हटाने के आदेश
हाईकोर्ट ने कुमारसैन तहसील के सराहां में चारागाह दरख्तन (पेड़ों वाली चरागाह भूमि) पर हुए अतिक्रमण से संबंधित तीन याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं ने सहायक कलेक्टर प्रथम श्रेणी-सह-तहसीलदार कुमारसैन की ओर से पारित बेदखली आदेश को चुनाैती दी है। लेकिन हाईकोर्ट ने उन्हें कोई राहत नहीं मिली। याचिकाकर्ताओं का मुख्य तर्क है कि जिस भूमि से उन्हें बेदखल किया जा रहा है, वह राजस्व रिकॉर्ड में असुरक्षित वन भूमि है, और 2018-19 की जमाबंदी में गांव के भूमिधारकों का कब्जा दिखाया गया है। उनका दावा है कि वे कृषि और अन्य पारंपरिक उपयोगों के लिए इस भूमि का उपयोग करने के हकदार हैं।

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