कांपते हाथों से मलबे में अपनों की तलाश, अब टूट रही उम्मीद
Mandi Cloudburst: कांपते हाथों से मलबे में अपनों की तलाश, अब टूट रही उम्मीद; देजी, थुनाग, रूशाड़ में मातम

आपदा के 11 दिन बाद भी सराज घाटी के प्रभावित गांवों में सन्नाटा पसरा है। देजी, थुनाग और रूशाड़ से लापता लोगों के घरों में मातम छाया है। हर आंख में आंसुओं का सैलाब है। बाढ़ ने न सिर्फ घर उजाड़े, बल्कि ऐसे जख्म दिए, जो शायद कभी न भरें। सरकारी आंकड़ों के अनुसार आपदा से अब तक 15 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 27 लोग लापता हैं। लोग कांपते हाथों से मलबे में अपनों की तलाश कर रहे हैं।
देजी गांव में बाढ़ ने दो परिवारों के 11 लोगों को छीन लिया। नौ लोग एक ही परिवार के थे। घर, खेत और बगीचे सब बह गए। रोपा में त्रिलोक, रूशाड़ में रोशन लाल, विशन जैसे नाम अब सिर्फ यादों में बचे हैं। लापता लोगों को ढूंढने के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ टीमें जुटी हुई हैं। अलग-अलग टीमें पहाड़ में मलबे के अलावा नदी नालों और मलबों के ढेर में तलाश कर रहे हैं। अपनों को तलाश करने में खुद परिजन भी जुटे हैं।
टेलर इंद्र सिंह की पत्नी और तीन बेटियां बाढ़ में बह गईं। उनका घर मलबे का ढेर बन गया। इंद्र अब उस जगह को देखना भी नहीं चाहता। बेटियों की यादें उसे हर पल सताती हैं। वह टूट चुका है, जीने की वजह खो चुका है।
मुकेश ने बेटी की सलाह मानी और थुनाग नहीं गया। फोन पर आखिरी बार बच्चों की आवाज सुनी। उनकी जुड़वां बेटियां और बेटा बाढ़ में लापता हो गए। पत्नी भुवनेश्वरी की बातें उसे कचोटती हैं। वह जिंदा है, पर जिंदगी से हारा हुआ है।
थुनाग बाजार से स्वर्ण सिंह और उनकी पत्नी मथरा व दो बच्चे बाढ़ में बह गए। स्वर्ण के पिता बाला राम टूटे घर के पास भटकते हैं। कानों में पोते अरुण और पोती सोनिया की आवाज गूंज रही है। वह एनडीआरएफ से हर दिन जवाब मांगते हैं। मुख्यमंत्री से गुहार लगा चुके हैं, पर उम्मीद टूट रही है।
रूशाड़ गांव की भावना का पति वीरेंद्र बाढ़ में लापता है। वीरेंद्र फार्मा कंपनी में काम करता था। उनका सात साल का बेटा बार-बार पूछता है कि पापा कहां गए? भावना के पास जवाब नहीं, केवल आंसुओं भरी खामोशी। लोग दिलासा देने आते हैं, पर वह बार-बार बेसुध हो जाती है। उसका घर अब मलबे का ढेर में तब्दील हो चुका है।
सराज विधानसभा क्षेत्र के तलबाड़ा गांव में 30 जून की भयंकर त्रासदी में नौ माह की नितिका अनाथ हो गई है। नितिका के पिता नरेश कुमार, दादी पुरणु देवी और माता की 30 जून रात बाढ़ में बह जाने से मौत हुई है। 9 माह की नितिका रसोई में सुरक्षित रहीं। इनके पिता, माता और दादी पानी का बहाव दूसरी तरफ मोड़ने में लगे थे और उसी समय पीछे से पानी आ गया और तीनों बह गए। सुबह लोगों ने बिटिया को रसोई में देखा और रिश्तेदारों ने उसे सुरक्षित निकाल लिया।
नाचन विस क्षेत्र के पंगलियुर गांव में 30 जून की रात को दो परिवारों के साथ नौ लोग बह गए। इनमें एक ही परिवार के सात सदस्य थे। इनमें से तीन परिजनों के शव मिले हैं। दूसरे परिवार में बुजुर्ग दंपती में से महिला का शव बरामद हुआ है।