Jul 23, 2025
HIMACHAL

हिमाचल में हर कर्मचारी को एक बार दुर्गम क्षेत्र में सेवाएं देना अनिवार्य

Himachal Pradesh: हिमाचल में हर कर्मचारी को एक बार दुर्गम क्षेत्र में सेवाएं देना अनिवार्य, निर्देश जारी

Himachal It is mandatory for every employee in Himachal to serve in a remote area once instructions issued

देशआदेश

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट की फटकार के बाद सरकार ने निर्देश जारी कर दिए हैं कि अब हर कर्मचारी और अधिकारी को अपने सेवाकाल के दौरान एक बार दुर्गम, ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों में सेवाएं देनी ही होंगी। पढ़ें पूरी खबर…

हिमाचल प्रदेश में अब हर कर्मचारी और अधिकारी को अपने सेवाकाल के दौरान एक बार दुर्गम, ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों में सेवाएं देना अनिवार्य कर दिया गया है। प्रदेश हाईकोर्ट की फटकार के बाद मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों और निगम-बोर्डों के प्रबंध निदेशकों को निर्देश जारी किए हैं। मुख्य सचिव ने स्पष्ट किया कि एक ही कर्मचारी को बार-बार दुर्गम और जनजातीय क्षेत्रों में तैनाती न दी जाए। निर्देशों का पालन न करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।

 

 

भारती राठौर बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य एवं अन्य मामले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के आदेशों के अनुपालन में राज्य सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के निष्पक्ष और संतुलित स्थानांतरण सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी किया है। मुख्य सचिव की ओर से जारी पत्र में सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों, संभागीय आयुक्तों, उपायुक्तों और बोर्डों, निगमों, सरकारी विश्वविद्यालयों व अन्य स्वायत्त निकायों के प्रबंध निदेशकों/मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को निर्देशों का सख्ती से पालन करने को कहा गया है।

 

 

 

 

यह फैसला हाईकोर्ट की ओर से कुछ कर्मचारियों की कथित मनमानी और बार-बार दुर्गम व आदिवासी क्षेत्रों में तैनाती को गंभीरता से न लेने के बाद उठाया गया है, जबकि कई कर्मचारी अपनी पूरी सेवा के दौरान ऐसी तैनाती से पूरी तरह बचते रहे। न्यायालय ने अपने आदेश में राज्य के सभी क्षेत्रों में कर्मचारियों की समान तैनाती की आवश्यकता पर जोर दिया है। सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि प्रत्येक कर्मचारी अपनी सेवा के दौरान कम से कम एक कार्यकाल जनजातीय या दुर्गम क्षेत्र में अवश्य पूरा करे। यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि किसी कर्मचारी को बार-बार ऐसे क्षेत्रों में न भेजा जाए, जिससे असंतोष और पक्षपात की भावना पैदा हो।

वर्तमान पोस्टिंग पैटर्न की समीक्षा करने को भी कहा
बता दें कि सरकार ने सभी विभागों को 10 जुलाई 2013 को जारी स्थानांतरण संबंधी व्यापक दिशानिर्देश (सीजीपी-2013), विशेष रूप से पैरा 12 और 12.1 की याद दिलाई है, जिसमें पहले से ही कर्मचारियों की सेवा के दौरान कम से कम एक बार जनजातीय, दुर्गम और दूरस्थ क्षेत्रों में अनिवार्य तैनाती का प्रावधान है। अब नए निर्देशों में दोहराया गया है कि स्थानांतरण आदेश सावधानी से जारी किए जाने चाहिए। मुख्य सचिव ने सभी विभागों से वर्तमान पोस्टिंग पैटर्न की समीक्षा करने को भी कहा है। उन्होंने कहा कि अनुपालन की निगरानी और शिकायतों का प्रभावी ढंग से समाधान करने के लिए एक डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम भी शुरू किया जा सकता है।

HP High Court: माजरा हिंसा मामले में बिंदल और सुखराम को सशर्त अग्रिम जमानत; अनुमति के बिना नहीं जा सकते विदेश

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल और पांवटा साहिब से विधायक सुखराम चौधरी समेत तीन अन्य को अग्रिम जमानत दे दी है। इन पर सिरमाैर जिला के माजरा थाना क्षेत्र के तहत धारा 163 का उल्लंघन का आरोप है। हाईकोर्ट के न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह ने 50,000 रुपये के निजी मुचलके के साथ सशर्त अग्रिम जमानत देते हुए बिंदल व सुखराम को जांच में सहयोग करने के निर्देश दिए हैं। एकल पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता अदालत की अनुमति के बिना विदेश नहीं जा सकते और किसी भी गवाह को प्रभावित करने का काम नहीं करेंगे। अदालत में स्पष्ट किया है कि इन शर्तों के उल्लंघन पर राज्य सरकार जमानत रद्द करने के लिए उचित आवेदन दाखिल करने के लिए स्वतंत्र होगी।

सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए कहा कि मामले की गंभीरता और समाज पर इसके संभावित प्रभावों को देखते हुए आरोपियों को राहत नहीं दी जानी चाहिए। पुलिस ने अपनी स्टेटस रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि भीड़ को भड़काने में इन व्यक्तियों की भूमिका थी। पुलिस ने बताया कि 13 जून को हुए पथराव के बाद डॉ. बिंदल ने 14 जून को प्रदर्शन का एलान किया था, जिससे सांप्रदायिक तनाव और बढ़ने की आशंका थी।

यह मामला 13 जून को माजरा पुलिस स्टेशन में एफआईआर से संबंधित है। पुलिस रिपोर्ट के अनुसार विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया था, जिसमें पुलिसकर्मियों को भी चोटें आई थीं। याचिकाकर्ताओं में डॉ. राजीव बिंदल, सुखराम चौधरी, अलका रानी, आशीष छतरी और इतिंदर ने अपनी गिरफ्तारी की आशंका जताते हुए अदालत से अग्रिम जमानत मांगी थी। उन्होंने तर्क दिया कि उन्हें राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण झूठा फंसाया गया है और उनका इससे कोई लेना-देना नहीं है।

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