मां ने रात डेढ़ बजे पुलिस को किया फोन
नशेड़ी बेटे को ले जाओ जेल; मर न जाए इसलिए लगाई गुहार

देशआदेश
साहब… मेरे नशेड़ी बेटे को जेल ले जाओ, नहीं तो वह मर जाएगा। एक बेबस मां ने खुद पुलिस को फोन करके अपने ही बेटे को सलाखों के पीछे भेजने की गुहार लगाई है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस कदर युवा नशे के दलदल में धंसते जा रहे हैं। अभिभावक भी बेबस हैं।
जिला शिमला के रहने वाले युवक को पुलिस ने कुछ समय पहले ही नशा तस्करी गिरोह के साथ संलिप्तता के मामले में गिरफ्तार किया था। जमानत मिलने के बाद जब युवक बाहर निकला तो उसने फिर से नशा लेना शुरू कर दिया है।


रात करीब डेढ़ बजे एसएसपी शिमला को फोन करके मां ने बताया कि उसे चिंता इस बात की है कि अगर वह इसी तरह से नशे का सेवन करता रहा तो वह असमय मौत का शिकार हो जाएगा। इसी वजह से वह चाहती है कि बेटा जेल में ही रहे, लेकिन किसी तरह से उसकी जान बच जाए।
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HP High Court: अनुबंध सेवाओं को 2 मई 2019 से नियमित करने के आदेश, विस्तार से जानें पूरा मामला
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अनुबंध पर नियुक्त पर्यवेक्षकों के नियमितीकरण में देरी को गलत ठहराया है। अदालत ने कहा कि समान भर्ती प्रक्रिया के तहत चयनित सभी उम्मीदवार, जिन्होंने निर्धारित समयसीमा के भीतर कार्यभार ग्रहण किया है, उन्हें एक ही श्रेणी में माना जाना चाहिए। कार्यभार ग्रहण करने की अलग-अलग तारीखों के आधार पर सेवाओं को नियमित करने में भेदभाव करना असांविधानिक है। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवॉल दुआ की अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि याचिकाकर्ताओं की अनुबंध सेवाओं को उनके सहकर्मियों के बराबर 2 मई 2019 से नियमित किया जाए। सभी संबंधित परिणामी लाभों को 6 सप्ताह के भीतर पूरा करने के आदेश दिए हैं।
न्यायाधीश दुआ की एकल पीठ ने कहा कि सभी सफल उम्मीदवार ने एक ही विज्ञापन के तहत आवेदन किया था और एक ही चयन प्रक्रिया के माध्यम से उनका चयन हुआ था। उन्हें 30 मार्च 2016 को एक समान नियुक्ति प्रस्ताव जारी किए गए थे और सभी को 16 अप्रैल 2016 तक कार्यभार ग्रहण करने का निर्देश दिया गया था। सफल उम्मीदवारों के बीच उनकी ज्वाइनिंग की अलग-अलग तारीखों के आधार पर भेदभाव करना संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 समानता का अधिकार का उल्लंघन है। अदालत ने सपना कुमारी व अन्य बनाम हिमाचल प्रदेश मामले में यह आदेश पारित किए हैं।
मामला : याचिकाकर्ताओं को 2015 में महिला एवं बाल विभाग में सुपरवाइजर के 69 पदों पर अनुबंध आधार पर नियुक्त किया गया था। हालांकि कुछ उम्मीदवारों ने जिन्हें 30 मार्च 2016 को ही नियुक्ति पत्र मिले थे, उन्होंने 31 मार्च 2016 और 1 अप्रैल को कार्यभार ग्रहण कर लिया था। इन की अनुबंध सेवाओं को 2 मई 2019 को नियमित कर दिया गया था। इसके विपरीत याचिकाकर्ताओं की अनुबंध सेवाओं को 11 अक्तूबर 2019 को नियमित किया गया। इस कारण याचिकाकर्ता अपने सहकर्मियों से 6 महीने पीछे हो गए।