इस बार रक्षाबंधन 09 अगस्त, शनिवार को मनाया जाएगा
Vastu Tips For Rakhi : भाई को राखी बांधते समय लगाएं कितनी गांठें? जानें राखी बांधने की सही दिशा
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Raksha Bandhan Vastu Tips: : रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के प्रेम और विश्वास का प्रतीक है, जो हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को बड़े ही उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से बहनों के लिए खास होता है, जब वे अपने भाई की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और सुरक्षा की कामना करते हुए उसकी कलाई पर राखी बांधती हैं। भाई भी अपनी बहन की रक्षा का वचन देता है और उपहार देकर उसे खुश करता है। इस साल रक्षाबंधन 09 अगस्त, शनिवार को मनाया जाएगा और खास बात यह है कि इस बार भद्रा का दोष नहीं है, यानी राखी बांधने के लिए शुभ मुहूर्त पूरे दिन उपलब्ध रहेगा।
हर साल की तरह इस बार भी लोगों के मन में राखी से जुड़ी कई पारंपरिक और धार्मिक जिज्ञासाएं हैं, जैसे राखी बांधते समय कितनी गांठ लगानी चाहिए, किस दिशा में मुंह करके राखी बांधनी चाहिए, और राखी का धागा कब खोलना चाहिए? ऐसे ही कुछ आम लेकिन जरूरी सवालों के जवाब हम इस लेख में विस्तार से जानेंगे, जिससे आप रक्षाबंधन के इस पावन पर्व को सही विधि और परंपरा के अनुसार मना सकें।

राखी बांधने से पहले दिन और समय (मुहूर्त) जरूर देखें – फोटो : adobe stock
राखी बांधते समय किन बातों का रखें ध्यान
- राखी बांधते समय भाई के सिर पर कोई रुमाल या कपड़ा ज़रूर रखें, इसे शुभ माना जाता है।
- प्लास्टिक या टूटी हुई राखी शुभ नहीं मानी जाती।
- सोने, चांदी या किसी और धातु की राखी सीधे नहीं बांधनी चाहिए।
- राखी सूत या कपास के पवित्र धागे से बनी होनी चाहिए। चाहें तो पहले सूत की राखी बांधकर बाद में सजावटी राखी (सोने-चांदी वाली) बांध सकती हैं।
- राखी बांधने से पहले दिन और समय (मुहूर्त) जरूर देखें, खासकर यह ध्यान रखें कि भद्रा काल में राखी न बांधें, क्योंकि यह समय अशुभ माना जाता है।
- राखी बांधते समय भाई का दाहिना हाथ नीचे की ओर रखा होना चाहिए।
- राखी बंधवाने के बाद भाई को चाहिए कि वह अपनी बहन के पैर छूकर उसका आशीर्वाद ले।

हर गांठ के साथ बहन भाई के लिए स्वास्थ्य, सुख और लंबी उम्र की प्रार्थना करती है। – फोटो : instagram
राखी बांधते समय कितनी गांठ लगानी चाहिए
- राखी बांधते समय तीन गांठें लगाना शुभ माना जाता है।
- ये तीन गांठें त्रिदेव- ब्रह्मा, विष्णु और महेश को समर्पित होती हैं।
- हर गांठ के साथ बहन भाई के लिए स्वास्थ्य, सुख और लंबी उम्र की प्रार्थना करती है।
- तीन गांठें लगाने से भाई-बहन का रिश्ता और अधिक मजबूत होता है।
- यह परंपरा राखी के बंधन को धार्मिक और भावनात्मक दोनों रूपों में विशेष बनाती है।

राखी बांधते समय भाई का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। – फोटो : Adobe stock
किस दिशा में बैठकर बांधें राखी
सनातन धर्म में दिशा का विशेष महत्व बताया गया है। किसी भी पूजा-पाठ, अनुष्ठान या शुभ कार्य को करते समय दिशाओं का ध्यान रखना आवश्यक होता है, क्योंकि यह माना जाता है कि सही दिशा में बैठकर कार्य करने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। रक्षाबंधन के अवसर पर भी यह निर्देश दिए गए हैं कि राखी बांधते समय भाई का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
सनातन धर्म में दिशा का विशेष महत्व बताया गया है। किसी भी पूजा-पाठ, अनुष्ठान या शुभ कार्य को करते समय दिशाओं का ध्यान रखना आवश्यक होता है, क्योंकि यह माना जाता है कि सही दिशा में बैठकर कार्य करने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। रक्षाबंधन के अवसर पर भी यह निर्देश दिए गए हैं कि राखी बांधते समय भाई का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।

जब भाई पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठता है, तो वह सूर्य की सकारात्मक ऊर्जा को प्राप्त करता है. – फोटो : adobe stock
पूर्व दिशा को क्यों माना गया है शुभ?
पूर्व दिशा को सूर्योदय की दिशा माना जाता है। सूर्य, जीवन शक्ति, नई शुरुआत और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। इसी दिशा से दिन की शुरुआत होती है, जो विकास, उजाला और आशा का संकेत देती है। जब भाई पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठता है, तो वह सूर्य की सकारात्मक ऊर्जा को प्राप्त करता है, और बहन द्वारा बांधी गई राखी के साथ उसकी रक्षा और कल्याण के संकल्प और भी शक्तिशाली बन जाते हैं।
धार्मिक ग्रंथों में भी यह उल्लेख मिलता है कि पूर्व दिशा में मुख करके किया गया पूजन या कोई भी शुभ कार्य अधिक फलदायी होता है। राखी बांधते समय भी इस नियम का पालन करने से बहन द्वारा की गई प्रार्थना, रक्षा सूत्र की शक्ति और तिलक का प्रभाव अधिक प्रभावशाली होता है। यह भाई को दीर्घायु, निरोगता और सफलता प्रदान करता है।
पूर्व दिशा को सूर्योदय की दिशा माना जाता है। सूर्य, जीवन शक्ति, नई शुरुआत और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। इसी दिशा से दिन की शुरुआत होती है, जो विकास, उजाला और आशा का संकेत देती है। जब भाई पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठता है, तो वह सूर्य की सकारात्मक ऊर्जा को प्राप्त करता है, और बहन द्वारा बांधी गई राखी के साथ उसकी रक्षा और कल्याण के संकल्प और भी शक्तिशाली बन जाते हैं।
धार्मिक ग्रंथों में भी यह उल्लेख मिलता है कि पूर्व दिशा में मुख करके किया गया पूजन या कोई भी शुभ कार्य अधिक फलदायी होता है। राखी बांधते समय भी इस नियम का पालन करने से बहन द्वारा की गई प्रार्थना, रक्षा सूत्र की शक्ति और तिलक का प्रभाव अधिक प्रभावशाली होता है। यह भाई को दीर्घायु, निरोगता और सफलता प्रदान करता है।