Sep 8, 2024
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गिरिपार में बूढ़ी दिवाली का आगाज, सात दिन चलेगा पर्व, मेहमाननवाजी का दौर भी शुरू

गिरिपार में बूढ़ी दिवाली का आगाज, सात दिन चलेगा पर्व, मेहमाननवाजी का दौर भी शुरू

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जनपद सिरमौर के गिरिपार इलाके में बूढ़ी दीपावली पर्व का शनिवार को आगाज हो गया। सात दिन चलने वाले इस पर्व के दौरान ग्रामीण खूब मस्ती करेंगे। इसके साथ ही घर-घर मेहमाननवाजी का दौर भी शुरू हो गया है।

शनिवार की मध्य रात्रि मशाल यात्रा के साथ इस पारंपरिक उत्सव को धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। रात करीब दो बजे पांडव पक्ष के शाठी लोग मध्यरात्रि को मशाल जुलूस निकालकर बलिराज का पुतला फुंकेंगे। वहीं, कौरव पक्ष पांशी समुदाय के लोग ब्रह्म मुहूर्त में मशाल यात्रा निकालेंगे। मशाल जुलूस का समय निर्धारित होता है। इस यात्रा से पूर्व रात के समय साझा आंगन या किसी सार्वजनिक स्थल पर केवल पुरुष ही एकत्रित होकर अश्लील गीत बांदरी आरंभ कर देते हैं। इसके कारण घरों में दुबके लोगों को मजबूरन मशाल यात्रा (होलड़ात) में शामिल होना जरूरी है।

 

बता दें कि दीपावली से एक माह पूर्व गिरिपार क्षेत्र में बूढ़ी दीपावली की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। गृहिणियां धान के चिवड़ा, गेहूं को उबालकर उसे सूखाने के बाद भून कर मूड़ा बनाया जाता है। शाकुली (पापड़) और चावलों की खीलें भी बनाई जाती हैं, जो अखरोट और भांग के साथ घर में आने वाले सभी मेहमानों और आगंतुकों को पूरे माह परोसा जाता है।

गांव की विवाहित लड़कियों को मूड़ा भेजा जाता है, उसके बाद ही वह अपने मायके आती हैं। करीब ढाई लाख की आबादी वाले ग्रेटर सिरमौर अथवा गिरिपार के शिलाई, आंज-भौज, संगड़ाह, कमरउ, रोनहाट व राजगढ़ क्षेत्र के अलावा उत्तराखंड के जौंसार बाबर और शिमला व कुल्लू जिला के कुछ गांवों में भी अलग-अलग स्थानों पर बूढ़ी दिवाली मनाई जाती है। इस दौरान सातों दिन बुड़ेछू नृत्य और सांस्कृतिक संध्याओं का भी आयोजन होगा।

Originally posted 2021-12-04 22:50:07.