एचपीएमसी: जापान को पहली बार सेब जूस निर्यात करेगा हिमाचल
जापान को होगा 250 मीट्रिक टन जूस का निर्यात, लेकिन बागवानों को सेब का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलने की उम्मीद कम
न्यूज़ देश आदेश, शिमला
सरकार का उपक्रम हिमाचल प्रदेश उद्यान उपज विपणन एवं विधायन निगम (एचपीएमसी) जापान की जूस की मांग के अनुसार आपूर्ति करेगा। वर्तमान में निगम सीजन में अधिकतम करीब 1200 मीट्रिक टन सेब कंसंट्रेट जूस तैयार करता है।
इस बार सीजन में एचपीएमसी ने अभी तक बागवानों से करीब 13 हजार मीट्रिक टन सेब मंडी मध्यस्थता योजना (एमआईएस) के तहत 9.50 रुपये प्रति किलो के हिसाब से खरीदा है।
हिमाचल प्रदेश में सेब के गिरते दाम के बाद सरकार किरकिरी से बचनेे के लिए अब विदेशों में जूस कारोबार की संभावनाएं तलाश रही है। इसी क्रम में हिमाचल प्रदेश सरकार स्विट्जरलैंड की कंपनी के बाद जापान को सेब का जूस निर्यात करेगी। इसके लिए जापान के अधिकारियों से कई दौर की वार्ता हो चुकी है। अब जापान को सेब जूस के सैंपल भेजकर ऑर्डर लिया जाएगा।
इससे पहले प्रदेश से स्विट्जरलैंड की कंपनी को 120 मीट्रिक टन जूस भेजा जा रहा था। सरकार का उपक्रम हिमाचल प्रदेश उद्यान उपज विपणन एवं विधायन निगम (एचपीएमसी) जापान की जूस की मांग के अनुसार आपूर्ति करेगा।
वर्तमान में निगम सीजन में अधिकतम करीब 1200 मीट्रिक टन सेब कंसंट्रेट जूस तैयार करता है। इस बार सीजन में एचपीएमसी ने अभी तक बागवानों से करीब 13 हजार मीट्रिक टन सेब मंडी मध्यस्थता योजना (एमआईएस) के तहत 9.50 रुपये प्रति किलो के हिसाब से खरीदा है। हर रोज अकेला एचपीएमसी का परवाणू संयंत्र हर रोज करीब 20 मीट्रिक टन सेब जूस तैयार कर रहा है। सीजन में अभी तक कुल 200 मीट्रिक टन कंसंट्रेट जूस का उत्पादन किया जा चुका है।
जापान को होगा 250 मीट्रिक टन जूस का निर्यात
एचपीएमसी के जूस सैंपल को हरी झंडी मिलते ही इस साल करीब 250 मीट्रिक टन सेब कंसंट्रेट जूस जापान को निर्यात किया जाएगा। निगम देश की नामी कंपनियों को भी सेब जूस बेचता है।
क्या कहते हैं एचपीएमसी के प्रबंध निदेशक
एचपीएमसी के प्रबंध निदेशक राजेश्वर गोयल कहते हैं कि निगम पहली बार जापान को सेब का कंसंट्रेट जूस निर्यात करेगा। जापान से कई दौर की वार्ता हो चुकी है और जूस का सैंपल मंजूर होते ही आपूर्ति शुरू कर दी जाएगी।
बागवानों को सेब का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलने की उम्मीद कम
हिमाचल प्रदेश सरकार बागवानों को सेब का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) देने के मूड में नहीं लग रही। बागवानी विभाग के अधिकारियों की ओर से अन्य राज्यों का अध्ययन करने के बाद फिलहाल यही निष्कर्ष निकल रहा है।
बागवान सेब के एमएसपी को लेकर सड़कों पर उतरने की तैयारी में हैं। दूसरी ओर सरकार सेब बागवानों को अच्छे सेब का न्यूनतम समर्थन मूल्य देने के पक्ष में नहीं हैं। इधर, जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर एमएसपी देने की बात प्रदेश के बागवान करते रहे हैं। हिमाचल बागवानी विभाग के निदेशक जेपी शर्मा ने कहा कि अन्य राज्यों और केंद्र की एमएसपी योजना का अध्ययन किया गया है।
केंद्र सरकार खराब होने वाली फसलों खासकर सब्जी और फलों का एमएसपी नहीं देती हैै। गेहूं, धान और मक्की जैसी खराब न होने वाली कुछ ही फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य देती है। प्रदेश में सिर्फ सी ग्रेड के सेब को ही मंडी मध्यस्थता योजना (एमआईएस) में कवर किया गया है। विधायन योग्य सेब सरकार 9.50 रुपये प्रति किलो के हिसाब से खरीद रही है। हिमाचल प्रदेश सब्जी एवं फल उत्पादक संघ के अध्यक्ष हरीश चौहान ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर सूबे के सेब बागवानों को भी एमएसपी दिया जाए
Originally posted 2021-09-07 23:15:37.