Nov 22, 2024
HIMACHAL

शिक्षकों को स्टे तोड़ने के लिए 30 किमी दूर जाना जरूरी

हिमाचल में शिक्षकों को स्टे तोड़ने के लिए 30 किलोमीटर दूर जाना जरूरी, नए नियम अधिसूचित

लंबागांव में लड़की वालों ने बिना दुल्हन लौटा दी बारात, जानें पूरा मामला

 

हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में सेवारत शिक्षकों को अब स्टे तोड़ने के लिए 30 किलोमीटर दूर जाना अनिवार्य हो गया है।

शहरों के आसपास टिके शिक्षकों को दूरदराज के क्षेत्रों में भेजने की शुक्रवार को शिक्षा सचिव ने अधिसूचना जारी की। करीब 80 हजार शिक्षकों के तबादले करने के लिए सरकार ने नये नियम तय किए हैं।

आपसी सहमति से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित स्कूलों में तबादले करवाने वाले शिक्षकों की सरकार ने परेशानी बढ़ा दी है।

 

इन तबादलों के लिए सरकार ने नई शर्त जोड़ दी है। इसके तहत यदि कोई शिक्षक एक स्कूल में अपना तीन साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही अपना तबादला 30 किलोमीटर के दायरे के स्कूल में ही करवा लेता है तो उसका स्टे नहीं टूटेगा।

इस तरह के शिक्षकों को शिक्षा विभाग कभी भी बदल सकेगा। शहरों के आसपास सटे स्कूलों में ही सेवाएं देने वाले शिक्षकों को थोड़ा और बाहर के क्षेत्रों में भेजने के लिए सरकार ने तबादला नीति में बदलाव किया है।

लंबागांव में लड़की वालों ने बिना दुल्हन लौटा दी बारात, जानें पूरा मामला

 

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के विकास खंड लंबागांव के एक गांव में सेहरा बांधकर आए दूल्हे को बिना दुल्हन के बैरंग लौटना पड़ा।

बताया जा रहा है कि करीब एक साल पहले लड़की का रिश्ता दूर के दूसरे गांव में तय हुआ था। रिश्ता तय होने पर लड़के वालों ने लड़के का बहुत बड़ा कारोबार होने की बात कही थी।

इसी बीच लड़की वाले जब भी लड़के को देखने की बात करते तो लड़के वाले उसका बिजनेस के सिलसिले में बाहर होने की बात कह कर टाल देते। नतीजतन बरात पहुंचने तक लड़के वालों ने लड़की वालों को लड़का देखने ही नहीं दिया।

लड़की के घर बरात पहुंचने पर जब लड़के को नहाने के लिए कहा गया, तब भी लड़के के पक्ष वाले उसकी तबीयत ठीक नहीं होने की बात कहते टालमटोल करने लगे।

इससे लड़की के रिश्तेदारों और गांव वालों को कुछ शक होने लगा। देखते ही देखते लड़की वालों को इस बात का एहसास हो गया कि लड़का न तो बोल पा रहा है और न ही ठीक से खड़ा होकर चल पा रहा है।

 

इस सारे घटनाक्रम को देखकर लड़की पक्ष को यकीन हो गया कि शादी के नाम पर उनके साथ धोखा हो रहा है।

जब सारी बात का भेद शादी की रस्मों से पहले ही खुल गया तो लड़की वाले असमंजस में पड़ गए। इतने में जब लड़की को इस बात का पता चला तो उसने साहस दिखाते हुए शादी करने से इंकार कर दिया। लड़की के पिता सहित गांववासी और रिश्तेदार भी लड़की के निर्णय से सहमत हो गए।

लड़के वालों को बरात वापस ले जाने के लिए कह दिया गया। थोड़ी बहुत बातचीत के बाद लड़के वाले भी बरात वापस ले जाने को सहमत हो गए।

नतीजतन पंचायत सदस्यों को मौके पर बुलाया गया और उनके समझाने-बुझाने पर बरात बिना खाना खाए ही बिना दुल्हन के वापस लौट गई।

लड़के के दिव्यांग होने पर लड़की सहित उसके परिजनों ने घर आई बरात को बिना दुल्हन के लौटा दिया। संबंधित पंचायत के उपप्रधान ने इसके बारे में बताया कि वह स्वयं वार्ड सदस्य के साथ मौके पर गए थे।

उन्होंने कहा कि अगर यह शादी हो जाती तो लड़की उम्रभर के लिए बड़ी मुसीबत में घिर जाती। लड़की के परिजनों की ओर से लिए गए इस साहसिक निर्णय की हर जगह सराहना हो रही है।