Nov 22, 2024
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फॉरेस्ट क्लीयरेंस, एनओसी के बाद केंद्र को जाएगी सड़कों की डीपीआर

फॉरेस्ट क्लीयरेंस, एनओसी के बाद केंद्र को जाएगी सड़कों की डीपीआर

फॉरेस्ट क्लीयरेंस और एनओसी मिलने के बाद ही विकास कार्यों की डीपीआर तैयार होगी। इसके बाद ही इसे मंजूरी के लिए केंद्र को भेजा जाएगा।

विधायकों ने लोक निर्माण विभाग को सड़कों को लेकर प्राथमिकताएं दी हैं। इसमें कई सड़कें ऐसी हैं, जहां वन विभाग की जमीन है। कहीं लोगों की जमीन आड़े आ रही है।

ऐसे में विभाग ने अधीक्षण और अधिशाषी अभियंताओं को निर्देश दिए हैं कि वह पहले सभी औपचारिकताएं पूरी करें, उसके बाद ही सड़क की डीपीआर तैयार होगी।

 

प्रदेश सरकार की सैकड़ों ऐसी स्कीमें हैं जो केंद्र में फंसी हैं। इनमें कई की फॉरेस्ट क्लीयरेंस नहीं है तो कई दूसरी औपचारिकताएं में फंस गई हैं।

विभाग के अधिकारियों का मानना है कि आधी अधूरी डीपीआर भेजने से केंद्र सख्त रुख अपनाए हुए है। दस्तावेज पूरे होने से न तो केंद्र में सड़कों की डीपीआर फंसेगी और न ही निर्माण कार्य में बाधाएं आएंगी। हिमाचल में करीब ढाई सौ गांव ऐसे हैं, जो सड़क सुविधा से नहीं जुड़े हैं।

 

इनमें कई सड़कें फॉरेस्ट क्लीयरेंस से फंसी हैं। कई ऐसी सड़कें हैं, जिनका निर्माण शुरू तो किया गया, लेकिन बीच में ही रुक गया।

इसका कारण बीच में लोगों की जमीन आने का कारण बताया गया है। सरकार ने औपचारिकताएं पूरी करने के लिए स्थानीय निकायों और ग्राम पंचायत की भागीदारी को भी सुनिश्चित किया है।

उल्लेखनीय है कि सरकार हर साल विधायकों से प्राथमिकताएं मांगती है। इसमें विधायक सड़क, पानी की स्कीम आदि प्राथमिकताएं देते हैं। इसके बाद इन प्राथमिकताओं को संबंधित विभाग को भेजा जाता है।

बाकायदा, स्थानीय नेताओं और विधायकों की ओर से विभाग पर डीपीआर बनाने का दबाव बनाया जाता है। ऐसे में विभाग की ओर से यह डीपीआर तैयार की जाती है, लेकिन इन डीपीआर में केंद्र की ओर से आपत्तियां लगाई जाती हैं।

लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर इन चीफ अजय गुप्ता ने बताया कि फील्ड के इंजीनियरों को पहले सारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद ही सड़कों की डीपीआर तैयार करने के लिए कहा गया है।