Oct 18, 2024
HIMACHAL

सनसनीखेज खुलासे: कई उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षा कम, नशा बिक रहा ज्यादा

हिमाचल के कई उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षा कम, नशा बिक रहा ज्यादा, एसपी ने किए सनसनीखेज खुलासे

आरोप : प्राइवेट नशा मुक्ति केंद्रों में भी बिकता है नशा

नशे से निपटने के लिए ठोस नीति जरूरी: रोहित ठाकुर

नशे से युवाओं को बचाने के लिए सुखाश्रय की तर्ज पर सरकारी नशा मुक्ति केंद्र खोलना जरूरी

न्यूज़ देशआदेश

हिमाचल में नशा उन्मूलन अभियान के शुभारंभ पर पुलिस मुख्यालय में तैनात पुलिस अधीक्षक रमेश छाजटा ने कई सनसनीखेज खुलासे किए। उन्होंने कहा कि प्रदेश के कई उच्च और तकनीकी शिक्षण संस्थानों में शिक्षा से ज्यादा नशा बिक रहा है।

उन्होंने यहां तक कहा कि सोलन जिले के एक निजी विश्वविद्यालय में 70 फीसदी और एक तकनीकी कॉलेज के 80 फीसदी छात्र नशे की गिरफ्त में हैं। इन संस्थानों में छात्र डिग्री नहीं, नशे की लत लेकर घर लौट रहे हैं। यह बात उन्होंने प्रशिक्षण के लिए सोलन आए पुलिस अधिकारियों ने सामने लाई थी। तब वह जिला सोलन में एसपी पद पर तैनात थे।

उन्होंने कहा कि नशे को रोकने के लिए कानून में संशोधन की जरूरत है। चिट्टा के नशे की लत छुड़ाने के लिए नशे की दवा के इस्तेमाल की मंजूरी देना जरूरी है।

नशे के खिलाफ प्रदेश में शुरू हुए पुलिस के नशा उन्मूलन अभियान के शुभारंभ पर छाजटा ने कहा कि प्रदेश में चिट्टा के नशे में फंसे युवाओं को बचाने के लिए सरकारी नशा मुक्ति केंद्र खोलना जरूरी है, जो सुखाश्रय की तर्ज पर काम करे। नशे के जाल में फंसे युवाओं के अभिभावक बच्चों को बचाना चाहते हैं।

सभी बच्चों को निजी नशा मुक्ति केंद्र में नहीं भेज सकते हैं। ऐसे लोगों की मदद के लिए सरकार नशा मुक्ति केंद्र खोले। अस्पतालों में इलाज के बाद एक बटालियन में इन युवाओं को एक साल तक रखकर सुधारा जाए। उनके काम लिया जाए और योग करवाया जाए, जिससे नौ माह बाद वे नशा मुक्त होकर अच्छे नागरिक बन सकें। इसके लिए पुलिस, विधि अधिकारी, डाक्टरों आदि की कमेटी बनाकर केंद्रों का संचालन करे।

आरोप : प्राइवेट नशा मुक्ति केंद्रों में भी बिकता है नशा

छाजटा ने कहा कि प्राइवेट नशा मुक्ति केंद्रों में भी युवाओं को नशा बेचा जाता रहा है। अभिभावक यह सोचकर बच्चों को यहां भेजते हैं कि इनमें बच्चे नशा छोड़ देंगे, लेकिन उनकी स्थिति ज्यादा खराब होती है।

कई अभिभावक बच्चों को तड़पता देख माफिया से मजबूरी में नशे की डोज मांग रहे हैं। नशे की लत छुड़ाने के लिए नशीले दवाएं उपचार में दी जाती हैं, लेकिन यह दवाओं की ओवर डोज ली जाए तो भी युवा नशे में फंसते हैं। पांच ग्राम चिट्ना के साथ युवा नोटिस देकर छूट जाते हैं और वह फिर नशे में जकड़ जाते हैं। ऐसी स्थिति में कानून में संशोधन की जरूरत है युवाओं को मेडिकल मदद की जरूरत रहती है।

नशे से निपटने के लिए ठोस नीति जरूरी: रोहित ठाकुर

हिमाचल में नशे के खिलाफ शनिवार से पुलिस अभियान छेड़ा और युवाओं को इससे दूर रहने के लिए जागरूक किया।

शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि रहे। उन्होंने कहा कि नशे से निपटने के लिए ठोस नीति जरूरी है।

इसके अलावा अधिकारियों ने नशा मु्क्ति को लेकर मंथन किया और अपना अहम सुझाव भी दिए।

राज्य पुलिस प्रदेश में नशीले पदार्थों की तस्करी करने वालों पर तेज कार्रवाई करने, पड़ोसी राज्यों की सीमाओं पर दिन रात चौकसी भी रहेगी और प्रदेश में नशीले पदार्थों की तस्करी करने वालों पर भी पैनी नजर रखने का संकल्प लिया।


10 मई को जिला और 24 मई को रेंज स्तर पर नशा उन्मूलन को लेकर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

16 से 25 साल की नशा संबंधित शिकायतों का निवारण करने को पोर्टल खोला जाएगा।

इस मौके पर प्रमुख शिक्षण संस्थानों आईआईटी मंडी, आईआईएम सिरमौर, शूलिनी विश्वविद्यालय, चितकारा विवि, राष्ट्रीय विधि विवि, संजौली डिग्री कॉलेज आरकेएमवी कोटशेरा कॉलेज, सेंट बीट्स कालेज के विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया।

इनके अलावा समाज शास्त्री और कानूनविदों ने हिस्सा लिया। 26 जून को शिमला में नशा उन्मूलन के तीन सर्वश्रेष्ठ प्रस्तावों को पुरस्कृत किया जाएगा। पहले पुरस्कार के रूप में 1.5 लाख रुपये, दूसरे को 1 लाख और तीसरे को 75 हजार दिए जाएंगे।

डीजीपी संजय कुंडू ने कहा कि वर्ष 2019 में देश भर में नशे से पीड़ित लोग 7 करोड़ थे। नशे से लड़ना जरूरी हो गया है।