आज बजट हो सकता है रिलीज रुके प्रस्तावों को मिलेगी मंजूरी
विधायक निधि के रुके प्रस्तावों को मिलेगी मंजूरी

लंबे इंतजार के बाद राज्य में विधायक निधि से संबंधित बजट की राह आखिरकार खुलने जा रही है। छह नवंबर को बजट रिलीज किया जा सकता है। इसके साथ ही पिछले एक महीने से उपायुक्तों के पास लंबित कई मंजूरियां भी आगे बढ़ेंगी। अब तक ट्रेजरी से विकास खंडों के लिए निधि जारी नहीं हो रही थी, जिससे विभिन्न विकास कार्य अधर में लटके हुए थे।
वित्त विभाग ने विधायक क्षेत्र विकास निधि (एमएलए लैड) के तहत स्वीकृत योजनाओं के बजट को रोक रखा था। इसका सीधा असर जमीनी स्तर पर चल रहे कार्यों पर पड़ रहा था। विभिन्न विभागों विशेषकर पंचायतों, लोक निर्माण, जलशक्ति और शिक्षा विभाग की परियोजनाएं मंजूरी के बावजूद शुरू नहीं हो पा रही थीं। उपायुक्तों को इन योजनाओं के प्रस्ताव तो प्राप्त हो रहे थे, लेकिन ट्रेजरी से फंड न खुलने के कारण वे इन्हें क्रियान्वित नहीं कर पा रहे थे। वित्त विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार कोषागार से राशि रिलीज न होने का मुख्य कारण तकनीकी अनुमोदन और वित्तीय संतुलन की प्रक्रिया बताई जा रही थी।
अब यह प्रक्रिया लगभग पूरी कर ली गई है और छह नवंबर को निधि जारी होने की संभावना है। कई जिलों में विधायक निधि से संबंधित लगभग दो से तीन करोड़ रुपये तक की राशि रुकी हुई है। विधायक लगातार इस मामले को लेकर सरकार और वित्त विभाग से संपर्क बनाए हुए थे। बजट जारी होने के बाद सबसे पहले वे प्रस्तावों को प्राथमिकता दी जाएगी, जिनकी मंजूरी पहले से मिल चुकी है और जो केवल फंड की प्रतीक्षा में हैं। जिन प्रस्तावों की फाइलें अभी वित्त विभाग में लंबित हैं, उन्हें बाद में निपटाया जाएगा।
सरकार के इस कदम से पंचायत स्तर तक रुके हुए निर्माण कार्यों को राहत मिलेगी। सड़कों के मरम्मत कार्य, स्कूलों और पंचायत भवनों के निर्माण सहित पेयजल योजनाओं को अब नई गति मिलने की उम्मीद है। वित्त विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि वीरवार को विभिन्न योजनाओं के लिए बजट रिलीज किया जा सकता है।
बरसात खत्म होते ही हिमाचल में 25 फीसदी तक घट गया बिजली उत्पादन, सूबे में बढ़ी डिमांड
बरसात का मौसम खत्म होते ही हिमाचल प्रदेश में बिजली उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई है। प्रदेश में जल विद्युत परियोजनाओं से रोजाना उत्पादन 25 फीसदी तक घट गया है। जहां बीते माह तक राज्य में औसतन 350 लाख यूनिट बिजली का दैनिक उत्पादन हो रहा था, वहीं अब यह घटकर 250 से 260 लाख यूनिट प्रतिदिन रह गया है।
हिमाचल की अधिकांश जल विद्युत परियोजनाएं बरसाती जल स्रोतों पर निर्भर हैं। मानसून की समाप्ति और नदियों में जलस्तर घटने के कारण टरबाइन फुल क्षमता से नहीं चल पा रही हैं। नतीजतन, प्रदेश में बिजली की उपलब्धता पर असर पड़ा है। तापमान में गिरावट और ठंडक बढ़ने के साथ प्रदेश में बिजली की मांग 330 से 340 लाख यूनिट प्रतिदिन तक पहुंच गई है। घरेलू उपभोक्ताओं द्वारा हीटर, गीजर और अन्य उपकरणों के इस्तेमाल बढ़ने से खपत लगातार बढ़ रही है।
ऐसे में उत्पादन और मांग के बीच करीब 70 से 80 लाख यूनिट प्रतिदिन का अंतर बन गया है। इस कमी को पूरा करने के लिए हिमाचल प्रदेश विद्युत बोर्ड ने पंजाब और छत्तीसगढ़ से रोजाना 50 से 60 लाख यूनिट बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित की है। गर्मियों में हिमाचल ने इन राज्यों को बैंकिंग व्यवस्था के तहत बिजली दी थी, जिसे अब वापस लिया जा रहा है। गर्मियों में जब जलविद्युत परियोजनाएं पूरी क्षमता पर चल रही थीं, तब हिमाचल ने अतिरिक्त बिजली पंजाब, हरियाणा और छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों को बैंकिंग पर दी थी। अब इन राज्यों से वही बिजली वापस ली जा रही है ताकि मौजूदा मांग पूरी की जा सके।
प्रदेश सरकार और बिजली बोर्ड ने खुले बाजार से भी बिजली खरीदने की प्रक्रिया शुरू की है। इसके लिए इंडियन एनर्जी एक्सचेंज के जरिये रोजाना आवश्यक मात्रा में खरीद की जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि जैसे-जैसे तापमान और घटेगा बिजली की मांग में और वृद्धि हो सकती है। ऐसे में दिसंबर-जनवरी के दौरान हिमाचल को और अधिक बिजली बाहर से खरीदनी पड़ सकती है।
हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड ने उपभोक्ताओं से अपील की है कि वे अनावश्यक बिजली खपत से बचें। विशेषकर घरेलू उपभोक्ता ऊर्जा दक्ष उपकरणों का इस्तेमाल करें ताकि घाटे की भरपाई में मदद मिल सके।

