हनुमान जन्मोत्सव आज, हर संकट से मुक्ति के लिए करें संकटमोचन हनुमानाष्टक का पाठ
हनुमान जन्मोत्सव आज, हर संकट से मुक्ति के लिए करें संकटमोचन हनुमानाष्टक का पाठ
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Hanuman Ashtak Lyrics: 06 अप्रैल 2023 को भगवान हनुमान का जन्म उत्सव मनाया जा रहा है। अंजनिपुत्र भगवान हनुमान का जन्म चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हुआ था। हनुमान जी को भगवान शिव का 11वां रुद्रावतार माना जाता है।
मान्यता है कि कलयुग में हनुमान जी ही एकमात्र जीवित देवता हैं। हनुमान जन्मोत्सव के दिन जो भी व्यक्ति श्रद्धापूर्वक बजरंगबली की पूजा-अर्चना करता है, उसे पवनपुत्र हनुमान की कृपा प्राप्त होती है। हनुमान जी जल्द प्रसन्न होने वाले देव हैं। वे अपने भक्तों के बिगड़े हुए काम बनाने में देर नहीं करते।
यदि आप हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो हनुमान जयंती पर हनुमानाष्टक का पाठ करें। किसी भी प्रकार का संकट हो संकटमोचन हनुमानाष्टक का पाठ अत्यंत प्रभावकारी है।
संकटमोचन हनुमान अष्टक
बाल समय रवि भक्षी लियो तब,
तीनहुं लोक भयो अंधियारों।
ताहि सों त्रास भयो जग को,
यह संकट काहु सों जात न टारो।
देवन आनि करी बिनती तब,
छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो ॥ १ ॥
बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि,
जात महाप्रभु पंथ निहारो।
चौंकि महामुनि साप दियो तब,
चाहिए कौन बिचार बिचारो।
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु,
सो तुम दास के सोक निवारो ॥ २ ॥
खोज कपीस यह बैन उचारो।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु,
बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो।
हेरी थके तट सिन्धु सबे तब,
लाए सिया-सुधि प्राण उबारो ॥ ३ ॥
रावण त्रास दई सिय को सब,
राक्षसी सों कही सोक निवारो।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु,
जाए महा रजनीचर मरो।
चाहत सीय असोक सों आगि सु,
दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो ॥ ४ ॥
बान लाग्यो उर लछिमन के तब,
प्राण तजे सूत रावन मारो।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत,
तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो।
आनि सजीवन हाथ दिए तब,
लछिमन के तुम प्रान उबारो ॥ ५ ॥
रावन जुध अजान कियो तब,
नाग कि फाँस सबै सिर डारो।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल,
मोह भयो यह संकट भारो I
आनि खगेस तबै हनुमान जु,
बंधन काटि सुत्रास निवारो ॥ ६ ॥
बंधू समेत जबै अहिरावन,
लै रघुनाथ पताल सिधारो।
देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि,
देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो।
जाये सहाए भयो तब ही,
अहिरावन सैन्य समेत संहारो ॥ ७ ॥
काज किये बड़ देवन के तुम,
बीर महाप्रभु देखि बिचारो।
कौन सो संकट मोर गरीब को,
जो तुमसे नहिं जात है टारो।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु,
जो कछु संकट होए हमारो ॥ ८ ॥
दोहा-
लाल देह लाली लसे , अरु धरि लाल लंगूर I
बज्र देह दानव दलन , जय जय जय कपि सूर II