प्रधानमंत्री की सुरक्षा चूक में 10 अहम बिंदु: कौन है वह भेदिया? जांच रिपोर्ट
प्रधानमंत्री की सुरक्षा चूक में 10 अहम बिंदु: कौन है वह भेदिया? जांच रिपोर्ट
पीएमओ, आईबी, एसपीजी और पंजाब के मुख्यमंत्री सहित पुलिस के सात शीर्ष अधिकारियों के पास हुआ था संदेशों का आदान-प्रदान
देश आदेश डेस्क
सार
पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी का सड़क मार्ग से जाने का कार्यक्रम एकाएक बना था। पहले उन्हें हेलीकॉप्टर के जरिए फिरोजपुर के रैली स्थल पर पहुंचना था। हालांकि इस मामले में केंद्र एवं राज्य सरकार के अपने-अपने तर्क हैं। पंजाब सरकार का कहना है कि हमने तो मौजूदा परिस्थितियों की सूचना पहले से ही केंद्रीय एजेंसियों को दे दी थी..
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब यात्रा के दौरान हुई सुरक्षा चूक का मामला अब गर्माता जा रहा है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में सुनवाई की। खासतौर पर ‘एसपीजी’ को समझने वाले बताते हैं, जांच एजेंसी चाहे केंद्र की हो या पंजाब सरकार की, उन्हें पीएम सुरक्षा चूक केस की जांच में दस ऐसे बिंदु मिलेंगे, जो खामियों से भरपूर हैं। जांच कमेटी को इन्हीं दस बिंदुओं में से वह ‘संदिग्ध’ खोजना है, जहां से आदेशों पर अमल करने की चेन टूटना शुरू हुई।
पीएम मोदी के फिरोजपुर दौरे में यह कोई सामान्य लापरवाही नहीं है, ये एक बड़ी खामी है। केंद्र से मिले करीब आधा दर्जन अलर्ट्स को हल्के में लिया गया। पीएमओ, आईबी, एसपीजी और पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी सहित पुलिस के सात शीर्ष अधिकारियों के पास संदेशों का आदान-प्रदान हुआ है। इसके बावजूद ‘संदिग्ध’ बिंदु को नहीं पकड़ा जा सका। अब केंद्र की जांच रिपोर्ट में संदिग्ध का वह ‘भेद’ खुल सकता है। कहां हुई लापरवाही?
पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी का सड़क मार्ग से जाने का कार्यक्रम एकाएक बना था। पहले उन्हें हेलीकॉप्टर के जरिए फिरोजपुर के रैली स्थल पर पहुंचना था। हालांकि इस मामले में केंद्र एवं राज्य सरकार के अपने-अपने तर्क हैं। पंजाब सरकार का कहना है कि हमने तो मौजूदा परिस्थितियों की सूचना पहले से ही केंद्रीय एजेंसियों को दे दी थी।
दूसरी ओर, केंद्रीय एजेंसियों का दावा है कि उन्होंने एक सप्ताह के दौरान पंजाब सरकार को पीएम के दौरे को लेकर कई तरह के महत्वपूर्ण इनपुट भेजे थे। इनमें खराब मौसम, वैकल्पिक यातायात रूट और किसानों का प्रदर्शन आदि जानकारियां शामिल हैं।
जब दोनों तरफ से सूचनाओं का आदान-प्रदान होने की बात मान ली गई है तो लापरवाही कहां और कैसे हो गई। विशेषज्ञों का कहना है कि जब दोनों पक्ष किसी बात से पूरी तरह अवगत हों और उसके बावजूद लापरवाही हो जाए तो वहां पर एक ‘संदिग्ध’ प्वाइंट रहता है। इस मामले में आदेश न मानने की चेन कहां से टूटनी शुरू हुई, वह उसी ‘संदिग्ध’ से पता चलेगा
जांच कमेटी के केंद्र में रहेंगे ये दस प्वाइंट
पीएम के दौरे को लेकर केंद्रीय एजेंसियों और पंजाब सरकार के बीच सात दिन तक लगातार बातचीत होती रही है। सूत्रों की मानें तो चार बार लिखित अलर्ट भी जारी किए गए थे।
इसके बावजूद प्रधानमंत्री का रूट क्लीयर नहीं हो सका।
किसानों को लेकर आईबी चीफ की बात मुख्यमंत्री चन्नी से हुई थी। अंतिम बातचीत में यह कहा गया कि किसान मान गए हैं। पीएम के साथ उनकी मुलाकात करा देंगे। इसके बाद सड़क कैसे बाधित हो गई।
जिस दिन प्रधानमंत्री को रैली संबोधित करनी थी, दोपहर तक फिरोजपुर रोड चालू था। पीएम जैसे ही सड़क मार्ग पर चलना शुरू हुए, उससे पहले ही किसानों ने रास्ता बाधित कर दिया। उन्हें पीएम के सड़क रूट की भनक लग चुकी थी।
प्रधानमंत्री जब सड़क मार्ग से चले तो एसपीजी को बताया गया कि रूट क्लीयर है। फिरोजपुर रूट पर पुलिस लगी थी। इसका मतलब किसानों की खबर उन्हें थी, तो एसपीजी को क्यों नहीं बताया गया। अगर यह जानकारी दी गई है, तो एसपीजी ने आगे बढ़ने का निर्णय क्यों लिया।
पीएम दौरे को लेकर स्थानीय पीसीआर और यातायात पुलिस के लिए मैसेज जारी किए गए थे। उनकी लॉगबुक में क्या लिखा गया। क्या उस मैसेज पर अमल हुआ था। जिस जगह किसानों ने जाम लगाया, वहां पहले से पुलिस मौजूद थी। क्या एसपीजी तक सही जानकारी पहुंचाने में देरी की गई।
आईबी की सलाह पर पंजाब सरकार ने पुलिस महकमे को आवश्यक डायवर्जन प्लान बनाने का आदेश दिया था। पीएमओ, सीएमओ, आईबी व एसपीजी के पास यह जानकारी रही है, लेकिन पीएम को वैकल्पिक रूट नहीं मिल सका।
बठिंडा और फिरोजपुर के बीच सड़क रूट को लेकर एक दिन पहले भी अलर्ट दिया गया। आखिर इतना सब होने पर भी पंजाब पुलिस ने सड़क खाली क्यों नहीं कराई। जबकि सीएम कह चुके थे कि किसान मान गए हैं।
पंजाब पुलिस में लॉ एंड ऑर्डर, इंटेलिजेंस और यातायात सहित सात शीर्ष अधिकारियों को किसानों के प्रदर्शन को लेकर चेतावनी जारी की गई। उसके बाद न तो यातायात डायवर्जन प्लान बना और न ही किसानों को वहां से हटाया जा सका।
खास बात है कि पीएम के दौर पर पंजाब पुलिस के आधा दर्जन से अधिक एडीजी फिरोजपुर में डेरा डाले थे। भठिंडा और फिरोजपुर के बीच लगातार पुलिस की गाड़ियां दौड़ती रहीं। ऐसे में एसपीजी को कुछ नहीं मालूम चल सका। कोई तो ‘संदिग्ध’ है, जहां से आदेश न मानने की चेन टूटना शुरू हुई है।
पीएम के दौरे पर खराब मौसम को लेकर वैकल्पिक प्लान तैयार करने, चार विशेष अलर्ट जारी होने, किसान मान गए थे तो दोबारा कैसे वापस आ गए, बुधवार को जब प्रधानमंत्री प्यारेआना गांव में अपनी गाड़ी में इंतजार कर रहे थे, तो पंजाब पुलिस की चौकसी पर सवाल क्यों उठे, जांच कमेटी की रिपोर्ट में इन सब सवालों का जवाब मिल सकता है। सुप्रीम कोर्ट में यह बात कही गई है कि पीएम वाले रूट पर जब किसानों ने रोड जाम किया, तो वहां पुलिस वाले किसानों के बीच चाय पी रहे थे। जांच कमेटी, इस तथ्य पर भी गौर करेगी।
Originally posted 2022-01-07 14:54:29.