नई शिक्षा नीति से और कमजोर होगी सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली : डाॅ. वनिता
नई शिक्षा नीति से और कमजोर होगी सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली : डाॅ. वनिता
प्री-स्कूल और आंगनबाड़ियोें को सशक्त करने समेत इसमें 6 प्रतिशत बजट का प्रावधान किया जाए
देशआदेश मीडिया
साक्षरता भवन सौली खड्ड मंडी में हिमाचल ज्ञान विज्ञान समिति के सौजन्य में नई शिक्षा नीति 2020 पर विभिन्न संगठनों, शिक्षकोें, छात्रों, महिलाओं, युवाओें, मजदूरों और स्कूल प्रबंधन समितियों के अलावा अन्य सामाजिक संगठन की ओर से जिला स्तरीय अधिवेशन का आयोजन करवाया गया। इसमें विभिन्न संगठनों से 50 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
अधिवेशन में मुख्य वक्ता हिमाचल प्रदेश काॅलेज टीचर एसोसिएशन की प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. वनिता सकलानी ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से वर्ष 2020 में लागू की गई नई शिक्षा नीति से कुछ भी नया हासिल होने वाला नहीं है, उल्टा सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली और कमजोर होगी।
साथ ही शिक्षा के लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और सामाजिक समता जैसे मूल्य कमजोर होंगे।
शिक्षा के क्षेत्र में सकल घरेलू उत्पाद का 6 प्रतिशत बजट खर्च करने का लक्ष्य निर्धारित किया था, लेकिन यह खर्च आज तक 2 से 3 प्रतिशत तक ही होता रहा है।
नई शिक्षा नीति में भी इस बारे में कोई चर्चा ही नहीं की गई है। इससे स्पष्ट है कि वर्तमान सरकार शिक्षा बजट में और कमी करने वाली है।
इस नीति मेें सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली के बजाय निजी स्कूलों केे माध्यम से शिक्षा हासिल करने और उनमें मनमर्जी की फीस वसूलने की खुली छूट शिक्षा संस्थानोें को दी गई है।
उन्होंने मांग उठाई है कि नई शिक्षा नीति में शिक्षा पर 6 प्रतिशत बजट का प्रावधान किया जाए, प्री-स्कूल शिक्षा को मजबूत करने और आंगनबाड़ियोें को सशक्त करने, सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली को मजबूत करने और अन्य मुद्दों पर काम होना चाहिए।
इस मौके पर विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों डाॅ. विजय विशाल, जोगिंद्र वालिया, भीम सिंह ठाकुर और अन्य संगठनों ने नई शिक्षा नीति का विरोध किया।
इस मौके पर 15 सदस्यीय जिला स्तरीय कमेटी का गठन भी किया गया, जिसमें मुख्य संयोजक नरेंद्र चंदेल और सह संयोजक गजेंद्र शर्मा को बनाया गया।
सदस्यों के रूप रजनीश, सुरेश सरवाल, ललित शर्मा, वीना वैद्य, लेख राज, अंकुश मोहन, संजय जम्वाल, महेंद्र राणा, दीपक, अजय वैद्य, सुनीता, राजेश शर्मा, ऋत्विक ठाकुर को चुना गया