Oct 14, 2025
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गांवों में अब पंचायतें तय कर सकेंगी पानी की दरें

 हिमाचल के गांवों में अब पंचायतें तय कर सकेंगी पानी की दरें, बिल लेने के लिए भी किया अधिकृत

Himachal Panchayats can now decide water rates in Himachal villages also authorized to collect bills

देशआदेश

हिमाचल प्रदेश के गांवों में पानी का बिल लेने के लिए सरकार ने पंचायतों को अधिकृत कर दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में अब पंचायतें ही पानी की दरें तय करेंगी। इसमें प्रदेश सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं रहेगा। पानी की दरें निर्धारित करने से पहले प्रस्ताव ग्राम सभा में लाना होगा। ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित होने के बाद ही दरें तय की जा सकेंगी। पानी के बिलों से प्राप्त राशि पंचायतों के पास रहेगी। इसी राशि से पानी की योजनाओं का रखरखाव किया जा सकेगा।

अभी सरकार की ओर से पंचायतों में लोगों को निशुल्क पानी उपलब्ध करवाया जा रहा है। ग्रामीणों को नियमित पानी की सप्लाई देने का जिम्मा पंचायत पर रहेगा। जल शक्ति विभाग इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा। जिस वार्ड में पानी की सप्लाई दी जाएगी, वहां सबूत के तौर पर पेयजल सप्लाई देने वाले कर्मचारियों को प्रधान से हस्ताक्षर कराने होंगे, ताकि यह पता रहे कि पंचायत के वार्ड में इस दिन पानी की सप्लाई दी गई है।

अगर किसी वार्ड में पानी की सप्लाई नहीं होती है तो पंचायत को इसका भी समाधान करना होगा। हिमाचल के ग्रामीण क्षेत्रों में जल शक्ति विभाग की पेयजल स्कीमों का संचालन और मरम्मत का जिम्मा भी अब पंचायतों को दे दिया है। इसको लेकर प्रदेश सरकार पंचायतों के लिए 354 करोड़ रुपये भी जारी करने जा रही है। जल शक्ति विभाग में कर्मचारियों का अभाव है। ऐसे में यह जिम्मा पंचायतों को दिया गया है। पंचायतों को जल स्रोतों के संरक्षण और प्रबंधन में अधिक अधिकार दिए गए हैं।

जल स्तर का पता करने के लिए स्रोतों की जियो टैगिंग की जाएगी। सरकार की ओर से पंचायतों को ग्रांट भी जारी की जाएगी। योजना के मुताबिक जल रक्षक टैंकों की साफ-सफाई करेंगे, जबकि पानी की सप्लाई छोड़ने का जिम्मा बेलदार या कीमैन का रहेगा।

पंचायतें आय के साधन बढ़ाने के लिए पानी के मासिक बिल जारी कर सकती है। उन्हें ये शक्तियां दी गई हैं। ग्राम सभा से प्रस्ताव पारित करने के बाद ही पानी के बिल की राशि तय की जा सकती है। लोगों से मासिक कितना बिल लिया जाएगा, यह पंचायतों पर निर्भर रहेगा।- अनिरुद्ध सिंह, ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री

नाहन, नालागढ़, मोहाल और रोहड़ू में स्थापित होंगे नए दूध प्रसंस्करण संयंत्र, जानें क्या बोले सीएम

राज्य सरकार ने नाहन, नालागढ़, मोहाल एवं रोहड़ू में नए दूध प्रसंस्करण संयंत्र, जिला हमीरपुर के जलाड़ी में दूध शीतलन केंद्र और जिला ऊना के झलेड़ा में बल्क मिल्क कूलर स्थापित करने को स्वीकृति प्रदान की है। इस पहल का उद्देश्य राज्य के दूध एवं दूध प्रसंस्करण संबंधी अधोसंरचना का आधुनिकीकरण करना है। प्रदेश सरकार के इस कदम से किसानों की आय में वृद्धि सहित ग्रामीण अर्थव्यवस्था का सुदृढ़ीकरण सुनिश्चित होगा।

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य की 90 प्रतिशत से अधिक आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में बसती है जो कृषि एवं पशुपालन पर पूर्णतः या आंशिक रूप से निर्भर है और पशुपालन क्षेत्र का विकास प्रदेश सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि नए संयंत्रों के स्थापित होने से दूध खरीद में वृद्धि होगी और पशुपालकों को दूध पर उचित दाम मिलेंगे। इसके साथ ही दूध खरीद के गुणवत्ता मानकों में भी वृद्धि होगी।

अपने कार्यों में दक्षता लाने एवं पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए हिमाचल प्रदेश मिल्क फेडरेशन (मिल्कफैड) शीघ्र एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग प्रणाली की शुरुआत करेगी। इस डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से किसान आवश्यक जानकारी को सीधे अपने मोबाइल फोन पर देख सकेंगे, जिसमें दूध खरीद की रियल टाइम अपडेट, पैमेंट स्टेटस, गुणवत्ता जांच के रिजल्ट व खरीद मूल्य शामिल हैं। एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग प्रणाली के तहत सभी लेनदेन डिजिटल होंगे जिससे मानव त्रुटियों की संभावनाएं कम होंगी। पशुपालकों को दूध विक्रय और प्राप्त दाम की सूचना उनके मोबाइल पर वास्तविक समय में प्राप्त होगी। डिजिटल माध्यम से दूध खरीद का डाटा उपलब्ध होने से बिल तैयार करने में तेज़ी आएगी, जिससे पशुपालकों के बैंक खातों में पैसों का प्रत्यक्ष हस्तांतरण भी सुलभ होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार के प्रयासों के फलस्वरूप मिल्कफैड द्वारा दूध खरीद रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी है तथा दूध एकत्रीकरण की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है।

 

 

 

 

हिमाचल प्रदेश दूध खरीद पर न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान करने वाला प्रदेश का पहला राज्य बना है। प्रदेश सरकार पशुपालकों से गाय का दूध 51 रुपये प्रति लीटर और भैंस का दूध 61 रुपये प्रति लीटर की दर से खरीद रही है। ऐसे पशुपालक एवं समितियां जो कि अधिसूचित क्रय केंद्रों तक दूध पहुंचाने के लिए दो किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करते हैं उन्हें प्रदेश सरकार दो रुपये प्रतिलीटर की दर से परिवहन अनुदान प्रदान कर रही है।