उद्योगपतियों से प्रमाणपत्र अनिवार्यता शर्त खत्म करने पर विचार कर रही सरकार
उद्योगपतियों से प्रमाणपत्र अनिवार्यता शर्त खत्म करने पर विचार कर रही सरकार
देशआदेश
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार हिमाचल प्रदेश में औद्योगिक निवेश बढ़ाने के लिए उद्योगपतियों से जरूरी प्रमाणपत्र की अनिवार्यता शर्त खत्म करने पर सक्रियता से विचार कर रही है। इसके लिए नई औद्योगिक नीति में प्रावधान किया जाएगा।
सरकार विनिर्माण, पर्यटन, ऊर्जा, निर्माण, आवासीय आदि क्षेत्रों में 20 हजार करोड़ का निवेश आकर्षित करने के लक्ष्य पर कार्य कर रही है, जिससे लगभग 40 हजार लोगों को प्रत्यक्ष और 50 हजार को अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा।
सुक्खू ने रविवार को शिमला में जारी वक्तव्य में कहा कि उद्योग विभाग में ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टमेंट प्रमोशन स्थापित किया जा रहा है, जो एकल खिड़की प्रणाली की जगह लेगा। यह ब्यूरो निवेशकों को एक छत तले सभी स्वीकृतियां देने की सुविधा देगा। निवेशकों को ‘आओ और काम शुरू करो’ की सुविधा मिलेगी। प्रदेश सरकार एचपी टेनैंसी एंड लैंड रिफॉर्म एक्ट 1972 के अनुच्छेद-118 के संबंधी मामलों की स्वीकृति के विलंब पर भी ध्यान देगी। क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति के संचालन को सुदृढ़ किया जाएगा।
नए उद्योग स्थापित करने को सस्ती दरों पर बिजली
मुख्यमंत्री ने कहा कि नए उद्योग स्थापित करने के लिए सस्ती दरों पर बिजली, राज्य वित्त निगम और राष्ट्रीय बैंकों से आसान ऋण जैसी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं। कम दरों पर पट्टे पर भूमि उपलब्ध करवाई जा रही है।
प्रदेश के बाहर निकटतम रेलवे स्टेशन से कच्चे माल के परिवहन भाड़े पर रियायत के अलावा अन्य सीमांत लाभ भी दिए जा रहे हैं।
ई-टैक्सी की खरीद पर सभी पात्र वर्गों को 50 प्रतिशत का उपदान देंगे
सुक्खू ने राज्य सरकार राजीव गांधी स्वरोजगार योजना के तहत डेंटल क्लिनिक के लिए मशीनरी व उपकरण, ई-टैक्सी की खरीद, एक मेगावाट तक सौर ऊर्जा परियोजना की स्थापना, मत्स्य पालन परियोजना तथा अन्य उद्यमों के लिए वित्तीय मदद देगी। ई-टैक्सी की खरीद पर सभी पात्र वर्गों को 50 प्रतिशत का उपदान दिया जाएगा।