Nov 22, 2024
POLITICAL NEWS

सियासी हलचल के बीच मंत्री विक्रमादित्य सिंह का यूटर्न, इस्तीफा लिया वापस

सियासी हलचल के बीच मंत्री विक्रमादित्य सिंह का यूटर्न, इस्तीफा वापस लिया

 

विक्रमादित्य सिंह की नाराजगी दूर करेंगे: सुक्खू

 

इस्तीफा स्वीकार नहीं होने पर विक्रमादित्य सिंह ने ये कहा

 

न्यूज देशआदेश

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार के पास बहुमत होने के बावजूद राज्यसभा की सीट भाजपा की झोली में जाने से प्रदेश में सियासी हलचल तेज हो गई है।

लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने सुबह मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया, लेकिन शाम को वापस ले लिया। भाजपा के 15 विधायक सदन ने निलंबित कर दिए गए।

 

प्रदेश कांग्रेस में मची सियासी हलचल के बाद डैमेज कंट्रोल के लिए राजधानी शिमला पहुंचे कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने बुधवार को कांग्रेस के मंत्रियों, विधायकों और मुख्य संसदीय सचिवों से एक-एक कर बैठक कर उनकी नब्ज टटोली।
शाम को बैठक खत्म होने के बाद लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है। बैठक में विक्रमादित्य सिंह को मना लिया गया है। विक्रमादित्य ने कहा कि संगठन सर्वोपरि है। कांग्रेस एकजुट है।
पर्यवेक्षकों के साथ बैठक के बाद सीएम बोले- हमारी सरकार सुरक्षित
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने पर्यवेक्षकों के साथ बैठक संपन्न होने के बाद कहा कि हमारी सरकार सुरक्षित है। कहा कि बैठक में चुनाव से संबंधित चर्चा हुई।
उधर, शिमला हिमाचल प्रदेश के शिमला में बीजेपी विधायक दल की बैठक चल रही है। पार्टी विधायक रीना कश्यप ने कहा कि जो सरकार व्यवस्था परिवर्तन की बात कर रही है, अब उनके जाने का समय आ गया है।
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छह विधायकों की ओर से विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सतपाल जैन
दल-बदल कानून में राज्य सरकार की ओर से की दायर याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा गया। बागी छह कांग्रेस विधायकों राजेंद्र राणा, सुधीर शर्मा, चैतन्य शर्मा, देवेंद्र कुमार भुट्टो, इंद्र दत्त लखनपाल और रवि ठाकुर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सतपाल जैन विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया के समक्ष पेश हुए। सरकार के अधिवक्ता भी उनके समक्ष उपस्थित हुए।
वहीं, सुनवाई के बाद प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि दोनों पक्षों को विस्तृत रूप से सुना है। उसके बाद उन्होंने अपने फैसले को अपने पास सुरक्षित रखा है।
भाजपा की ओर से पेश हुए वकील सतपाल जैन ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने सुबह छह विधायकों को दल-बदल कानून के तहत कारण बताओ नोटिस दिया था। डेढ़ बजे उन्होंने पेश होना था तो उस वक्त छहों विधायकों की ओर से वह पेश हुए।
उन्होंने लिखकर उनसे निवेदन किया कि याचिका की प्रति नहीं मिली है। केवल नोटिस मिला है। सात दिन का वक्त दिया जाए, जिससे कि वे जवाब दायर कर सकें। विधानसभा की ओर से बनाए गए एंटी डिफेक्शन रूल-7 के तहत जिसके खिलाफ याचिका आती है, उसे जवाब देने के लिए सात दिन का वक्त देने का प्रावधान है।
उन्होंने डेढ़ बजे लिखकर दरख्वास्त दी। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने कोई भी ऐसा व्यवहार नहीं किया, जो इस नियम के तहत आता हो। डेढ़ बजे सुनवाई शुरू हुई। चार बजे रिकॉर्ड का निरीक्षण करने को कहा। याचिका की प्रति बहस खत्म होने के बाद दी गई है। उन्हें कहा गया है कि याचिकाकर्ताओं को बात करने का अधिकार है।
उन्होंने अपनी याचिका को रिजर्व किया है। उन्हें पूरा विश्वास है कि स्पीकर पद की गरिमा का ध्यान रखेंगे। राज्यसभा चुनाव में कौन कहां वोट डालता है, इसके आधार पर डिस्कवालिफिकेशन नहीं किया जा सकता है।
विक्रमादित्य सिंह की नाराजगी दूर करेंगे: सुक्खू
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह का इस्तीफा स्वीकार करने का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा कि विक्रमादित्य सिंह उनके छोटे भाई हैं। सीएम ने कहा कि उनकी जो नाराजगी है, उसे दूर किया जाएगा।  मुख्यमंत्री ने गुरुवार को मंत्रिमंडल की बैठक भी बुलाई है।
  पत्रकारों से बातचीत में सीएम सुक्खू ने विक्रमादित्य के इस्तीफा देने से जुड़े सवालों के जवाब दिए। उन्होंने कहा कि विक्रमादित्य सिंह से बात हुई है। ऐसी कोई बात नहीं है। वह मेरे छोटे भाई हैं। निश्चित रूप से किसी को गुस्सा आता है तो वह इस्तीफा दे देता है। उनका इस्तीफा स्वीकार करने का कोई औचित्य ही नहीं है। बजट सत्र के दौरान उनसे आज हमारी बात हुई लेकिन इस बीच सदन में स्पीकर आ गए। उनकी जो भी नाराजगी है उसे दूर किया जाएगा।
इस्तीफा स्वीकार नहीं होने पर विक्रमादित्य सिंह ने ये कहा
इस्तीफा स्वीकार नहीं होने पर कांग्रेस नेता विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है। मैं दबाव नहीं लेता बल्कि दबाव देता हूं। सीएम को बदलना चाहिए या नहीं, पर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह उनका अधिकार क्षेत्र नहीं है, यह पार्टी हाईकमान तय करेगा।