यहां फैली थी आंत्रशोथ की बीमारी, गई थी जानें
चुनावी साल में नेताओं को याद आता है यह गांव,
यहां फैली थी आंत्रशोथ की बीमारी, गई थी जानें,
आज भी सड़क, सिंचाई योजना से वंचित
देशआदेश
चुनावी मौसम में एक बार फिर किसान और किसानों के मुद्दे याद आने लगे हैं। नेता गांव-गांव पहुंच कर वोट मांग रहे हैं और किसानों की समस्याओं का हल करने का दावा भी कर रहे हैं। एक बार फिर किसानों की समस्याओं को लेकर होमवर्क किया जा रहा है।
चुनाव के समय मतदाताओं को लुभाने के लिए नेता तरह-तरह के वायदे करते हैं।
सभी नेता अपने-अपने हिसाब से किसान हितैषी होने की बात कहते हुए वोट मांग रहे हैं।
लेकिन इन वादों को पूरा नहीं किया जाता है। ऐसे ही झूठे वादों का दंश झेल रहा है सिरमौर जिले का एक गांव व पंचायत कंडेला । दरअसल, जिले का कंडेला गांव के लोग खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
इस गांव में 90 के दशक में एक आंत्रशोध बीमारी फैली थी। जिसमें जान भी गई थी। हालांकि सरकार और संबंधित विभाग के प्रयास से रहस्यमयी बीमारी पर काबू पा लिया था। गांव की आबादी करीब 500 लोगों की है। जिसमें 85 फीसदी से अधिक अनुसूचित जाति के लोग रहते है।
लेकिन चुनाव दर चुनाव बने हुए हैं और यहां के ग्रामीणों की भी हर बार की मांगे व समस्याएं इस बार भी वही है।
बड़ी समस्या सड़क और सिंचाई स्कीम की है। जिसके बिना गन्ना, धान आदि की फसलों की बुआई नहीं कर पाते। कूहल में सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं हो पाता है और गांव की अंबिवाला-कंडेला सड़क आज भी टूटी-फूटी पगडंडी की तरह हैं, बेहतर सड़क और सिंचाई स्कीम का वायदा आज भी अधूरा है।
लेकिन चुनाव नजदीक आते सभी पार्टियां किसान हितैषी होने का दावा करती हैं और किसानों की दुर्दशा में सुधार का वायदा भी करती हैं। दावों और वायदों का यह खेल दशकों से चला आ रहा है।
ज्यादातर पार्टियां कहती हैं कि किसानों की समस्याओं का जल्द निदान किया जाएगा, लेकिन यह निदान आज तक नहीं हो पाया है। किसानों की प्रमुख समस्याएं लगातार बनी हुई हैं और जटिल हो रही हैं।