300 ई-बसों की खरीद को मंजूरी
एक बार चार्ज कर 250 किमी तक दौड़ेंगी; जानें एक बस की कीमत
प्रदेश सरकार ने एचआरटीसी को 300 ई-बसों की खरीद के लिए मंजूरी दे दी है। यह बसें लोकल और लंबे रूटों पर चलेंगी। नई ई-बसें टाइप-1 और टाइप-3 श्रेणी की होंगी।
इन बसों की खासियत यह होगी कि इन्हें लंबी दूरी के रूटों पर भी आसानी से चलाया जा सकेगा।
एक बार चार्जिंग के बाद यह बसें 200 से 250 किलोमीटर तक चलेंगी। एक बस की कीमत करीब सवा करोड़ रुपये होगी।
एचआरटीसी के निदेशक मंडल की स्वीकृति के बाद प्रदेश सरकार ने भी ई-बसों की खरीद को मंजूरी दे दी है।
बसों की खरीद के लिए निगम की व्हीकल परचेज कमेटी बसों की स्पेसिफिकेशन (विशेष विवरण) निर्धारित करने में जुट गई है। निगम की योजना प्रदेश के शहरों में लोकल रूटों के लिए टाइप वन इलेक्ट्रिक बसें खरीदने की है।
मौजूदा समय में शिमला, धर्मशाला सहित अन्य जिलों में टाइप-वन बसें चल ही रही हैं। लंबी दूरी के रूटों के लिए निगम टाइप थ्री इलेक्ट्रिक बसें खरीदने का प्रस्ताव है।
इन बसों को प्रदेश के भीतर लंबे रूटों के अलावा प्रदेश के बाहर चंडीगढ़, दिल्ली, अंबाला सहित अन्य रूटों पर संचालित करने की योजना है। ई-बसें चरणबद्ध तरीके से खरीदने का प्रस्ताव है।
पहले चरण में 100 बसें खरीदी जानी है। ई-बसों के साथ चार्जिंग नेटवर्क भी तैयार किया जाना है। केंद्र और राज्य सरकार की स्क्रैप पॉलिसी के तहत 15 साल की उम्र पूरी होने वाली बसों के स्थान पर नई इलेक्ट्रिक बसें खरीदी जाएंगी।
वहीं, इलेक्ट्रिक बसें जीरो बुक वैल्यू पूरी करने वाली बसों को भी रिप्लेस करेंगी। टाइप वन इलेक्ट्रिक बस एक बार चार्ज करने के बाद 80 से 100 किलोमीटर तक चल सकती है।
टाइप थ्री बस की क्षमता एक बार चार्ज करने के बाद 200 से 250 किलोमीटर चलने की है। टाइप थी बस चार्जिंग में टाइप-वन से कम समय लेंगी।
नंशैर में संपन्न हुआ चार दिवसीय नाग नावना मेला
देशआदेश
दून पांवटा के गिरिपार क्षेत्र सालवाला के नाग नावणा मंदिर नंशैर मैदान में विजय दशमी पर आयोजित चार दिवसीय मेला सोमवार को समाप्त हुआ।
मेले में जौनसार, उत्तराखंड, हरियाणा, नाहन, शिलाई, मस्तभोज, आंजभोज, जेलभोज क्षेत्र समेत दून पांवटा जनपद से आए किसानों ने कृषि एवं घरेलू आवश्यकता की सामग्री खरीदा।
ग्राम पंचायत डोबरी सालवाला में विजय दशमी पर्व से लेकर चार दिनों तक नाग नावना मंदिर मैदान में परंपरागत मेले का आयोजन किया गया।
मेले में दूर दूर से व्यापारी और दर्शक आए। किसानों ने कृषि से संबंधित हंसिया, दरांती, गुटली, दंदले, डलिया, खुरपी, फावड़ा, रसोई बर्तन आदि की जम कर खरीददारी की।
इसके अतिरिक्त बच्चों एवं युवाओं ने विभिन्न प्रकार के झूलों और सरकस आदि का लुत्फ उठाया। इस वर्ष भी मेले में छिंज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें दूर दराज से पहलवानों ने कुश्तिया लड़ी।
वहीं लगातार 24 घंटे पुलिस प्रशासन का पहरा लगा रहा। छुटमुट घटनाओं को छोड़कर मेला बड़ी शांति एवं परंपरागत ढंग से संपन्न हुआ। स्थानीय वासियों की ओर से विजय दशमी पर पूरी रात विभिन्न प्रकार की आकर्षक झांकिया, नाटक मंचन आदि नाग नावना देवता का गुणगान किया गया।
देर शाम को नावना महाराज की पालकी ढ़ोल नंगड़े एवं गाजे बाजे की धुंन में जयकारों के साथ वापिस शिलाई क्षेत्र के कोटगा गांव लौट गई।
नंशैर के मेले में आने वाली भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस प्रशासन ने चाक चौबंद इंतजाम किया था।
चौक चौराहे से लेकर जगह-जगह पुलिस मौजूद रही।
मेला कमेटी सालवाला एवं स्थानीय पंचायत प्रधान प्रेम सिंह एवं मेला व्यवस्थापको ने
सभी क्षेत्रवासियों के प्रति आभार व्यक्त किया है।