‘रात भर पेड़ की टहनी को पकड़ कर बचाई जान’
‘रात भर पेड़ की टहनी को पकड़ कर बचाई जान, सामने सैलाब में बह गई महिला, नहीं बचा सका’

सराज घाटी के लंबाथाच के निहरी में बादल फटने के बाद तबाही के कई मंजर सामने आ रहे हैं। आपदा के दौरान मौत के मुंह से निकलकर उपचार के लिए जोनल अस्पताल मंडी पहुंचे बिशन सिंह ने भी उस रात का वाक्या बताया। कहा कि बीते सोमवार की रात भयानक थी। चारों तरफ अंधेरा और जमकर बारिश हो रही थी। घरों को खतरा देख परिवार के साथ सुरक्षित स्थान पर निकले तो भूस्खलन शुरू हो गया। तभी मैं और हमारे पॉलीहाउस में काम करने वाली महिला मजदूर पहाड़ी के मलबे में आने से 50 मीटर नीचे पहुंच गए। मेरे हाथ में एक पेड़ की टहनी आ गई। उसे पकड़कर रात गुजारी जबकि पश्चिम बंगाल की महिला मजदूर सुष्मिता नीचे नाले के तेज बहाव में बह गई। मेरी आंखों के सामने वह बह गई लेकिन मैं उसे नहीं बचा पाया।
सुबह हुई तो चारों तरफ मलबा ही था। मेरी बाजू टूट चुकी थी और टांग में गहरी चोट लगी थी। ऐसे में जंगल के पथरीले और कंटीले रास्तों में रेंगता हुआ परिजनों तक पहुंचा। दो दिन भारी बारिश के चलते परिजनों के साथ रहा। बुधवार को पड़ोसियों ने कुर्सी पर बैठाकर क्षतिग्रस्त रास्तों और पहाड़ों को पार कर आयुर्वेदिक फार्मेसी निहरी पहुंचाया। ग्रामीणों ने वीरवार सुबह सात बजे करीब 30 किलोमीटर पैदल चलकर बगस्याड़ मुख्य सड़क तक पहुंचाया। उसके बाद निजी वाहन से क्षेत्रीय अस्पताल मंडी पहुंचा।
बिशन सिंह के भांजे गुलशन ने बताया कि घटना वाली रात करीब 11:30 बजे बादल फटा था। घर के दूसरे किनारे बहने वाला नाला उफान पर था। उस समय घर पर मामा बिशन, मामी जगदंबा देवी, पिता उत्तम शेट्टी, उनका बेटा पारस, तेजेंद्र, दामेश्वरनी मौजूद थे।