ICAR ने पहाड़ी राज्यों के लिए तैयार किया गेहूं का बीज
आईसीएआर ने उत्तरी भारत के पहाड़ी राज्यों के लिए तैयार किया गेहूं का बीज, बढ़ेगा उत्पादन
सिरमौर, ऊना, कांगड़ा आदि सिंचाई क्षेत्रों में किसान 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदा कर सकते हैं गेहूं
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भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर) शिमला ने उत्तरी भारत के पहाड़ी राज्यों के लिए गेहूं का बीज तैयार किया है।
किसान इस हाईब्रीड शिमला-562 बीज से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर गेहूं उत्पादन कर पाएंगे। अभी तक इन राज्यों में प्रति हेक्टेयर 20 क्विंटल उत्पादन ही हो रहा था। गेहूं के इस बीज का हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के किसानों को लाभ मिलेगा।
इन राज्यों के जिन क्षेत्रों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध है, वहां किसान इस बीज से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन भी कर सकते हैं।
केंद्र के वैज्ञानिक बताते हैं कि 100 किलो ब्री़डर बीज से पहले साल 2,000 क्विंटल बीज तैयार होता है। इस तरह के दो चरणों में बीज तैयार करने के बाद किसानों को उपलब्ध कराया जाता है। संस्थान ब्रीडर बीज 65 रुपये प्रतिकिलो के हिसाब से राज्य सरकारों को उपलब्ध करवा रहा है।
तीनों पर्वतीय राज्यों में 10 लाख हेक्टेयर भूमि में होती है गेहूं की पैदावार
आईसीएआर के शिमला के वैज्ञानिकों ने यह हाईब्रीड बीज तीनों पहाड़ी राज्यों के लिए विकसित किया है।
इन राज्यों के किसान अब तक जिन बीजों का इस्तेमाल करते रहे हैं, उनसे किसान प्रति हेक्टेयर अधिकतम 20 क्विंटल गेहूं की पैदावार कर पाते थे। जिन क्षेत्रों में किसानों को सिंचाई सुविधा नहीं मिलती थी, वहां गेहूं की पैदावार कम होती थी।
देश के तीनों पहाड़ी राज्यों के लिए आईसीएआर का शिमला सेंटर 300 क्विंटल गेहूं का ब्रीडर बीज उपलब्ध करवा रहा है। इसमें से हिमाचल को 200 क्विंटल गेहूं का ब्रीडर बीज उपलब्ध कराया गया है।
हिमाचल, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के किसानों के लिए आईसीएआर हर साल 300 क्विंटल एचएस- 562 गेहूं का ब्रीडर बीज उपलब्ध करवा रहा है। यह बीज अधिक गेहूं की पैदावार देता है। – डॉ. डीपी वालिया, केंद्र प्रमुख, आईसीएआर शिमला