Sep 16, 2024
CRIME/ACCIDENT

सिरमौरीताल में कुदरत ने ऐसा कहर बरपाया कि 10 मिनट के भीतर सब कुछ खत्म:विनोद

विनोद ने मसेरी बहन को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया, पर पीछे खो दिए अपने परिजन

देशआदेश

 

हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के सिरमौरी ताल में कुदरत ने ऐसा कहर बरपाया कि 10 मिनट के भीतर सब कुछ खत्म हो गया। मां-बाप रहे न पत्नी और न ही दो मासूम बच्चे। इस परिवार में सिर्फ विनोद बचे हैं, जो किसी जिंदा लाश से कम नहीं हैं। मलबे में दफन अपनों के शव निकलते ही विनोद बेसुध हो गए। रो-रो कर उनका बुरा हाल है। एक हंसता-खेलता परिवार चंद मिनटों में ही तबाही की भेंट चढ़ गया।

 

बुधवार देर शाम मुगलावाला पंचायत के सिरमौरी ताल से ऊपर मालगी पंचायत के जंगल में कहीं बादल फटने की घटना के दौरान विनोद अपने मामा की लड़की और उसके बच्चों को सुरक्षित स्थान पर छोड़ने घर से 100 मीटर दूर गए थे। इस बीच जैसे ही वह वापस पहुंचे तो हर तरफ मलबा था।

 

उनका घर, गोशाला मलबे में दफन हो गई थी। इस मंजर के बीच विनोद के चिल्लाने की आवाज सुन जब ग्रामीण मौके पर पहुंचे तो सब कुछ खत्म हो चुका था। घर में अपने बूढ़े मां-बाप, पत्नी और बच्चे भी इसी मलबे की भेंट चढ़ चुके थे। घर का नामोनिशान मिट गया था। अंधेरे में विनोद समेत ग्रामीण अपनों को मलबे के ढेर में तलाशते रहे, लेकिन कौन कहां और कैसी हालत में पड़ा है, इसका पता नहीं लग सका।

घर छोड़ने के लिए कुलदीप को किया फोन
ताल गांव के ग्रामीण जागर सिंह ने बताया कि जंगल में बादल फटने की आवाज सुनते ही उन्होंने विनोद के पिता कुलदीप को फोन किया कि वह परिवार लेकर उनके घर पर आ जाएं, जो घटनास्थल से 200 मीटर दूरी पर था। फोन रखने के पांच मिनट के भीतर जंगल से आए भारी सैलाब ने कुलदीप के घर का नामोनिशान मिटा दिया।

 

अपनों की तलाश करता दिखा पालतू कुत्ता

बुधवार सुबह सर्च ऑपरेशन के दौरान विनोद का पालतू कुत्ता अपनों की तलाश करता दिखा। उसकी निगाहें अपने मालिकों को ढूंढ रही थीं। कभी दलदल की तरफ भागता को कभी मलबे से साथ बहकर आए पत्थर पर चढ़कर उन्हें ढूंढने का प्रयास करता। विनोद के परिवार में अब कुत्ता और एक भैंस बची है। बाकि, गोशाला के भीतर बंधे आधा दर्जन मवेशी भी जिंदा दफन हो गए। बताया जा रहा है कि भैंस ट्रैक्टर ट्राली के साथ बंधी थी, जो इस सैलाब से बच गई।

70 लोगों ने सड़क पर बिताई रात

इस घटना के बीच सिरमौर ताल के 70 लोग रात को ही अपना घर छोड़ सड़क की तरफ निकले। जंगल में बादल फटने की आवाज और भारी बाढ़ के शोर के बीच ग्रामीणों ने इन लोगों को रेस्क्यू किया। इसके बाद इन लोगों ने पूरी रात निरंकारी भवन में काटी। यहां के कांशीराम का मकान भी बाल-बाल बच गया, जिनके आंगन तक मलबा भर गया था। इस परिवार के पांच और रिश्तेदारी से पहुंचे दो लोग हादसे के डर से रात को ही सुरक्षित स्थान पर चले गए थे।

13 परिवारों को दूसरी जगह बसाए सरकार

मुगलावाला पंचायत की प्रधान प्रेमा देवी ने बताया कि ताल गांव में 13 परिवार रहते हैं, जिनमें से एक घर का नामोनिशान मिट गया है। उन्होंने कहा कि शेष परिवार भी हमेशा खतरे से साये में रह रहे हैं। उन्होंने सरकार व प्रशासन से मांग की कि इन परिवारों को किसी दूसरी जगह बसाया जाए। ताल गांव में पहाड़ी से चार खड्डों का पानी बहकर आता है। पहले भी उफान पर आए खड्ड ताल गांव को नुकसान पहुंचा चुके हैं।

50 बीघा उपजाऊ जमीन मलबे में समाई

ताल गांव में रह रहे एक दर्जन परिवारों की 50 बीघा उपजाऊ जमीन बर्बाद हो गई है। यहां चारों तरफ मलबा, पत्थर और जंगल से टूट कर आए पेड़ ही नजर आ रहे हैं। यहां कई लोगों के मकानों को भी नुकसान पहुंचा है। इस मंजर के बाद लोगों के खेत खलिहान सब खत्म हो गए हैं।