Nov 22, 2024
HIMACHAL

अमेरिकन डाई फ्रूट पेकान नट सुधारेगा किसानों की आर्थिकी

अमेरिकन डाई फ्रूट पेकान नट सुधारेगा किसानों की आर्थिकी, बढ़ेर में विकसित होगा क्लस्टर

 

हिमाचल प्रदेश में अमेरिकन डाई फ्रूट पेकान नट की खेती होगी। कांगड़ा जिले के विकास खंड पंचरुखी के बढ़ेर में शिवा प्रोजेक्ट के तहत इसका क्लस्टर विकसित होगा।

10 हेक्टेयर क्षेत्र में इसकी खेती से 40 किसान परिवार जुडेंगे। प्रथम चरण में यहां पर दस हेक्टेयर में तीन हजार के करीब पौधे लगाए जाएंगे।

विदेशों से नई उन्नत किस्म की वेरायटी का आयात कर इसे हिमाचल में उगाया जाएगा।

शिवा प्रोजेक्ट के तहत प्रदेश के निचले जिलों में अखरोट के विकल्प के रूप में यह फल बागवानों की आर्थिकी को मजबूत करेगा।

अखरोट की खेती हिमाचल के ऊपरी इलाकों में होती है लेकिन, यह भी बड़े स्तर पर विकसित नहीं हो सकी है।

 

यह प्रदेश के कुछ जिलों तक ही सीमित है। मंडी, कुल्लू व शिमला में अखरोट की पैदावार होती है लेकिन अब इसके विकल्प के रूप में निचले हिमाचल के इलाकों में पेकान नट की पैदावार होगी।

शिवा प्रोजेक्ट के तहत निचले हिमाचल में विभिन्न फलों के बड़ी संख्या में क्लस्टर विकसित करने की योजना है। इस कड़ी में पेकान नट को विकास खंड पंचरुखी के बढ़ेर के लिए चुना गया है।

वर्तमान में यह फल 1200 से 1500 रुपये प्रतिकिलो के हिसाब से बाजार में बिक रहा है, जबकि अखरोट की अधिकतम कीमत एक हजार रुपये प्रतिकिलो तक रहती है।

यह हैं औषधीय गुण

इस फल की खास बात यह है कि यह अखरोट की तरह दिखता तो है लेकिन उतना सख्त नहीं होता है।

पेकान नट एंटी-ऑक्सीडेंट, प्रोटीन, फाइबर से भरपूर है। यह विटामिन ई का बेहतर सोर्स है।
उम्र बढ़ने के साथ होने वाले धब्बों, मोतियाबिंद, टाइप 2 शुगर और फैटी लीवर से संबंधित बीमारियों में इसका सेवन लाभपद्र है।
शुगर का स्तर संतुलित बनाए रखने में इसका सेवन फायदेमंद है। वजन कम करने में यह नियंत्रित रूप से सेवन करने पर लाभकारी है।
इस फल में मैगनीज भरपूर मात्रा में होता है जिससे हड्डियों के विकास, पाचन तंत्र और प्रतिरक्षा तंत्र को यह मजबूत बनाता है। हालांकि इसके अत्यधिक इस्तेमाल से कुछ लोगों में एलर्जी व उल्टी संबंधी शिकायत भी हो सकती है।

यहां पर तैयार हो रही पौध, ये है वैरायटी
प्रथम चरण में हिमाचल में वाईएस परमार यूनिवर्सिटी नौणी, उद्यान विभाग पालमपुर व कांगड़ा जिले की एक निजी नर्सरी में पेकान नट की पौध तैयार की जा रही है।

शिवा प्रोजेक्ट के द्वितीय चरण के तहत प्रदेश में फरवरी माह प्लांटेशन का कार्य शुरू होगा हालांकि पेकान नट की प्लांटेशन के लिए अभी कुछ और माह का इंतजार करना होगा।
चौथे व पांचवें साल में पेकान नट के पौधे फल देना शुरू कर देंगे जबकि छह से सात साल का पौधा बेहतर पैदावार देना शुरू कर देगा।
महान और बरकट किस्म की पौध तैयार
शिवा प्रोजेक्ट निदेशक प्रदीप ठाकुर ने कहा कि प्रथम चरण में पेकान नट की महान व बरकट किस्म की प्लांटेशन होगी।
विदेशों से भी नई उन्नत किस्मों का आयात किया जाएगा। विशेषज्ञों के साथ मिलकर इस पर कार्य किया जा रहा है।
प्रथम चरण में कांगड़ा और इसके बाद मंडी, सिरमौर व अन्य क्षेत्रों में इसके क्लस्टर विकसित किए जाएंगे
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