Jul 27, 2024
HIMACHAL

Garlic Seeds: हिमाचल में किसानों को इस बार 37 रुपये सस्ता मिलेगा लहसुन का बीज

Garlic Seeds: हिमाचल में किसानों को इस बार 37 रुपये सस्ता मिलेगा लहसुन का बीज

मोटे अनाज की खेती पोषण संबंधित आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ किसानों के लिए आय का अच्छा स्रोत:राज्यपाल

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प्रदेश के किसानों को इस बार लहसुन का बीज पिछले वर्ष के तुलना में 37 रुपये सस्ते दाम पर मिलेगा। विभाग ने डिमांड कृषि निदेशालय को भेज दी है। विभाग कुल्लू से 137 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बीज की खरीद कर रहा है।

हिमाचल प्रदेश के किसानों को इस बार लहसुन का बीज पिछले वर्ष के तुलना में 37 रुपये सस्ते दाम पर मिलेगा। विभाग ने डिमांड कृषि निदेशालय को भेज दी है। विभाग कुल्लू से 137 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बीज की खरीद कर रहा है। जिसे किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान में 68.05 रुपये में वितरित किया जाएगा।

पिछले वर्ष 210 में विभाग ने बीज की खरीद की थी। जिसे किसानों को 105 रुपये प्रतिकिलो के हिसाब से वितरित किया गया था। सितंबर से नवंबर माह तक बिजाई कार्य किया जाता है। यह समय लहसुन की बिजाई के लिए अच्छा रहता है। पिछले वर्ष कोविड के बढ़ते संक्रमण के साथ बाहरी राज्यों में लहसुन की अधिक मांग भी रही है।

जिससे बीज के दाम भी बढ़े थे। सोलन, सिरमौर, कुल्लू, सहित अन्य जिलों में सितंबर से नवंबर माह के बीच तक लहसुन की बिजाई का कार्य किया जाता है। सोलन, सिरमौर का लहसुन सोलन मंडी से देश सहित विदेश को भी सप्लाई किया जाता है। इस बार भी किसानों को लहसुन के अच्छे दाम मिले हैं।

जिला कृषि उपनिदेशक डॉ. डीपी गौतम ने बताया कि किसानों को विभाग की ओर से बीज अनुदान पर दिया जाता है। इस बार भी किसानों को बीज का वितरण किया जाएगा। इस बार मौसम की मार झेल रहे किसानों को बीज में राहत दी गई है।

मोटे अनाज के विकास को नीति तैयार करेगी सरकार

राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने मंगलवार को राजभवन शिमला में कृषि विभाग, कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर और बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के वैज्ञानिकों के साथ बैठक की अध्यक्षता की। इस अवसर पर कृषि सचिव राकेश कंवर ने कहा कि कृषि विभाग मोटे अनाज के विकास के लिए नीति दस्तावेज तैयार कर रहा है।

राज्य में प्राकृतिक खेती के माध्यम से इसकी उपज को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके औषधीय महत्व को देखते हुए जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि लघु चित्र के माध्यम लोगों को बाजरा की खेती के बारे में बताया जाएगा।

बैठक की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल ने कहा कि खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) ने वर्ष 2023 को मोटे अनाज के लिए अंतर्राष्ट्रीय वर्ष के रूप में मनाने के भारत के प्रस्ताव को पिछले वर्ष मंजूरी दी थी।

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूप में अपनाया है। हिमाचल प्रदेश में कृषि विभाग और विभिन्न विश्वविद्यालयों ने मोटे अनाज की खेती के विकास और विस्तार के लिए विशेष पहल की है।

राज्यपाल ने कहा कि मोटे अनाज की खेती पोषण संबंधित आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ किसानों के लिए आय का अच्छा स्रोत हो सकता है। मौसम की परिस्थितियों की दृष्टि से भी इसकी खेती काफी अनुकूल रहती है। किसान अकसर सीमांत भूमि पर ही मोटे अनाज की खेती करते हैं।

उन्होंने कहा कि खेती की लागत कम करने, जहरीले उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग न करके पर्यावरण मित्र खेती को बढ़ावा देने के लिए हिमाचल प्रदेश के किसानों ने पहले ही बड़े पैमाने प्राकृतिक खेती को अपनाया है।

इस अवसर पर चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एचके चौधरी ने राज्य में मोटे अनाज के उत्पादन के इतिहास के बारे में विस्तार से प्रस्तुति दी।