Oct 14, 2025
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छत्रधारी चालदा महासू महाराज 14 दिसंबर को शिलाई के पश्मी मंदिर में विराजमान होंगे।

 शिलाई के पश्मी मंदिर में 14 दिसंबर को विराजमान होंगे चालदा महासू महाराज

हिमाचल-उत्तराखंड के आराध्य देव का प्रवास कार्यक्रम तय, तैयारियों में जुटे लोग

13 दिसंबर को मिनस के रास्ते सिरमौर जिला में करेंगे प्रवेश, लोगों में खुशी का माहौल

देशआदेश

 छत्रधारी चालदा महासू महाराज 14 दिसंबर को शिलाई उपमंडल के पश्मी मंदिर में विराजमान होंगे। इस आयोजन में हिमाचल के सिरमौर, शिमला और उत्तखरांड से 35 हजार से अधिक श्रद्धालु शामिल होंगे। चालदा महासू महाराज का हिमाचल प्रवास कार्यक्रम तय हो गया है। कार्यक्रम तय होने से पश्मी गांव के लोग उनके दर्शन करने के लिए लालायित हैं और तैयारियों में जुट गए हैं।

चालदा महाराज करीब दो वर्ष बाद दसऊ मंदिर से बाहर आएंगे। मई 2023 में चालदा महाराज जौनसार के दसऊ गांव में विराजमान हुए थे। अब 8 दिसंबर को महाराज मंदिर से बाहर आएंगे। चालदा महाराज के वजीर दीवान सिंह राणा ने बताया कि जौनसार और हिमाचल के शिलाई क्षेत्र के ग्रामीणों के साथ बैठक में निर्णय लिया गया कि छत्रधारी चालदा महासू महाराज 8 दिसंबर को दसऊ मंदिर से बाहर पधारेंगे और कुंवर सिंह छत्राण के यहां एक रात ठहरेंगे। 9 दिसंबर को दसऊ गांव के बाहरी क्षेत्र में रात्रि प्रवास रहेगा।

10 दिसंबर को भुपऊ में सीताराम चौहान (जगयाण) के यहां एक रात ठहरेंगे। 11 दिसंबर को मयार खेड़ा में प्रवास रहेगा। 12 दिसंबर को सावड़ा में एक रात का विश्राम होंगा।
उन्होंने बताया कि 13 दिसंबर को मिनस के रास्ते हिमाचल के द्राबिल में रात्रि विश्राम करने के बाद 14 दिसंबर को महाराज पश्मी मंदिर में विराजमान होंगे। राणा के अनुसार उतराखंड के 15 हजार के करीब ग्रामीण पैदल महाराज के साथ हिमाचल में प्रवेश करेंगे। इसके अलावा हिमाचल के जिला शिमला और सिरमौर के 20 हजार के करीब ग्रामीण चालदा महाराज के साथ द्राबिल और पश्मी गांव तक और जुड़ेंगे।
उधर, शिलाई क्षेत्र में चालदा महाराज का प्रवास कार्यक्रम निश्चित होने से खुशी का माहौल है। द्राबिल में पड़ाव के लिए ग्रामीणों ने तैयारी शुरू कर दी हैं, जिसके बाद चालदा महाराज पश्मी मंदिर में अपनी इच्छा तक विराजमान रहेंगे।
गौरतलब है कि भगवान शिव के चार भाई महासू असल में चार देवताओं का सामूहिक नाम है। स्थानीय भाषा में महासू शब्द महाशिव का ही रूप है। चार महासू भाइयों के नाम बासिक महासू, पवासिक महासू, बौठा महासू, और चालदा महासू हैं। इनमे बासिक महासू सबसे बड़े हैं, बौठा महासू दूसरे, पवासिक महासू तीसरे और चालदा महाराज सबसे छोटे हैं।

न्याय के देवता महासू का संबंध उत्तराखंड के जौनसार-बावर से है, जिनका मुख्य मंदिर हनोल पड़ता है। चालदा महासू महाराज, महासू देवताओं में सबसे छोटे और सबसे गतिशील देवता हैं, जो उत्तराखंड के जौनसार-बावर और हिमाचल प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में प्रवास पर रहते हैं और अपना आशीर्वाद देते हैं। उनकी यह यात्रा लोगों के कल्याण और न्याय के लिए होती है।

चालदा महाराज की पालकी को क्षेत्रीय लोग पूजा-अर्चना के लिए नियमित अंतराल पर एक जगह से दूसरी जगह प्रवास पर ले जाते हैं। उत्तराखंड के संपूर्ण जौनसार, उत्तरकाशी क्षेत्र के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश के सिरमौर, सोलन, शिमला, बुशहर और जुब्बल तक महासू को इष्ट देव के रूप में पूजा जाता है।

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