Oct 18, 2024
HIMACHAL

सिंचाई और पीने के लिए इन परियोजनाओं से पानी ले सकेगा हिमाचल

सिंचाई और पीने के लिए बीबीएमबी की परियोजनाओं से पानी ले सकेगा हिमाचल, बनेगा आत्मनिर्भर

देशआदेश

 

हिमाचल सरकार अब भाखड़ा बांध परियोजना, ब्यास सतलुज लिंक और पौंग बांध परियोजना से पेयजल आपूर्ति और सिंचाई कार्यों के लिए पानी का प्रयोग कर सकेगी।

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के प्रस्ताव पर केंद्र सरकार ने एनओसी लेने की शर्त हटाकर बड़ी राहत दी है। अभी तक भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड की परियोजनाओं से पेयजल आपूर्ति और सिंचाई कार्यों के लिए पानी लेने से पूर्व बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने की आवश्यकता होती थी।

सुक्खू ने कहा है कि बीबीएमबी की परियोजनाओं से पानी निकालने की मंजूरी मिलने से प्रदेश आत्मनिर्भर बनने की ओर बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि हिमाचल में बनी जल विद्युत परियोजनाओं में राज्य के हितों का ध्यान नहीं रखा गया है।

पानी और भूमि हिमाचल प्रदेश का है। इन प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर कई कंपनियां सालाना हजारों करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित कर रही हैं।

 

हिमाचल प्रदेश को इन परियोजनाओं में नाममात्र की ही हिस्सेदारी मिल रही है, जो राज्य के लोगों के साथ अन्याय है। प्रदेश को उसका अधिकार मिलना चाहिए और इस विषय को वर्तमान राज्य सरकार मजबूती से हर मंच पर उठा रही है।

वर्तमान राज्य सरकार के गठन के बाद से ही जल विद्युत परियोजनाओं में भी ज्यादा रॉयल्टी की मांग की जा रही है।

बीबीएमबी की ओर से संचालित भाखड़ा बांध परियोजना, ब्यास सतलुज लिंक व पौंग बांध परियोजना में किसी प्रकार की मुफ्त बिजली की रॉयल्टी नहीं दी जा रही है।

 

इस कारण प्रदेश सरकार को प्राप्त होने वाले राजस्व से वंचित होना पड़ रहा है। बीबीएमबी की इन परियोजनाओं में प्रदेश सरकार को हिस्सेदारी के रूप में केवल मात्र 7.19 प्रतिशत बिजली प्रदान की जा रही है, जो पर्याप्त नहीं है। राज्य सरकार इन परियोजना में अधिक हिस्सेदारी की मांग कर रही है।

 

उन्होंने कहा कि वर्तमान में एसजेवीएनएल की ओर से संचालित नाथपा झाकड़ी परियोजना व रामपुर परियोजना से प्रदेश को केवल 12,  प्रतिशत की दर पर मुफ्त बिजली प्राप्त हो रही है, जबकि निगम को इन ऋण मुक्त हो चुकी परियोजनाओं से लाभ मिल रहा है।

इन परियोजनाओं में अनुबंध अवधि सीमा भी निर्धारित नहीं की गई है। ऐसे में इन परियोजनाओं को 40 वर्ष की समय अवधि के बाद हिमाचल प्रदेश सरकार को स्थानांतरित करने की मांग की जा रही है।