हिमाचल के औद्योगिक क्षेत्रों में बिजली की बढ़ी दरें लागू
हिमाचल के औद्योगिक क्षेत्रों में बिजली की बढ़ी दरें लागू, 20 फीसदी तक बढ़ गए बिल
विद्युत दरों में बढ़ोतरी पर तो सरकार का ध्यान, लेकिन गुणवत्ता पर नहीं
हिमाचल प्रदेश सरकार ने औद्योगिक इकाइयों में बिजली की नई दरें लागू कर दी हैं। छोटे और बड़े उद्योगों के विद्युत बिलों में लगभग 20 फीसदी की बढ़ोतरी होने से उद्योगपति निराश हैं।
प्रदेश में औद्योगिक इकाइयों को पहले 4.20 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली की आपूर्ति की जा रही थी। अब सरकार ने इसे बढ़ाकर 5.06 रुपये कर दिया है।
लिहाजा, उद्योगों के लिए विद्युत दरों में 86 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी हुई है।
वहीं, औद्योगिक इकाइयों में विद्युत ड्यूटी शुल्क भी 11 से बढ़ाकर 19 फीसदी कर दिया है। करीब तीन माह पहले कालाअंब में उद्यमियों के साथ उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान की बैठक हुई थी।
इसमें उद्यमियों ने विद्युत ड्यूटी 11 से 19 फीसदी न करने की मांग की थी। उद्योग मंत्री ने विद्युत ड्यूटी न बढ़ाने का आश्वासन भी दिया था।
बावजूद इसके नवंबर माह से उद्योगों को बढ़ी हुई दरों पर विद्युत बिल जारी कर दिए हैं। औद्योगिक संगठनों के पदाधिकारियों में लघु उद्योग भारती के अध्यक्ष संजय सिंगला, विकास बंसल, मनोज गर्ग, रमेश गोयल, चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष दीपन गर्ग, अनिल कुमार, जेपी शर्मा, देवेंद्र सिंह व सुभाष ने बताया कि नवंबर माह के विद्युत बिलों में विद्युत दरों में 0.86 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी की गई है, जबकि विद्युत ड्यूटी 11 फीसदी से बढ़ाकर 19 फीसदी कर दी गई है।
उन्होंने बताया कि विद्युत दरों में बढ़ोतरी पर तो सरकारों का ध्यान केंद्रित रहता है, लेकिन विद्युत आपूर्ति की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। कम से कम छोटे उद्योगों को इसमें रियासत देनी चाहिए थी।
उद्यमियों ने कहा कि औद्योगिक विकास के लिए बुनियादी सुविधाओं की जरूरत होती है जो कालाअंब क्षेत्र में शून्य हैं। बढ़ी हुई विद्युत दरों से उत्पादन लागत भी बढ़ गई है। प्रतिस्पर्धा में कालाअंब के उद्योग पिछड़ रहे हैं और बंदी के कगार की तरफ बढ़ रहे हैं।
औद्योगिक विकास न होने से प्रदेश पिछड़ रहा है और अन्य राज्य औद्योगिक विकास के लिए प्रयत्नशील हैं। प्रदेश में संतुलित विद्युत दरों के कारण ही उद्योग टिके हुए थे।
हर माह हो अधिकारियों के साथ बैठक
उद्यमियों का कहना है कि प्रतिमाह जिले के संबंधित अधिकारियों के साथ उद्यमियों की बैठक होनी चाहिए और तिमाही बैठक जिला उपायुक्त के साथ निर्धारित की जाए, जिसमें मासिक बैठकों की कार्यवाही पर कितना अमल हुआ, इस पर फीडबैक लिया जाए।
मुख्यमंत्री के साथ भी उद्यमियों की एक छमाही बैठक निर्धारित की जाए। यदि यहां के उद्यमियों को सुविधाएं नहीं मिलीं तो उद्योग यहां से पलायन करेंगे।