वाहनों की पासिंग अब ऑटोमेटिक टेस्टिंग स्टेशनों पर होगी, एमवीआई की भूमिका खत्म
वाहनों की पासिंग अब ऑटोमेटिक टेस्टिंग स्टेशनों पर होगी, एमवीआई की भूमिका खत्म
हिमाचल में वाहनों की पासिंग (फिटनेस जांच) अब स्वचलित केंद्रों पर होगी। प्रदेश सरकार वाहन पासिंग में एमवीआई (मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर) की भूमिका खत्म करने जा रही है।
प्रदेश के हर जिले में ऑटोमेटिक टेस्टिंग स्टेशन का आधारभूत ढांचा विकसित कर संचालन के लिए परिवहन विभाग ने निजी कंपनियों से आवेदन मांगे हैं।
हिमाचल में सालाना 80 हजार से एक लाख निजी और व्यवसायिक वाहनों की पासिंग होती है।
इस साल से प्रदेश में वाहनों की पासिंग की पूरी प्रक्रिया बदलने वाली है। वाहन चलने योग्य है या नहीं, इसकी जांच के लिए कंप्यूटराइज्ड ऑटोमेटिक टेस्टिंग स्टेशन स्थापित किए जाएंगे।
अब तक निर्धारित मानकों के आधार पर एमवीआई वाहनों की फिटनेस जांचते हैं। वाहन का निरीक्षण कंप्यूटराइज्ड होने के बाद पूरी प्रक्रिया पारदर्शी हो जाएगी।
वाहन में यदि कोई गड़बड़ी मिलती है तो उसे सुधारने का एक मौका दिया जाएगा। दूसरी बार भी अगर गाड़ी दुरुस्त नहीं पाई जाती तो इसे स्क्रैप घोषित कर दिया जाएगा।
दोपहिया से लेकर भारी वाहन सभी की होगी ऑटोमेटिक टेस्टिंगऑटोमेटिक टेस्टिंग स्टेशन में दोपहिया वाहन, थ्री व्हीलर, हल्के वाहन और भारी वाहन सभी की पासिंग होगी।
प्रदेश के 12 जिलों में 12 केंद्र बनेंगे। केंद्र बनाने के लिए 4100 वर्ग मीटर जमीन होनी चाहिए। जमीन लीज पर ली जा सकती है जिसकी अवधि 10 साल होनी चाहिए।
वाहन निर्माता, ऑटोमोबाइल डीलर या गाड़ियों की मरम्मत से जुड़ा व्यक्ति केंद्र नहीं खोल सकता।
हिमाचल में वाहनों की पासिंग पूरी तरह अब ऑटोमेटिक टेस्टिंग स्टेशनों पर ही होगी। एमवीआई की भूमिका पूरी तरह खत्म की जा रही है।
हर जिले में यह सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। पासिंग में कोई फाॅल्ट निकलता है तो सुधार के लिए एक मौका मिलेगा।
दूसरी बार भी फॉल्ट मिला तो वाहन सीधा स्क्रैपिंग के लिए जाएगा।– मुकेश अग्निहोत्री, उपमुख्यमंत्री