केंद्रीय बजट से हिमाचल के बागवानों को क्या है उम्मीदें
बजट में हो बागवानी अर्थव्यवस्था का प्रावधान’, महंगाई से दी जाए राहत’
देशआदेश
केंद्र सरकार की ओर से 23 जुलाई को पेश किए जाने वाले बजट से प्रदेश के बागवानों और किसानों को राहत की उम्मीद है। किसान और बागवानों का कहना है कि पिछले कई वर्षों से कृषि उपकरणों, उर्वरकों और दवाओं के दाम बढ़ते जा रहे हैं। उन्होंने मांग की है कि सरकार बजट में इनकी कीमतें कम करने का प्रावधान करे। इसके अलावा फलों और फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ना चाहिए और ज्यादा से ज्यादा फसलों को बीमा के दायरे में लाया जाए। बागवान मांग कर रहे हैं कि बाहरी देशों के सेब पर आयात शुल्क बढ़ाया जाए।
‘नजदीकी क्षेत्रों में खुलें बागवानी विश्वविद्यालय’
बागवान बजट से उम्मीद कर हैं कि पौधों में होने वाली बीमारी की जांच करवाने के लिए नजदीकी क्षेत्रों में लैब और विश्वविद्यालय खोले जाएं। सेब से जुड़ी समस्याओं को लेकर जिले के बागवानों को बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी जाना पड़ा है- रूप लाल जस्टा, बागवान, बाघी क्षेत्र
बजट में हो बागवानी अर्थव्यवस्था का प्रावधान’
बागवानी में सुधार के लिए मूलभूत सुविधाओं के लिए बजट प्रावधान होना चाहिए। प्रदेश में हजारों लोगों का कारोबार बागवानी पर ही निर्भर है- प्रेम ओम्टा, बागवान, बाघी क्षेत्र
‘हिमाचल के सभी शिक्षण संस्थानों में एनसीसी को अनिवार्य करने की तैयारी’
नौणी विवि में एनसीसी के वार्षिक प्रशिक्षण शिविर में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धनीराम शांडिल ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि एनसीसी (नेशनल कैडेट कोर) का उद्देश्य युवाओं को एकता और अनुशासन सिखाना है।
युवा देश का भविष्य है और युवाओं को सशस्त्र बलों में शामिल होने को प्रेरित करने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करना आवश्यक है।
एनसीसी से जहां युवाओं में चरित्र, अनुशासन, भाईचारा बढ़ेगा वहीं निस्वार्थ सेवाओं के आदर्श तथा साहसिक भावना विकसित होगी।
सैनिक कल्याण मंत्री ने कहा कि एनसीसी का विषय सभी संस्थानों में अनिवार्य विषय के रूप में होना चाहिए। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।