बिजली शुल्क बढ़ने से महंगा हुआ होटल और रिसॉर्ट संचालन
बिजली शुल्क बढ़ने से हिमाचल में महंगा हुआ होटल और रिसॉर्ट संचालन, सौर ऊर्जा नीति बनाने की मांग
सीआईआई के बाद हिमाचल के पर्यटन कारोबारियों ने भी बिजली की दरों में की गई बढ़ोतरी को अनुचित करार दिया है।
पर्यटन उद्योग से जुड़े कारोबारियों का कहना है कि बिजली शुल्क बढ़ने से हिमाचल में होटल और रिसॉर्ट का संचालन महंगा हो गया है।
कोरोना काल के बाद हिमाचल में पर्यटकों की संख्या में कमी आई है, उस पर बिजली की दरें बढ़ने से प्रदेश में होटलों और रिसॉर्ट का संचालन नुकसान का सौदा बन सकता है।
हिमाचल में पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के मुकाबले होटलों के लिए बिजली की दरें महंगी हो गई हैं। कमाई कम है और संचालन का खर्चा बढ़ गया है।
हिमाचल प्रदेश में होटल व्यवसायी स्वीकृत लोड पर बिजली का डिमांड शुल्क भी चुका रहे हैं जिससे बिजली का खर्चा दोगुना हो रहा है।
बिजली की दरें बढ़ने से हिमाचल में पर्यटन क्षेत्र में निवेश पर भी असर पड़ सकता है। होटल कारोबारियों ने सरकार से बिजली पर डिमांड शुल्क समाप्त करने की मांग की है।
इसके अलावा होटलों और रिसॉर्ट में सौर ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार सब्सिडी, तकनीकी सहायता, वित्त पोषण, ऊर्जा कुशल उपकरणों और प्रणालियों के लिए सब्सिडी देने का भी आग्रह किया है।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू से हिमाचल में औद्योगिक घरानों को दी जाने वाली बिजली की दरों में की गई बढ़ोतरी तुरंत वापस लेने का आग्रह किया है।
शुक्रवार को मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सीआईआई के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की। मुख्यमंत्री को बताया कि हिमाचल में बिजली पंजाब, हरियाणा से महंगी और उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर के बराबर हो गई है।
ट्रांसपोर्टरों की यूनियन बाजी के कारण पहले ही हिमाचल में उद्योगों के लिए काम करना मुश्किल हो रहा है।