Nov 25, 2024
HIMACHAL

हिमाचल सरकार खरीदने जा रही है मक्की, 30 रुपये प्रतिकिलो रेट तय

हिमाचल सरकार खरीदने जा रही है मक्की, 30 रुपये प्रतिकिलो रेट तय; 25 विक्रय केंद्रों पर होगी खरीद

 

 

सरकार प्रदेशभर में प्राकृतिक खेती से तैयार मक्की को खरीदने की प्रक्रिया 25 अक्तूबर से शुरू करेगी। इसके लिए खाद्य आपूर्ति विभाग ने तैयारियां कर ली हैं। खरीद 25 विक्रय केंद्रों पर होगी। पहले चरण में सरकार किसानों पांच सौ आठ मीट्रिक टन मक्की खरीदेगी। इसके लिए प्रदेश भर में प्राकृतिक खेती करने वाले 3,218 प्रमाणित किसान चयनित किए गए हैं।

 

 

 

प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत किसानों से पहली बार सरकार मक्की खरीदेगी। इसके बाद इसका आटा तैयार कर एक और पांच किलो की पैकिंग में लोगों को उपलब्ध कराया जाएगा।

हालांकि अभी आटे के दाम तय नहीं किए गए हैं। कृषि विभाग का प्राकृतिक खेती विंग खाद्य आपूर्ति विभाग के जरिए इन्हीं के स्टोरों में किसानों से इसकी खरीद करेगा, वहीं इसके बाद खरीदी गई मक्की से तैयार आटे को बेचा जाएगा। विभाग की ओर से डिपुओं में भी इस आटे को बेचने की योजना है, लेकिन अभी इसके लिए सब्सिडी निर्धारित नहीं हुई है। बाजार में आम तौर पर मक्की को 18 से 20 रुपये प्रतिकिलो तक दाम मिलते हैं, लेकिन सरकार किसानों से 30 रुपये प्रतिकिलो के हिसाब से मक्की खरीदेगी। देश में मक्की पर दिया जाने वाला यह सबसे अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य है। प्रति किसान से अधिकतम 20 क्विंटल मक्की खरीदी जाएगी।

 

 

 

13,000 हेक्टेयर भूमि पर तैयार की गई है 27,000 मीट्रिक टन मक्की
इस वर्ष प्राकृतिक खेती से लाहौल-स्पीति और किन्नौर के अलावा बाकी 10 जिलों में 13.304 हेक्टेयर भूमि पर 27,768 मीट्रिक टन मक्की तैयार की गई है। इसमें से 508 मीट्रिक टन अतिरिक्त मक्की सरकार किसानों से खरीदेगी। इस सीजन में 92,516 किसानों ने प्राकृतिक खेती से मक्की की फसल तैयार की है। जिसमें खरीद के लिए विभाग ने 3,218 किसान चयनित किए हैं।

25 अक्तूबर से प्रदेशभर में पंजीकृत किसानों से मक्की को खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। इसके लिए विभाग ने तैयारियां पूरी कर ली हैं। बाजार से अधिक रेट पर किसानों से मक्की खरीदने का मुख्य उद्देश्य यह है कि ज्यादा से ज्यादा लोग प्राकृतिक खेती से जुड़कर रसायन मुक्त खेती करें- डॉ. मोहिंद्र सिंह भवानी, उप निदेशक, प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना

 

 

 

दुकानों के बाहर नाम लिखने के मामले में हाईकोर्ट ने गृह सचिव, डीजीपी को जारी किए नोटिस

 

 

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाले बयानों पर संज्ञान लिया है। अदालत ने दुकानों के बाहर नाम लिखने के मामले में प्रदेश के गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक (डीजीपी), शिमला के पुलिस अधीक्षक और नगर निगम शिमला को नोटिस जारी किया है। जनहित याचिका में सरकार सहित लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह, पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह और देवभूमि जागरण मंच को भी पार्टी बनाया गया है।

हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका में अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि सांविधानिक पदों पर बैठे व्यक्ति गैरजिम्मेदारना बयानों से प्रदेश के भाईचारे को बिगाड़ रहे हैं।

 

 

साथ में कुछ संगठनों की ओर सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट डाले जा रहे हैं, जिससे लोगों के अंदर दूसरे धर्म के प्रति नफरत पनप रही है। इस मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की अदालत की खंडपीठ ने की।

 

 

जनहित याचिका में आरोप लगाए गए हैं कि मंत्री विक्रमादित्य ने 26 सितंबर को बयान दिया था कि ढाबों और खाने-पीने का सामान बेचने वाली दुकानों के बाहर दुकानदार अपना नाम और पहचान लिखें।

 

मंत्री अनिरुद्ध और अन्य संगठनों के विवादास्पद बयानों का हवाला भी जनहित याचिका में दिया गया है। याचिका में कहा गया है कि मंत्रियों की ओर से की जा रही इस तरह की बयानबाजी से प्रदेश की शांति और कानून-व्यवस्था को खतरा हो रहा है। पिछले कुछ समय से धर्म के नाम पर प्रदेश का माहौल बिगाड़ा जा रहा है।

 

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार ने भी इस तरह के आदेश जारी कर दिए थे, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने खाने-पीने की दुकानों के बाहर नाम लिखने पर रोक लगा रखी है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि दुकानदार नाम लिखने को बाध्य नहीं हैं, जो खुद लिखना चाहें, वे लिखें। इस मामले की अगली सुनवाई अब तीन हफ्ते बाद होगी।