Nov 21, 2024
HIMACHAL

HC: मंदिर ट्रस्टों और शराब पर सेस से गोसदनों पर कितना किया खर्च

हिमाचल: हाटी आरक्षण मामला डबल बैंच को भेजा, अभी तक एसटी के 90 प्रमाणपत्र जारी किए

केंद्र सरकार की ओर से हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा देने के बाद राज्य सरकार ने 1 जनवरी 2024 से प्रमाणपत्र जारी करने शुरू कर दिए थे। इसके बाद 4 जनवरी को प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने प्रमाणपत्र जारी करने पर रोक लगा दी।

Himachal: Hati reservation case sent to double bench, 90 ST certificates issued so far

 हाटी समुदाय को जनजातीय आरक्षण के तहत सरकार की ओर से जारी एसटी प्रमाणपत्र को चुनौती देने के मामले को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में एकल जज ने डबल बैंच को भेज दिया।

 

केंद्र सरकार की ओर से हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा देने के बाद राज्य सरकार ने 1 जनवरी 2024 से प्रमाणपत्र जारी करने शुरू कर दिए थे। इसके बाद 4 जनवरी को प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने प्रमाणपत्र जारी करने पर रोक लगा दी।

 

न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की अदालत ने कहा कि सरकार की ओर से एसटी प्रमाणपत्र जारी करने पर दोहरे मापदंड कैसे हो सकते हैं।

अदालत में इस मामले की लगभग 15 के करीब अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई हैं। मुख्य न्यायाधीश की डबल बैंच इन सभी मामलों की सुनवाई एक साथ करेगी।

सरकार की ओर से लोगों को अभी तक एसटी के 90 प्रमाणपत्र जारी किए गए हैं। याचिकाकर्ता को सरकार की ओर से 4 जनवरी को एसटी प्रमाणपत्र भी जारी किया गया था।
याचिकाकर्ता टीजीटी के पद पर तैनात हैं और उसे इस प्रमाणपत्र के जारी होने के बाद प्रधानाचार्य के पद पर प्रमोशन दी जानी थी।
सरकार ने 1 से 3 जनवरी के बीच जारी किए एसटी प्रमाण पत्र को वैध बताया
अदालत में सरकार ने 1 से 3 जनवरी के बीच जारी किए एसटी प्रमाणपत्र को वैध और 4 जनवरी को जारी प्रमाणपत्र को अवैध बताया। याचिकाकर्ता को 4 जनवरी को प्रमाणपत्र जारी किया गया था। सरकार की ओर से लोगों को अभी तक एसटी के 90 प्रमाणपत्र जारी किए गए हैं।

 

प्रदेश में लावारिस पशुओं और गोसदनों में जानवरों की दुर्दशा पर हाईकोर्ट हुआ सख्त, सरकार से पिछले पांच साल में गोसदनों पर खर्च बजट की मांगी रिपोर्ट 

hp high court: How much money was spent on temple trusts and cow shelters from cess on liquor, records summone

 हिमाचल में मंदिर ट्रस्टों और शराब पर लिए जाने वाले सेस से गोसदनों के सुधार पर कितना खर्च किया गया, इस पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार से रिकॉर्ड तलब किया है।

 

प्रदेश में लावारिस पशुओं और गोसदनों में जानवरों की दुर्दशा पर हाईकोर्ट सख्त हो गया है और सरकार से पिछले पांच साल में गोसदनों पर खर्च बजट की रिपोर्ट मांगी है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने बीमार और लाचार पशुओं की स्थिति सुधारने के लिए सरकार को कड़े कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।

अदालत ने कहा कि राज्य में मंदिरों ट्रस्ट से कुल प्राप्ति का 15 फीसदी पैसा गोसदनों के सुधार के लिए लिया जाता है। वहीं, शराब की बोतलों पर जो ढाई रुपए का सेस लगता है, वह भी गोसदनों को जाता है। इतना बजट होने के बावजूद हिमाचल में लावारिस पशुओं की स्थिति बदतर बनी है।

हाईकोर्ट में पहला मामला राधेश्याम काऊ सेंचुरी लुथान का है। यहां अत्यधिक संख्या में लावारिस पशुओं की मौत होने और मरे जानवरों के कंकाल खुले में फेंकने पर हाईकोर्ट ने कड़ा संज्ञान लिया था। यहां एक साल में करीब 1,200 पशुओं की मौत हुई है।
दूसरा मामला धर्मशाला के सराहा की गलियों में 121 के करीब पशुओं को खुले में छोड़ने और सड़कों पर पशुओं की मौत का है।

 

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