Aug 23, 2025
HIMACHAL

पहाड़ पर चढ़कर बचाई जान, जंगल में काटी रात

लवली ने सुनाई आपबीती, बोले- पहाड़ पर चढ़कर बचाई जान, जंगल में काटी रात

Dharamsala cloudburst: Lovely narrated her ordeal to Amar Ujala, saved her life by climbing a mountain, spent

मैंने मौत को काफी नजदीक से देखा है। बुधवार दोपहर बाद बादल फटने के बाद मनूणी खड्ड में आई बाढ़ के दौरान खुद को बचाने के लिए भागते हुए मैं ऊंचे पहाड़ की तरफ चढ़ गया। मूसलाधार बारिश और ठंड के बीच मैंने पूरी रात जंगल में काटी।

 

 

 

 

 

वीरवार को रेस्क्यू किए गए चंबा के राख के कामगार लवली (21) ने पत्रकार को आपबीती सुनाई। लवली ने कहा कि वह दो दिन पहले ही प्रोजेक्ट में काम करने के लिए पहुंचा था।

घर पर माता-पिता, एक विवाहित बड़ा भाई और दो बहनें हैं। दसवीं तक पढ़ाई करने के बाद शुरू में मजदूरी की और उसके बाद धर्मशाला व अन्य क्षेत्रों में होटलों और ढाबों पर काम किया। मनूणी खड्ड पर निर्माणाधीन हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट में कार्यरत उसके एक रिश्तेदार ने प्रोजेक्ट में मजदूरी के कार्य के लिए बुला लिया। अभी प्रोजेक्ट में काम करते दो दिन ही हुए थे कि बुधवार दोपहर बाद बाढ़ ने मौके पर सब कुछ तबाह कर दिया।

लवली ने कहा कि जब बाढ़ आई तो वह पावर हाउस के नजदीक ही काम कर रहा था। खड्ड में सैलाब आते देख ऊपर पहाड़ी पर चढ़ गया। इसके बाद रात तक जंगल में पहुंच गया। इस दौरान भूख और प्यास लगी थी, लेकिन कुछ भी खाने को नहीं मिला। मूसलाधार बारिश में नींद भी नहीं आ रही थी। जैसे-तैसे रात काटी। सुबह 9:00 बजे के करीब एसडीआरएफ और एनडीआर की टीम के सदस्यों को देखा तो पहाड़ी से आवाजें लगाईं।

इसके बाद बचाव दल के सदस्य पहाड़ी से खिसकते पत्थरों से खुद को बचाते हुए खतरनाक रास्तों से होकर लवली तक पहुंचे और उसे रेस्क्यू कर लुुंटा तक लेकर आए। लवली ने कहा कि बचाव दल ने उन्हें बिस्कुट और अन्य सामग्री भी खाने को दी। अगर बचाव दल के सदस्य मौके पर नहीं पहुंचते तो सड़क तक पहुंचना मुश्किल था। भूखे-प्यासे जंगल में जान भी जा सकती थी।

छुट्टी पर थे इसलिए बच गई जान
इस पावर प्रोजेक्ट में काम करने वाले चंबा के राख निवासी राकेश कुमार और विरेंद्र कुमार ने कहा कि वह पिछले एक माह से इस प्रोजेक्ट में काम कर रहे हैं, लेकिन वह कुछ दिन पहले ही छुट्टी पर घर गए थे। जब बुधवार को मनूणी खड्ड में बाढ़ से हुए नुकसान की खबर मिली तो रात को ही बस पकड़ी और वीरवार सुबह धर्मशाला पहुंचे। उसके बाद खनियारा गांव पहुंचे। उन्होंने ईश्वर का ध्यान करते कहा कि हम छुट्टी पर थे, इसलिए जान बच गई, नहीं तो कुछ भी हो सकता था।

जम्मू-कश्मीर के अली बने रखवाले
जम्मू-कश्मीर के डोडा के रहने वाले असगर अली प्रवासी कामगारों की झोपड़ियों और टिन के शेडों पर पहरा देकर सामान की रखवाली कर रहे हैं। असगर अली ने कहा कि वह स्लेट की खानों में पिछले 25 साल से काम कर रहे हैं। प्रोजेक्ट के नजदीक ही उनका भी पत्थरों से बना शेड है। उन्होंने बुधवार को अपनी आंखों से मनूणी खड्ड की त्रासदी को देखा।
बाढ़ आने पर उन्होंने जोर-जोर से आवाजें लगाकर कामगारों को खड्ड से दूर भागने के लिए कहा था। अली ने कहा कि जब तक सभी कामगार अपना सामान नहीं ले जाते वह तब तक उनके सामान की रखवाली करेंगे।