Nov 2, 2025
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गुर्जर समुदाय ने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के समक्ष तर्क रखे।

Himachal Pradesh High Court : हाटी समुदाय को एसटी दर्जा क्यों न मिले, इस पर गुर्जर समुदाय ने रखी दलील

हाटी समुदाय को एसटी का दर्जा क्यों न मिले, इसे लेकर गुर्जर समुदाय ने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के समक्ष तर्क रखे। पढ़ें पूरी खबर…

HP High Court Gujjar community argued why Hati community should not get ST status
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट – फोटो : अमर उजाला नेटवर्क

विस्तार

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में शुक्रवार को हाटी समुदाय के मामले पर सुुनवाई हुई। हाटी समुदाय को एसटी का दर्जा क्यों न मिले, इसे लेकर गुर्जर समुदाय ने अदालत के समक्ष तर्क रखे। सोमवार को इस मामले के सांविधानिक पहलू पर बहस होगी। उसके बाद हाटी समुदाय को एसटी का दर्जा क्यों मिलना चाहिए, इस पर बाकी पक्ष अपनी दलीलें रखेगें। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की खंडपीठ इस मामले में सुनवाई कर रही है।

सिरमौर जिले के गिरीपार के हाटी समुदाय को एसटी का दर्जा देने को लेकर जारी अधिसूचना पर हिमाचल हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई हैं। गुर्जर समाज की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि एसटी का दर्जा देेते समय उस क्षेत्र की भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक कर्मकांड, सांस्कृतिक और रीति-रिवाज जैसी परिस्थितियों को देखा जाता है।

चूने के पत्थर से लेकर अन्य फसलों में सिरमौर प्रदेश के दूसरे जिलों से भी कई बेहतर है। शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़कों की बात करें तो इसकी औसत भी लगभग दूसरे कई जिलों से अच्छी है। यहां पर जिन गांवों को एसटी का दर्जा दिया गया है, उनमें से बहुत से लोग संपंन है।

कमरऊ गांव एशिया के सबसे अमीर गांवों में से एक है। 138 हेक्टेयर जमीन प्रभावशाली लोगों के पास, सिर्फ 10 हेक्टेयर अन्य तबके के पास है। हिमाचल प्रदेश के जनजातीय प्रशिक्षण अनुसंधान संस्थान की ओर से तैयार की गई प्रोजेक्ट रिपोर्ट में यह बताया गया है कि एसटी का दर्जा देते वक्त पुराने डाटा को ध्यान में रखा जाए,

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लेकिन केंद्र सरकार ने एसटी का दर्जा देते वक्त इसको कंसीडर नहीं किया। हाटी समुदाय को एसटी का दर्जा प्रस्तावित मापदंडों पर खरा नहीं उतरता।